300 साल से भी ज्यादा पुराना वन बिहारी लाल मंदिर,वन बिहारी आज भी करते हैं गायों की रक्षा
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300 साल से भी ज्यादा पुराना वन बिहारी लाल मंदिर,वन बिहारी आज भी करते हैं गायों की रक्षा

बताया जाता है कि यह मंदिर श्रीनाथजी मंदिर से भी पुराना है. इस मंदिर में विराजे प्रभु को साधु संतों द्वारा लाया गया था और तब से लेकर अब तक प्रभु वन बिहारी लाल चतुभुर्ज वाले यहां पर ही विराज मान हैं.

300 साल से भी ज्यादा पुराना वन बिहारी लाल मंदिर,वन बिहारी आज भी करते हैं गायों की रक्षा

Nathdwara: राजसमंद जिले के नाथद्वारा में स्थित 300 साल से भी ज्यादा पुराने वन बिहारी लाल मंदिर की अब जाकर सुध ली गई है. इस मंदिर की दीवारे जर्जर अवस्था में आ चुकी हैं और इस मंदिर के मुखिया ने मंदिर के जीर्णोद्वार के लिए विशाल बावा से बात कही तो इस पर श्रीनाथजी मंदिर के विशाल बावा ने मंदिर का जायजा लेते हुए मंदिर के जीर्णोद्वार का ऐलान किया. आपको बता दें कि नाथद्वारा के नाथूवास गौशाला के ठीक सामने यह प्राचानी मंदिर बना हुआ है.

बताया जाता है कि यह मंदिर श्रीनाथजी मंदिर से भी पुराना है. इस मंदिर में विराजे प्रभु को साधु संतों द्वारा लाया गया था और तब से लेकर अब तक प्रभु वन बिहारी लाल चतुभुर्ज वाले यहां पर ही विराज मान हैं. प्रभु वन बिहारी लाल के बारे में बताया जाता है कि यह गायों की रक्षा आज भी करते हैं और इसी का परिणाम है कि आज तक किसी भी गायों के कोई नुकसान नहीं पहुंचा है यानि किसी भी जंगली जानवर द्वारा गायों को नुकसान नहीं पहुंचाया गया है. इस मंदिर में एक पानी की प्राचीन बावड़ी भी बनी हुई है.जिसके पानी से गायों के लिए चारा तो वहीं वहां पर बनी गौशाला में भी पानी सप्लाई होता है.

इस मंदिर की वर्षों से सेवा कर रहे पुजारी माणक लाल शर्मा ने बताया कि यह प्राचीन मंदिर वन ​बिहारी लाल मंदिर के नाम से विख्यात है. पुजारी माणक लाल शर्मा बताते हैं कि यह प्रभु जंगल में रहने वाले और गाय चराने वाले हैं जो गौलोक की गायों को चराकर वापस गौशाला में छोड़ते हैं और इन प्रभु की कृपा की वजह से ही आज तक एक भी गाय का किसी भी जंगली जानवर शिकार नहीं बना पाए हैं. आज भी प्रभु वन बिहारी लाल द्वारा गायों की रक्षा की जाती है. पुजारी ने प्रभु की प्राचीन प्रतिमा के बारे में बताया कि आप प्रतिमा को देखकर ही अनुमान लगा सकते हैं कि यह कितनी पुरानी प्रतीमा है. सबसे खास बात यह है कि इस प्रतिमा का स्वरूप छोटा है लेकिन चतुभुर्ज धारण किए हुए हैं. प्रभु के एक हाथ में सुदर्शन चक्र है, गदा, पदम और शंक है.

नाथद्वारा में स्थित प्राचीन वन बिहारी मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए श्रीनाथजी मंदिर मंडल के सीईओ जितेंद्र ओझा ने जी मीडिया को बताया कि प्रभु ब्रज से नाथद्वारा पधारे तो वहीं उनके साथ साथ प्रभु की लीला भी यहां हुई और प्रभु के साथ गौमाता भी साथ में पधारी. ओझा ने बताया कि प्रभु के यहां पर पधारे हुए लगभग 370 साल से भी ज्यादा हो गए हैं.

उस समय गायों के लिए मेवाड़ के तत्कालीन महारणा ने गायों के भूमि दान की थी. वन में गायों के घूमने के दौरान गायों को कोई कष्ट ना हो इस लिए प्रभु वन बिहारी लाल यहां पर आज भी विराजमान है. उन्होंने बताया कि तिलकायत महाराज श्री की आज्ञा के चलते व विशाल बावा के निरीक्षण के दौरान इस मंदिर के मुखिया यानि पुजारी के जीर्णोद्वार के लिए बात कही.

इस पर विशाल बावा ने इस प्राचीन मंदिर के साथ साथ बावड़ी के जीर्णोद्वारा का ऐलान किया और इसी के चलते भूमि का पूजन कर दिया गया है. सीईओ जितेंद्र ओझा ने बताया कि इस मंदिर का लगभग एक वर्ष में जीर्णोद्वार का कार्य पूर्ण कर दिया जाएगा.

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