इस बार कोरोना संक्रमण (Corona infection) के बीच आए ताऊते तूफान ने चित्तौड़गढ़ में असर दिखाया और इसके चलते आसपास के ग्रामीण अंचलों से आने वाली कच्ची कैरी की आपूर्ति में कमी हुई है.
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Chttorgarh: गरीब हो या अमीर, आचार हर खाने की थाली का एक हिस्सा होता है. प्रदेश में कई स्थानों का अचार की तो विदेशों में मांग होती है लेकिन कच्ची कैरी के अचार का मजा ही कुछ और होता है.
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इस बार कोरोना संक्रमण (Corona infection) के बीच आए ताऊते तूफान ने चित्तौड़गढ़ में असर दिखाया और इसके चलते आसपास के ग्रामीण अंचलों से आने वाली कच्ची कैरी की आपूर्ति में कमी हुई है. तेज हवाओं के चलने से पेड़ों पर लगी कच्ची कैरी टूट गई और खराब अभी हुआ है. वहीं, समय के पहले इन कच्ची कैरी के टूट कर गिर जाने से इनके खटास में भी कमी आई है.
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इन सभी कारणों के चलते मांग के अनुपात में आपूर्ति नहीं हो पा रही है. इसका सीधा असर कैरी के दाम पर देखने को मिल रहा है. पिछले साल जून माह में ₹30 प्रति किलो मिलने वाली कच्ची कैरी 40 से 50 रुपये प्रति किलो मिल रही है.
अचार पर पड़ी मौसम की मार
जून माह में बारिश की शुरुआत के साथ ही घरों में अचार बनाने का काम महिलाएं शुरू कर देती हैं और साल भर यह आचार खाने का स्वाद बढ़ाता है लेकिन इस बार मौसम की मार और महंगाई के चलते खाने की थाली का अचार महंगा पड़ता दिख रहा है. हालात यह है कि महंगी होने के बावजूद भी मनचाही कच्ची कैरी बाजार में उपलब्ध नहीं हो पा रही है. जिला मुख्यालय के कपासन उपखंड में राशमी और आसपास से आने वाली कैरी की आपूर्ति खराबी के चलते कम हो रही है और ऐसे में खाने की थाली में अचार के स्वाद पर मौसम का असर देखने को मिल रहा है. 5 रुपये प्रति किलो कैरी की कटिंग का भी लिया जा रहा है.
45 से 55 रुपये प्रति किलो में मिल रही कच्ची कैरी
ऐसे में ग्राहकों को यह कच्ची कैरी 45 से 55 रुपये प्रति किलो में मिल रही है. हालांकि सीजन होने के चलते मांग में कोई कमी नहीं आई है लेकिन आपूर्ति पर्याप्त नहीं होने के कारण दरों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, जो खाने की थाली में अचार के स्वाद को महंगा कर रही है.
Reporter- Deepak vyas