अनूठी परंपरा: इस जिले में बच्चों को मिलते हैं, अजीब नाम, कोई सिपाही-थानेदार तो कोई अमेरिका-जापान
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अनूठी परंपरा: इस जिले में बच्चों को मिलते हैं, अजीब नाम, कोई सिपाही-थानेदार तो कोई अमेरिका-जापान

राजस्थान में लाइमस्टोन के लिये जाना जाने वाला नागौर का गोटन इस इलाके में रहने वाले कबीलाई लोगों की एक खास परंपरा के चलते चर्चा में हैं. आधुनिकता के दौर में इस बस्ती में अजीब परंपरा निभाई जा रही है. जो आपको गुदगुदाएगी भी और एक पल के लिए सोचने को मजबूर कर देगी.

अनूठी परंपरा: इस जिले में बच्चों को मिलते हैं, अजीब नाम, कोई सिपाही-थानेदार तो कोई अमेरिका-जापान

Unique Tradition: राजस्थान में लाइमस्टोन के लिये जाना जाने वाला नागौर का गोटन इस इलाके में रहने वाले कबीलाई लोगों की एक खास परंपरा के चलते चर्चा में हैं. आधुनिकता के दौर में इस बस्ती में अजीब परंपरा निभाई जा रही है. जो आपको गुदगुदाएगी भी और एक पल के लिए सोचने को मजबूर कर देगी. गोटन की इस बस्ती में नट समाज के लोग आज भी कबीलाई जिंदगी जी रहें हैं. 

लेकिन हर मां बाप की तरह अपने बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए यहां लोग पढ़ाई लिखाई पर ध्यान ना देकर बच्चों के नामकरण को ज्यादा तवज्जो देते है. समाज के लोगों को लगता है कि नाम बड़ा होगा तो काम भी बड़ा करेंगे और परिवार का नाम करेंगे.
 
बस्ती में रहने वाले नट समाज के लोगों ने अपने बच्चों का नाम प्रशासनिक पदों और देश-विदेश के नामों पर रखा है. यही नहीं जब कोई नामाकरण होता है तो अगला नामाकरण उससे ऊपर का करने की कोशिश होती है. जैसे कि किसी ने अपने बच्चे का नाम सिपाही रखा, तो दूसरा परिवार बच्चे का नाम कोतवाल रख देता है.

बस्ती में अवैध शराब तस्करी के कई मामले आ चुके है. लेकिन आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस बस्ती में जाने से कतराती है क्यों कि यहां के लोग बस्ती में बाहरी लोगों के प्रवेश को गलत मानते हैं. दिन में महिलाएं और बच्चे बस्ती में रहते हैं और पुरुष जंगल में और रोजी-रोटी का जुगाड़ करते हैं.

कुछ दिन पहले ही शराब तस्करी के मामले में पकड़े गए, पाकिस्तान नाम के शख्स के बाद ये बस्ती चर्चा में आ गई थी. पाकिस्तान ने पूछताछ में बस्ती की अजीबों गरीब परंपरा के बारे में बताया.

कबीलाई लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की सरकार चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन आज भी ऐसे इलाके हैं, जहां शिक्षा के दरवाजे बंद है और इन इलाकों के युवा अवैध तरीके अपनाकर अपना गुजर बसर करे रहे हैं. नागौर की इस बस्ती के लोगों ये समझने की जरूरत है कि सिर्फ नाम से जिंदगी नहीं बदलती.

रिपोर्टर - दामोदर ईनाणियां

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