राजस्थान के इस गाँव में गोवर्धन के दिन होती है गधे की पूजा, जानें क्या है इसके पीछे की मान्यता?

Rajasthan News: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के माण्डल कस्बे में दिवाली के दूसरे दिन एक अनोखी परंपरा देखने को मिलती है, जहां कुम्हार समाज के लोग गधों की पूजा बड़े हर्षोल्लास से करते हैं. यह परंपरा वर्षों पुरानी है और गधों को कुम्हारों की रोजी-रोटी का आधार माना जाता है. 

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दिवाली के अगले दिन, जो अन्नकूट और गोवर्धन पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, माण्डल के कुम्हार समाज के लोग अपने अन्नदाता के रूप में गधों का सम्मान करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे किसान अपने बैलों की पूजा करते हैं. यह दृश्य न केवल सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए आस्था और परंपरा का प्रतीक भी है.
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माण्डल के निवासियों के अनुसार, गधों का उपयोग मिट्टी ढोने जैसे कार्यों में किया जाता रहा है, जो कुम्हारों की आजीविका का मुख्य साधन रहा है. इसीलिए गधों को पूजने की परंपरा शुरू हुई, जो आज भी कायम है. इस दिन कुम्हार समाज के लोग एकत्रित होकर गधों को सजाते हैं. उन्हें नहलाया जाता है, रंग-बिरंगी पेंटिंग्स और फूलों की मालाओं से सजाया जाता है. इसके बाद पूजा-अर्चना की जाती है और गधों को मिठाई खिलाई जाती है.