ACB considered Munesh Gurjar as accused: जयपुर नगर निगम हेरिटेज की मेयर मुनेश गुर्जर की मुसीबतें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. रिश्वतखोरी के एक प्रकरण में एसीबी ने मेयर मुनेश गुर्जर को आरोपी माना है. पट्टे जारी करने की एवज में लाखों रुपए की रिश्वत लेने से जुड़े 8 महीने पुराने प्रकरण में एसीबी ने मेयर मुनेश गुर्जर को आरोपी माना है और अब मुनेश के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार से अभियोजन स्वीकृति की मांग की है.
सरकार से अभियोजन स्वीकृत मिलने के बाद एसीबी मेयर मुनेश गुर्जर को कभी भी गिरफ्तार कर सकती है. दरअसल, अगस्त 2023 के रिश्वत के एक प्रकरण में अनुसंधान में एसीबी ने मेयर मुनेश गुर्जर को भी आरोपी माना है. उनके खिलाफ चालान पेश कर मुकदमा चलाने के लिए सरकार को अभियोजन स्वीकृति के लिए फाइल भी भेजी है. यदि सरकार या सक्षम विभाग मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ चालान पेश कर अभियोजन स्वीकृति की फाइल को मंजूरी देता है तो मेयर मुनेश गुर्जर को एसीबी गिरफ्तार कर सकती है. साथ ही मुनेश गुर्जर को मेयर की सीट से भी हाथ धोना पड़ सकता है.
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आपको बता दें कि 4 अगस्त 2023 को एसीबी ने एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए मेयर मुनेश गुर्जर के हसनपुरा शांति कॉलोनी स्थित घर पर छापा मारा. जहां मेयर के पति सुशील गुर्जर, दलाल नारायण सिंह और अनिल दुबे को 2 लाख रुपए की रिश्वत लेते–देते गिरफ्तार कर लिया. एसीबी ने मेयर के घर में सर्च के दौरान करीब 41 लाख रुपए नकद और पट्टे जारी करने की स्वीकृति के लिए आई कुछ फाइलें भी बरामद की. वहीं, कुछ दूर स्थित दलाल नारायण सिंह के घर सर्च कार्रवाई में करीब 9 लाख रुपए नकद बरामद किए थे. एसीबी ने तीनों आरोपियों को रिमांड पर रखने के बाद जेल भेज दिया था. जहां से मेयर के पति सुशील गुर्जर सहित तीनों आरोपियों की जमानत हो गई.
वहीं, एसीबी ने नवंबर 2023 में मेयर मुनेश गुर्जर के भी बयान लिए. इसके बाद अनुसंधान अधिकारी एडिशनल एसपी राजेंद्र नैन ने इस प्रकरण की जांच इसी साल अप्रैल माह में पूरी की. जिसमें सभी तथ्यों के आधार पर मेयर मुनेश गुर्जर की भूमिका को भी मिलीभगत करने के तौर पर माना, क्योंकि पट्टे जारी करने की फाइलों पर मेयर के साइन होते थे. ज्यादातर फाइलें मेयर के घर पर निकाली गई. इसमें उनके पति सुशील की मुख्य भूमिका थी.
रिश्वत प्रकरण के बाद तत्कालीन गहलोत सरकार ने मेयर मुनेश गुर्जर को निलंबित कर दिया था. जिसमें मेयर ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. तब हाईकोर्ट के आदेश पर मुनेश को वापस मेयर की कुर्सी पर बहाली मिली, लेकिन अब एसीबी द्वारा रिश्वत प्रकरण में आरोप प्रमाणित मानने पर राहत नहीं मिल पाएगी.अब देखना होगा क्या भजनलाल सरकार में मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के लिए हां में जवाब मिलता है या ना में.