Chittorgarh: पुरुषों या परिवार को जातिगत रूप से बहिष्कार (caste exclusion) करने के मामले आए दिन सामने आते हैं, लेकिन क्या कहा जाए जब पुरुष प्रधान समाज में खाप पंचायत पहले तो खुद ही एक विवाहिता महिला जो पति और ससुर की छेड़छाड़ से परेशान हो उसका तलाक करा दे और बाद में जब वह पुलिस की शरण लेने जाए तो पुलिस (Police Case) में दर्ज प्रकरण को वापस लेने का दबाव बनाया जाए. दबाव नहीं मानने पर जातिगत बहिष्कार का भी सामना करना पड़े. महिला सुरक्षा के और सशक्तिकरण के दावों के इस दौर में पहले से प्रताड़ित महिला को अब खाप पंचायत ने अपना निशाना बनाया है.


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चित्तौड़गढ़ जिले की भूपाल सागर ग्राम पंचायत की एक बेटी का विवाह समीपवर्ती कपासन के रहने वाले एक व्यक्ति के साथ किया गया, जहां 5 साल तक यह बेटी विवाहिता बन कर अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाती रही लेकिन इसके बाद शराबी पति और ससुर ने उसके साथ शारीरिक शोषण करने के लिए छेड़छाड़ शुरू कर दी. जिससे परेशान होकर यह महिला अपनी मां के पास आकर भुपाल सागर क्षेत्र की एक ग्राम पंचायत में रहने लगी.


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जहां महिला अपनी मां के साथ जीवन निर्वाह कर रही थी, इसी बीच समाज के कथित स्वयंभू का पंचांग समीपवर्ती धार्मिक स्थल शनि महाराज पर खाप पंचायत का आयोजन किया और निर्णय लिया गया कि इस महिला को साथ हुई ज्यादती का विरोध नहीं करना चाहिए और पुलिस में दर्ज प्रकरण वापस ले लेना चाहिए. यदि महिला ऐसा नहीं करती है तो उसकी मां और बेटी दोनों का सामाजिक बहिष्कार करने के साथ ही 51 हजार रुपए का अर्थदंड चुकाना होगा. इसके साथ ही इस परिवार से जो भी रिश्ता रखेगा, उसे 11 हजार रुपए अर्थदंड के रूप में चुकाने पड़ेंगे.


इधर इस मामले में जब पुलिस से बातचीत की गई तो थाना अधिकारी ने बताया कि पीड़िता की ओर से एक दहेज प्रताड़ना का प्रकरण दर्ज कराया गया था. इसी दौरान एक और प्रकरण दर्ज कराया गया है जिसमें उसने बताया कि उसका जातिगत बहिष्कार किया गया है और उनसे व्यवहार रखने वालों का भी आर्थिक दंड का फरमान खाप पंचायत ने सुनाया है. 


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पीड़िता ने अपनी मां के साथ पेश होकर पुलिस अधीक्षक से न्याय दिलाने की गुहार लगाई है और पुलिस अधीक्षक राजेंद्र प्रसाद गोयल ने पूरे मामले में गंभीरता दिखाते हुए तत्काल कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं. पूरे मामले से एक बार फिर से आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में खाप पंचायतों का आतंक बना हुआ है और मनमाने तुगलकी फरमान जारी कर जहां पहले परिवार के मुखिया पुरुषों को निशाना बनाया जाता था, वहीं अब पहले से ही पीड़ित और शोषित महिलाएं भी समाज के स्वयंभू ठेकेदारों के निशानों पर है.


Report-Deepak vyas