वल्लभनगर सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर तस्वीर हुई साफ, 9 प्रत्याशी दिखाएंगे दमखम
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वल्लभनगर सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर तस्वीर हुई साफ, 9 प्रत्याशी दिखाएंगे दमखम

उदयपुर की वल्लभनगर विधानसभा सीट पर हो रहा उपचुनाव, आम चुनावों से भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है. 

उपचुनाव को लेकर अब तस्वीर साफ हो चुकी है.

Udaipur: राजस्थान के उदयपुर (Udaipur News) संभाग की सबसे हॉट वल्लभनगर विधानसभा (Vallabhnagar Assembly) सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर अब तस्वीर साफ हो चुकी है. नाम वापसी की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र के चुनावी रण में अब 9 प्रत्याशी अपना दमखम दिखाएंगे. हालांकि इस बीच प्रमुख मुकाबला , भाजपा (BJP), कांग्रेस (Congress) जनता सेना और आरएलपी (RLP) के बीच देखने को मिलेगा तो वही बीटीपी सहित चार निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी रण में अपना भाग्य आजमा रहे है. इस चुनाव को जहां भाजपा और कांग्रेस 2023 के चुनाव से पहले का सेमीफाइनल मान रही है लेकिन उपचुनाव का चुनावी रण कई नेताओं के लिए फाइनल मुकाबले के रूप में देखा जा रहा है. 

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उदयपुर की वल्लभनगर विधानसभा सीट पर हो रहा उपचुनाव, आम चुनावों से भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस उपचुनाव के परिणाम पर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें जमी हुई है. उपचुनाव का चुनावी परिणाम क्षेत्र के कई दिग्गज नेताओं के साथ राजनीतिक दलों की दशा और दिशा को तय करेगा. बुधवार को नाम वापसी की प्रक्रिया पूर्ण होने के साथ ही चुनावी रण में उतरने वाले योद्धाओं की तस्वीर भी साफ हो गई.

वल्लभनगर के चुनावी रण में कांग्रेस, भाजपा, जनता सेना, आएलपी और बीटीपी के प्रत्यासियों के साथ चार अन्य प्रत्यासी भी अपना भाग्य आजमा रहे हैं.  हालाकि मुख्य मुकाबला कांग्रेस की प्रीति शक्ततावत (Preeti shaktavat), जनता सेना के रणधीरसिंह भींडर (Randhir Singh Bhinder), भाजपा के हिम्मतसिंह झाला (Himmat Singh Jhala) और भाजपा से बागी होने के बाद आएलपी का दामन थान चुनावी रण में उतरे उदयलाल डांगी के बीच है. हालाकि भाजपा के टिकट की घोषणा के बाद एकाएक वल्लभनगर की चुनावी राजनीति गड़बड़ा गई है. 

दरअसल चुनावी (Election) प्रत्याशियों के घोषणा से पहले माना जा रहा था कि भाजपा इस बार भी 2018 में करीब 45 हजार वोट लाने वाले उदयलाल डांगी पर ही अपना भरोसा दिखाएगी लेकिन अंत मे पार्टी ने समाज सेवी के रूप में क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखने वाले युवा समाज सेवी और पार्टी के कार्यकर्ता हिम्मतसिंह झाला को टिकट दे दिया. इस पर खफा होकर डांगी ने बगावत कर दी और आएलपी सुप्रीमों हनुमान बेनीवाल का हाथ थाम कर चुनावी मैदान में ताल ठोक दी. डांगी की इस बगावत ने चुनावी रण के समीकरणों को बदलते हुए भाजपा के साथ कांग्रेस और जनता सेना के लिए भी नई चुनोती खड़ी कर दी है.

पिछले दो चुनावो में त्रिकोणीय मुकाबले वाली इस सीट पर इस बार चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा लेकिन यह उपचुनाव 2023 के विधनसभा चुनाव को लेकर सजने वाली चुनावी बिसाद लिहाज से बेहद मत्वपूर्ण है. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्यासी प्रीति शक्ततावत जीत दर्ज करती है तो क्षेत्र में कांग्रेस के साथ शक्ततावत परिवार का दबदबा ओर बढ़ जाएगा. साथ ही संभावना जताई जा सकती है कि वर्ष 2023 में भी कांग्रेस पार्टी शक्ततावत परिवार की बहू प्रीति पर ही अपना दाव लगाए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो वल्लभनगर की राजनीति में शक्ततावत परिवार का वर्चश्व कम होगा और पार्टी किसी नए चेहरे को मौका दे सकती है. कुछ ऐसी ही गणित जनता सेना सुप्रीमों रणधीरसिंह भींडर के साथ भी देखी जा रही है. 

जनता सेना के गठन के बाद हुए दो चुनावों में जनता सेना सुप्रीमों भींडर को एक में जीत तो दूसरे में हार का स्वाद चखना पड़ा. ऐसे में अगर वह उपचुनाव हार जाते है तो इसका खामियाजा उन्हें और पार्टी दोनों को उठाना पड़ेगा लेकिन अगर वे इस चुनाव में बाजी मार लेते है तो वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव से पूर्व उनकी भाजपा में वापसी की सम्भावतनाएं ओर बढ़ जाएगी. त्रिकोणीय मुकाबले के बीच तीसरे स्थान पर रहने वाली भाजपा ने लगातार तीसरी बार अपना प्रत्यासी बदला है.

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2013 में भाजपा ने गणपत मेनारिया (Ganpat Menaria) को मैदान में उतारा, जो पार्टी की जमानत नहीं बचा पाए. हालाकि 2018 में उदयलाल डांगी को 45 हजार वोट मिले लेकिन पार्टी तीसरे नम्बर पर ही रही. उपचुनाव में फिर पार्टी ने अपना चेहरा बदला और युवा समाज सेवी हिम्मत सिंह पर दांव लगाया. अगर भाजपा का यह दाव सही लगा तो दो दशकों से वल्लभनगर में मुरजया हुआ कमल खिल उठेगा लेकिन अगर भाजपा इस बार भी तीसरे और चौथे नम्बर पर रही तो वल्लभनगर क्षेत्र में भाजपा पूरी तरह से खत्म हो जाएगी. वहीं, युवा नेता झाला के राजनीतिक सफर पर संकट मंडरा सकता है. साथ ही, प्रदेश में अपने आप को तीसरा विकल्प बता रही आएलपी को मेवाड़ में मजबूत प्रत्याशी मिलने से आएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल पूरे जोश में चुनावी मैदान में उतरे है. बेनीवाल पहले ही बोल चुके है कि उनका लक्ष्य किसी पार्टी को हराना और जितना नहीं है. वह वल्लभनगर के इस चुनावी रण में जीत दर्ज कर मेवाड़ के रास्ते 2023 में रजधानी की ओर कदम बढ़ाना चाहते है लेकिन अगर डांगी ने अपेक्षाकृत प्रदर्शन नहीं किया तो उनके साथ मेवाड़ में आएलपी का सफर शुरू होने से पहले ही दम तोड़ देगा. 

बहरहाल ऐसा नहीं है कि इस उपचुनाव में स्थानीय नेताओं की साख ही दांव पर है. उपचुनाव में प्रभारी मंत्री प्रतापसिंह खचरियावास का सत्ता के साथ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पुनिया और चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी की साख दांव पर है. ऐसे में, जो भी संगठन यह चुनाव जीतेगा उसका लाभ चुनावी कमान संभाल रहे नेताओं को होगा. 

Reporter- Avinash Jagnawat 

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