बीजेपी के नक्शे कदम पर कांग्रेस, पार्लियामेंट्री बोर्ड बनाकर पीएम मोदी को हराने की बनी रणनीति
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बीजेपी के नक्शे कदम पर कांग्रेस, पार्लियामेंट्री बोर्ड बनाकर पीएम मोदी को हराने की बनी रणनीति

कांग्रेस के नव संकल्प शिविर के बीच कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक आयोजित हुई. बैठक में 6 कमेटियों की रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपी गई. कमेटी की रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं.

बीजेपी के नक्शे कदम पर कांग्रेस, पार्लियामेंट्री बोर्ड बनाकर पीएम मोदी को हराने की बनी रणनीति

उदयपुर: कांग्रेस के नव संकल्प शिविर के बीच कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक आयोजित हुई. बैठक में 6 कमेटियों की रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपी गई. कमेटी की रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं. सूत्रों के अनुसार, भाजपा की तरह एक पार्लियामेंटरी बोर्ड बनाने का सुझाव भी दिया गया है.

साथ ही चुनाव लड़ने की अधिकतम उम्र तय का भी जिक्र किया गया है. युवाओं को मौका देने के लिए 50% टिकट 45 वर्ष से कम उम्र वाले नेताओं को देने की अपील की गई है. इसके अलावा पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार के लिए बेरियर लगाने का भी सुझाव सोनिया गांधी को दिया गया है.  नव संकल्प शिविर में 2 दिनडिस्कशन के बाद सुझावों की रिपोर्ट सौंपी गई है. पैनल के कन्वीनर्स ने सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौंपी है. 

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मनरेगा और न्याय योजना की चर्चा

साथ ही नव संकल्प शिविर में कांग्रेस ने जिन मुद्दों पर चर्चा की गई है, उसमें दो बड़े मसले मनरेगा और न्याय योजना को नहीं भुना पाने की नाकामी शामिल है. अलग-अलग विषयों पर बनी कमेटियों में नेताओं ने कहा है कि मनरेगा जैसी बड़ी योजना अगर भारतीय जनता पार्टी लेकर आती तो देश भर में उसके पास मज़दूरों का एक बहुत बड़ा संगठन खड़ा होता, जिसके बूते पर उसकी राजनीतिक ज़मीन और मज़बूत बनी रहती.

समय पर संदेश नहीं पहुंचाने की कीमत चुकानी पड़ी

कांग्रेस देश में मज़दूर और आम आदमी के जीवन में बदलाव लाने वाली मनरेगा जैसी योजना लाई, लेकिन इस योजना के ज़रिए अपने वोट बैंक को मज़बूत नहीं कर पाई. इस योजना में शामिल जिन मज़दूरों को लाभ मिला उनका कांग्रेस के पास कोई डेटा नहीं है वे कांग्रेस के कार्यकर्ता भी नहीं है. पार्टी की विचारधारा से जुड़े हुए नहीं है और न ही उनका कोई संगठन तैयार किया जा सका है. शिविर में इस बात पर मंथन हुआ कि पार्टी ने न्याय योजना जैसी बड़ी योजना समय रहते नहीं घोषित की, जिससे पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी जनता के बीच इसका संदेश नहीं पहुंचा पाई. न्याय योजना देश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव लाने वाली योजना साबित होती, लेकिन लोगों को योजना समझाने में पार्टी नाकाम रही, जिससे लोकसभा चुनाव में इसकी क़ीमत हार के तौर पर चुकानी पड़ी.

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