दशहरे के दिन रावण की विशेष पूजा, यहां के लोग उसे मानते हैं प्रेरणा का स्त्रोत
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दशहरे के दिन रावण की विशेष पूजा, यहां के लोग उसे मानते हैं प्रेरणा का स्त्रोत

सतयुग से ही रावण को बुराईयों लिए जाना जाता है लेकिन प्रखंड पंडित और शिव भक्त के रूप में भी रावण की पहचान भी रही है.

रावण का विशेष पूजन किया जाता है.

Chittorgarh: रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है. हर वर्ष दशहरे (Dussehra 2021) पर रावण के पुतले को बुराई के रूप में जलाते हैं लेकिन चित्तौडगढ़ (Chittorgarh News) शहर में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके लिए रावण अच्छाई का प्रतिक है. रावण की भक्ति, ज्ञान और चारित्रिक अच्छाई उनके लिए प्रेरणा का स्त्रोत है. इतना ही नहीं रावण के भक्तों ने अपने घर के साथ ही प्रतिष्ठान पर भी रावण के चित्र लगाए हुए हैं. हर वर्ष दशहरे पर रावण का विशेष पूजन किया जाता है. साथ ही नियमित भी रावण पूजन कर दिन की शुरूआत करते हैं.

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हर वर्ष दशहरे पर देश और विदेश में रावण के पूतलों का दहन होता है और इसके साथ ही बुराई को छोड़ने का प्रण लिया जाता है. सतयुग से ही रावण को बुराईयों लिए जाना जाता है लेकिन प्रखंड पंडित और शिव भक्त के रूप में भी रावण की पहचान भी रही है. इसके बावजूद देश में नाम मात्र के लोग हैं, जो रावण को अच्छाई के रूप में मानते है. 

रावण का चरित्र उत्तम था 
चित्तौडगढ़ में कुछ लोग हैं, जो काफी समय से रावण (Ravana) का पूजन करते आ रहे हैं. इनके दिन की शुरूआत की रावण पूजा से होती है और घर के बाद प्रतिष्ठान पर भी पूजन करते हैं. शहर निवासी वस्त्र व्यवसायी हीरालाल वर्ष 2001 से ही रावण का पूजन कर रहे हैं. इनके बाद शहर में अन्य लोग भी रावण का पूजन करने लगे. करीब आठ-दस वर्षों से शहर निवासी हरीश मेनारिया भी रावण को पूजते आ रहे है, जो भी लोग इनके यहां आते हैं वह रावण की आराधना करते देख आश्चर्यचकित हो जाते हैं. इनकी नजर में रावण का चरित्र उत्तम था और वह सभी के लिए अनुकरणीय है.

रावण भक्तों के लिए दशहरा किसी त्यौहार से कम नहीं है. इस दिन दोनों ही भक्त रावण की पूजा करते हैं. इतना ही नहीं दशहरे के दिन उपवास रखते हैं. रावण को जलाना इन्हें कतई अच्छा नहीं लगता है. रावण की पूजन और नमस्कार के स्थान पर सभी से जय लंकेश कहने के कारण इनकी पहचान भी तो अब लंकेश के रूप में है. 

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भगवान मानते हुए अगाध आस्था में लीन 
आज के युग में हर घर में रावण बैठा हुआ है. लोग दशहरे पर रावण जला कर खुश हो जाते हैं लेकिन वे स्वयं के मन में बैठे रावण को नहीं जलाते. लोग रावण को जला कर मन को जरुर ठंडा करते है लेकिन उनके मन में बैठा रावण कभी समाप्त नहीं होता, जिससे कि वे बुराइयां करते रहते हैं. निश्चित रूप से रावण को विद्वान माना जाता था लेकिन दंत कथाओं के अनुसार, उसे बुराई का प्रतीक मानते हुए दशहरे के दिन पूतलों का दहन किया जाता है लेकिन शहर के यह रावण भक्त दशहरे के दिन रावण को अपना भगवान मानते हुए अगाध आस्था में लीन रहते है.

Reporter- Deepak Vyas

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