Sachin Pilot Hanuman Beniwal Arvind Kejriwal : राजस्थान की सियासत में बहुत कुछ पाक रहा है. इसी बीच सोशल मीडिया पर सचिन पायलट हनुमान बेनीवाल और अरविन्द केजरीवाल की आप पार्टी के साथ आने को लेकर कई अटकलें हैं, लेकिन सवाल यह है कि यह कितना संभव है?
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Sachin Pilot - Hanuman Beniwal - Arvind Kejriwal : राजस्थान में भले ही चुनावी बिगुल बजने में महज 6 महीने का ही वक्त बचा हो, लेकिन एक दूसरे को सियासी गुगलियां फेंकनी शुरू हो गई है. भाजपा और कांग्रेस में हलचलें तेज हैं, इसी बीच राजस्थान की सियासत में किस्मत आजमाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी तैयार है. वहीं पिछले दिनों जिस तरह से नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने नजदीकियां केजरीवाल के साथ देखी गई उसकी भी चर्चाएं हैं. इसी बीच राजस्थान कांग्रेस के सबसे पॉपुलर फेस यानि सचिन पायलट का रुख भी इन दिनों हलचलें पैदा कर रहा है, सोशल मीडिया पर इन तीनों नेताओं को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है.
दरअसल सचिन पायलट का आगामी विधानसभा चुनाव में क्या स्टैंड रहेगा, इसे लेकर सियासी गलियारें में कई तरह की अटकलें हैं, लेकिन जिस तरह से पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन का ऐलान किया उससे चाय चर्चाएं जोर पकड़ने लगी हैं. कांग्रेस आलाकमान अब तक सचिन के भविष्य को लेकर कोई फैसला नहीं कर सका है. साथ ही अपनी सरकार के खिलाफ जाने को लेकर आलाकमान कड़ा रुख अपनाने की बात कह चूका है, ऐसे में सचिन पायलट क्या कदम उठाते हैं यह देखना होगा.
वहीं सचिन पायलट को नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ऑफर दे चुके हैं. बेनीवाल कह चुके हैं कि अगर सचिन पायलट कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाते हैं तो वो उनके साथ गठबंधन करने के लिए तैयार हैं. साथ ही वो कह चुके हैं कि पायलट के कांग्रेस छोड़ने से जबरदस्त माहौल बनेगा और दोनों के गठबंधन से फायदा भी होगा. बता दें कि पिछले चुनाव के दौरान भी बेनीवाल ने इसी तरह वरिठ नेता घनश्याम तिवारी के साथ गठबंधन किया था, हालांकि तिवाड़ी की पूरी पार्टी का ही सूपड़ा साफ हो गया था. जिसके बाद तिवाड़ी कांग्रेस और फिर भाजपा में ही लौट गए.
दूसरी ओर पिछले दिनों हनुमान बेनीवाल की बेटी दीया की बर्थडे पार्टी में अरविन्द केजरीवाल भी पहुंचे थे, जिसके बाद नए सियासी समीकरण बनने संकेत दिखाई दिए. लिहाजा ऐसे में चर्चाएं हैं कि चुनाव से पहले दोनों पार्टियां गठबंधन कर सकती है. दोनों ही पार्टियां मुख्यमंत्री गहलोत और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को निशाने पर ले रही है, हालांकि अब इसमें नाम सचिन पायलट का भी जुड़ गया है, जिसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव से पहले प्रदेश में एक तिकड़ी दिखाई दे सकती है.
हालांकि इन चर्चाओं में कई पेंच भी है. जैसे कि पायलट लम्बे वक्त से कांग्रेस में रह कर ही संघर्ष करने की बात कह चुके हैं. मंगलवार को पायलट के अनशन का कार्यक्रम भी इसी स्टैंड से जोड़ कर ही देखा जा रहा है, साथ ही राजस्थान में आज तक कभी भी तीसरा मोर्चा सफल नहीं हो पाया है. राजस्थान की जनता पिछले तीन दशक से एक बार कांग्रेस एक बार भाजपा को जीतते आई है, ऐसे में तीसरे मोर्चे का आईडिया रिस्की है. साथ ही राजस्थान की पॉलिटिक्स भी अन्य राज्यों से बेहद अलग है.
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