Jaipur: आज भी अंगदान को लेकर जागरूकता की कमी के कारण लोगों के मन में अंगदान के बारे में भय और मिथक हैं. अंगदान में अंगदाता के अंगों जैसे कि हृदय, लीवर, गुर्दे, आंत, फेफड़े, और अग्न्याशय का दान उसकी मृत्यु के पश्चात जरूरतमंद व्यक्ति में प्रत्यारोपित करने के लिए किया जाता है.
अंगदान पूरी तरह से आपकी सोच पर निर्भर करता है. यदि आप दूसरों को जीवन दान करना चाहते हैं तो यह अंगदान एक बेहतर विकल्प हो सकता है, आप जीवित रहते हुए मरने के बाद दूसरों को एक स्वस्थ जीवन दे सकते हैं. अंग की जरूरत किसी को भी हो सकती है, वह आपका मित्र या परिवार को कोई सदस्य भी हो सकता है या ऐसा अंजान व्यक्ति जिसे अंग की जरूरत हो.
राजस्थान प्रदेश में अब तक 41 कैडेवर डोनेशन हो चुके हैं यानी 41 ऐसे ब्रेन डेड मरीज जिनके अंग जरूरतमंद मरीजों को लगाए जा चुके हैं. लेकिन प्रदेश की बात की जाए तो अवेयरनेस नहीं होने के चलते जरूरतमंद लोगों को समय पर अंग नहीं मिल पा रहे. ऐसे में स्टेट ऑर्गन टिशु एंड ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (SOTTO) की ओर से अब एक मुहिम चलाई जाएगी, ताकि ब्रेन डेड हो चुके मरीज के अंग जरूरतमंद मरीजों को लगाए जा सके.
स्टेट ऑर्गन टिशु एंड ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (सोटो) के नोडल ऑफिसर डॉ मनीष शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि अब तक राजस्थान में 41 डोनर्स ने अपने अंग दान किए हैं यानी 41 ऐसे लोग जो किसी हादसे की वजह से ब्रेन डेड हो गए तो उनके अंग जरूरतमंद मरीजों को लगाए गए हैं. इसी के चलते एक मुहिम सोटो की ओर से चलाई जाएगी ताकि अंगदान को लेकर जागरूकता लोगों में बढ़ सके.
डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि सोटो के एसोसिएट हॉस्पिटल्स में कैडेवर ट्रांसप्लांट को लेकर ट्रेनिंग दी जाएगी और इन अस्पतालों में जागरूकता को लेकर विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे.
- प्रदेश की मौजूदा स्थिति
- अब तक 41 डोनर्स ने दिए अंग 75 मरीजों को लगाई गई किडनी.
- 21 मरीजों को लगाया गया हार्ट.
- 3 मरीजों को लगाए गए फेफड़े, 36 मरीजों को लगाए गए लिवर.
इतने लोगों को अंगों की जरूरत
- 290 मरीजों को किडनी की आवश्यकता 47 मरीजों को लीवर की आवश्यकता.
- 22 मरीजों को हार्ट की आवश्यकता.
देश की स्थिति
- देश में 1.8 लाख मरीज गुर्दे के रोगों से पीड़ित.
- सिर्फ 6000 मरीजों को मिल पाते हैं गुर्दे.
- 2 लाख मरीजों की मौत हर साल लिवर फेल या लीवर के कैंसर के कारण होती है.
- सिर्फ 10 से 15% मरीजों को ही हो पाता है लिवर ट्रांसप्लांट.
- हर साल 25 से 30 हजार लिवर ट्रांसप्लांट की जरुरत - 50,000 मरीज दिल की बीमारियों से पीड़ित.
- सिर्फ 10 से 15 हार्ट ट्रांसप्लांट हो रहे हर साल.
कौन कर सकता है अंगदान
जीवित दाता: इन्हें लिविंग डोनर भी कहते हैं. अगर परिवार में किसी को अंग प्रत्यारोपण की जरूरत है, तो कोई सदस्य मेडिकल रिपोर्ट्स नार्मल रहने पर अंगदान कर सकता है. दोस्त, रिश्तेदार और अनजान लोग भी अंग दान कर सकते हैं. लेकिन पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है.
जीवित दाता अपने जीवन काल में अपनी एक किडनी और फेफड़े का एक भाग दान कर सकता है. लिवर अर्थात् यकृत में पुन: निर्माण की क्षमता होती है. अग्नाशय अर्थात पेट की कार्य क्षमता को देखते हुए इसका एक भाग दान किया जा सकता है. दुर्लभ परिस्थिति में आंत का एक हिस्सा भी दान हो सकता है.
ब्रेन डेड
इसमें मनुष्य का मस्तिष्क पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है. क्योंकि मस्तिष्क में ऑक्सीजन और रक्त नहीं पहुंच पाता. ब्रेन डेड स्थायी और ठीक न होने वाली स्थिति है, इसलिए इसमें ऑर्गन डोनेशन मान्य है. वेंटिलेटर पर लाइफ सपोर्ट सिस्टम से अप्राकृतिक रूप से श्वास तो चलती है, मगर दिमाग काम नहीं करता. इसके लिए परिवार की सहमति जरूरी है.