टोंक के ऐतिहासिक कोड़ामार होली का अपना अलग ही रोमांच होता है, इसके शुरुआत और खत्म करने की भी परम्परा है
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Unique Holi of Gujjars: वृंदावन और बरसाना की कोड़ामार होली की तर्ज पर टोंक में भी कोड़ामार होली का रोमांच हर साल धुलंडी पर दिखाई देता है. जिसका आनंद ना सिर्फ कोड़ा मारने वाली महिलाएं लेती है बल्कि वहां हजारों की संख्या में मौजूद लोग भी इसका आनंद लेते दिखाई देते है. होली और धूलंडी पर टोंक की कोड़ामार होली की अपनी अलग पहचान है.
कड़ाव में भरे रंग को बाल्टी और बर्तनों में भरकर ले जाते लोगों को कोड़े मारने की ये परंपरा दरअसल गुर्जर समाज की ओर से आयोजित होने वाली कोड़ा मार होली का रोमांच है, जिसे देखने हीरा चौक क्षेत्र ही नहीं शहरभर से लोग खास तौर पर गुर्जर समाज के लोग पहुंचते हैं दरअसल होलिका दहन के अगले दिन यानि धुलण्डी के मौके पर जिला मुख्यालय के हीरा चौक में गुर्जर समाज की कोड़ामार होली होती है. जहां एक बड़े लोहे के कड़ाव में पानी भरकर इसमें रंग डाला जाता है, इस कड़ाव से रंग लेने के लिए जैसे ही समाज के लोग आते हैं, महिलाएं रंग से भरे कड़ाव की रक्षा करती है और पानी भरने वाले युवक का पानी से भीगे कोड़े से स्वागत किया जाता है.
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टोंक के ऐतिहासिक कोड़ामार होली का अपना अलग ही रोमांच होता है, इसके शुरुआत और खत्म करने की भी परम्परा है, समाज के कोई बुजुर्ग पानी की बाल्टी भरते है जिसके साथ ही होली शुरू हो जाती है. इसके बाद चतुर्भुज तालाब जाकर राजाजी की बावड़ी में गुर्जर समाज के लोग कबड्डी खेलते हैं.
रिपोर्टर- पुरूषोत्तम जोशी