Rajsamand: आश्रय भवन के निर्माण में भ्रष्टाचार का खेल! बजरी की जगह सेंड डस्ट का हो रहा है इस्तेमाल
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Rajsamand: आश्रय भवन के निर्माण में भ्रष्टाचार का खेल! बजरी की जगह सेंड डस्ट का हो रहा है इस्तेमाल

नगर पालिका नाथद्वारा द्वारा बनाया जा रहे इस भवन में करीब 45 लाख की लागत आनी है, तो वहीं भवन के लिए किए जा रहे निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है. ठेकेदार बजरी की जगह सेंड डस्ट का इस्तेमाल धड़ेले से कर रहा है और जिम्मेदार अधिकारी घटिया निर्माण पर आंखें मूंदे हुए बैठे हैं. 

Rajsamand: आश्रय भवन के निर्माण में भ्रष्टाचार का खेल! बजरी की जगह सेंड डस्ट का हो रहा है इस्तेमाल

Rajsamand: जिले के नाथद्वारा में हॉस्पिटल में मरीजों के परिजनों की सुविधा के लिए बनाए जा रहे आश्रय भवन के निर्माण में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. बता दें कि नगर पालिका नाथद्वारा द्वारा बनाया जा रहे इस भवन में करीब 45 लाख की लागत आनी है, तो वहीं भवन के लिए किए जा रहे निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है. ठेकेदार बजरी की जगह सेंड डस्ट का इस्तेमाल धड़ेले से कर रहा है और जिम्मेदार अधिकारी घटिया निर्माण पर आंखें मूंदे हुए बैठे हैं. 

जानकारी के अनुसार एक निजी कंपनी को यह ठेका दिया हुआ है. यह निर्माण केंद्र सरकार की दीनदयाल उपाध्याय योजना के तहत हो रहा है. बता दें कि राजसमंद जिले के नाथद्वारा गोवर्धन अस्पताल में मरीजों के तीमारदारों की सुविधा के लिए करीब 45 लाख रुपये की लागत से आश्रय भवन का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें ठेकेदार घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर रहा है. इस बारे में नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे हुए है. 

केंद्र सरकार की पंडित दीनदयाल योजना के तहत करीब 45 लाख रुपए की लागत से बनने वाले इस भवन का निर्माण नगर पालिका नाथद्वारा द्वारा करवाया जा रहा है. इसका ठेका भरतपुर की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया है, लेकिन इस इमारत के निर्माण में ठेकेदार बजरी की जगह सेंड डस्ट का इस्तेमाल कर रहा है, जो ना ही ठेके की शर्त के अधीन हैं. ठेकेदार निर्माण में बजरी की जगह पूरी तरह से सेंड डस्ट का इस्तेमाल कर रहा है, जो भी काफी निम्न स्तर की है. 

इस बारे में पूछने पर ठेकेदार सकपका गया और अपना ठीकरा नगरपालिका के माथे फोड़ते हुए कहने लगा कि आप नगर पालिका से ही जानकारी लेना, तो वहीं नाथद्वारा नगर पालिका के AEN 2nd फतेह सिंह से जब इस बारे में जानकारी लेनी चाही, तो उन्होंने खुद यह कबूल किया कि निर्माण में इस्तेमाल में ली जा रही सेंड बेस्ट निम्न स्तर की है और इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. 

अब ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अपने मरीजों का इलाज कराने वाले तीमारदार पहले ही परेशान होकर अस्पताल आते हैं. अब उनके आश्रय स्थल में भी घोटाले की तैयार हो रही इमारत कितने दिन चल पाएगी, यह देखने वाली बात होगी. 

Reporter- Devendra sharma

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