राजस्थान का एक ऐसा मंदिर जहां औरंगजेब को भी घुटना टेक मांगनी पड़ी थी माफी
Sikar news: जीण माता मंदिर का नवरात्रों के मेले 22 मार्च से होगा शुरू. 800 पुलिस जवान सुरक्षा की कमान संभालेंगे. औरंगजेब ने भी उस समय अपनी गलती मानकर माता को अखंड ज्योत जलाने का वचन दिया था.
Trending Photos

Sikar news: दुर्गा का रूप जीण माता का नवरात्रा के मेले 22 मार्च से शुरू होगा. मेले को लेकर तैयारियां लगभग अंतिम दौर में है. मंदिर की भव्य सजावट की गई है. 800 पुलिस जवान सुरक्षा की कमान संभालेंगे. लाखों श्रद्धालु जीण माता के नो दिवसीय मेले में आकर माता के दर्शन कर मनौतियां मांगेंगे पूजा अर्चना करेंगे. सीकर की जीण माता का विशाल मंदिर अरावली की पहाड़ियों में जीण माता गांव में स्थित है. इस मंदिर के बारे में पुजारी बताते है की मुगल औरंगजेब की सेना तोड़ने पहुंची तो मधुमक्खियों (भंवरों) ने उन पर हमला कर, उनके नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया था.
जीणमाता के इतिहास
जीण माता का जन्म चूरू जिले के घांघू के राजपूत परिवार में हुआ था. वह अपने भाई से बहुत स्नेह करती थीं. माता जीण अपनी भाभी के साथ तालाब से पानी लेने गई. पानी लेते समय भाभी और ननद में इस बात को लेकर झगड़ा शुरू हो गया कि हर्ष किसे ज्यादा स्नेह करता है. इस बात को लेकर दोनों में यह निश्चय हुआ कि हर्ष जिसके सिर से पानी का मटका पहले उतारेगा वही उसका अधिक प्रिय होगा. भाभी और ननद दोनों मटका लेकर घर पहुंची लेकिन हर्ष ने पहले अपनी पत्नी के सिर से पानी का मटका उतारा.
यह देखकर जीण माता नाराज हो गई नाराज होकर वह आरावली के काजल शिखर पर पहुंच कर तपस्या करने लगीं.अभी तक हर्ष इस विवाद से अनभिज्ञ था. इस शर्त के बारे में जब उन्हें पता चला तो वह अपनी बहन की नाराजगी को दूर करने उन्हें मनाने काजल शिखर पर पहुंचे और अपनी बहन को घर चलने के लिए कहा लेकिन जीण माता ने घर जाने से मना कर दिया. बहन को वहां पर देख हर्ष भी पहाड़ी पर भैरों की तपस्या करने लगे और उन्होंने भैरो पद प्राप्त कर लिया.जीण माता का वास्तविक नाम जयंती माता है. माना जाता है कि माता दुर्गा की अवतार है. घने जंगल से घिरा हुआ है यह मंदिर तीन छोटी पहाड़ों के संगम पर स्थित है.
इस मंदिर में संगमरमर का विशाल शिव लिंग और नंदी प्रतिमा आकर्षक है. इस मंदिर के बारे में कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है. फिर भी कहते हैं की माता का मंदिर 1000 साल पुराना है. लेकिन कई इतिहासकार आठवीं सदी में जीण माता मंदिर का निर्माण काल मानते हैं. लोक मान्यता के अनुसार एक बार मुगल औरंगजेब ने राजस्थान के सीकर में स्थित जीण माता और भैरों के मंदिर को तोडने के लिए अपने सैनिकों को भेजा. जब यह बात स्थानीय लोगों को पता चली तो बहुत दुखी हुए. औरंगजेब के इस व्यवहार से दुखी होकर लोग जीण माता की प्रार्थना करने लगे. बताया जाता है की इसके बाद जीण माता ने अपना चमत्कार दिखाया और वहां पर मधुमक्खियों के एक झुंड ने मुगल सेना पर धावा बोल दिया था. मधुमक्खियों के काटे जाने से बेहाल पूरी सेना घोड़े और मैदान छोड़कर भाग खड़ी हुई. कहते है कि औरंगजेब की हालत बहुत गंभीर हो गई तब अपनी गलती मानकर माता को अखंड ज्योत जलाने का वचन दिया और कहा कि वह हर महीने सवा मन तेल इस ज्योत लिए भेंट करेगा.
नवरात्रा में जीणमाता में मेले में देश भर से लाखो श्रद्धालु आयेंगे और मातारानी के दर्शन करेंगे है .इसके लिए तमाम व्यवस्था को अंजाम दिया जा चुका है.
More Stories