गरीब आदिवासियों की जमीन हथियाने के लिए भू माफिया का नया पैतरा, दिया ये झांसा
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गरीब आदिवासियों की जमीन हथियाने के लिए भू माफिया का नया पैतरा, दिया ये झांसा

उदयपुर के गरीब आदिवासियों की जमीन हथियाने के लिए भू माफिया आए दिन नए नए हथकंडे अपनाते है. लेकिन अब वे आदिवासियों को सरकारी योजनाओं का लाभ और सस्ते बैंक लोन दिलवाने के नाम पर गुमराह कर रहे है. जिससे वे उनकी बेश कीमती जमीन को हथियाने के का प्रयास कर रहे है.

गरीब आदिवासियों की जमीन हथियाने के लिए भू माफिया का नया पैतरा, दिया ये झांसा

उदयपुर के गरीब आदिवासियों की जमीन हथियाने के लिए भू माफिया आए दिन नए नए हथकंडे अपनाते है. लेकिन अब वे आदिवासियों को सरकारी योजनाओं का लाभ और सस्ते बैंक लोन दिलवाने के नाम पर गुमराह कर रहे है. जिससे वे उनकी बेश कीमती जमीन को हथियाने के का प्रयास कर रहे है. पीडित आदिवासियों को अपने साथ हुए इस धोखाधडी का पता महिनों बदा चलता है.

गरिब, बेसहरा, पिछडे आदिवासी समाज के लोग भी विकास की मुख्य धारा से जुडे. उनके जिवन स्तर भी बेहतर बने इसके लिए प्रदेश सरकार ने कई जन कल्याणकारी योजनाएं बना रखी है. लेकिन अब इन योजनाओं की आड में आदिवासी परिवार के लोगों के साथ कुछ भू माफियां छलने लगे है. वे योजनाओं का लाभ दिलवाने की आड़ में उन्हें गुमराह कर रहे है और उनकी जमीनों की रजिस्ट्री अपने नाम करवा रहे है.

भू माफियाओं के षडियंत्र का शिकार होने वाले आदिवासी परिवार के लोगों को अपने साथ हो रहे इस धोखे का पता भी महिनों भर बाद उस समय चलता है जब कुछ लोग उनकी जमीन को अपनी बताते हुए उस पर कब्जा करने पहुंच जाते हे. कुछ ऐसा ही मामला कुराबड़ क्षेत्र के गाडवा में रहने वाले कालू मीणा नाम के आदिवासी के साथ भी हुआ. कालू ने बताया कि वाडा-ढिकली गांव में उसकी बेश किमती जमीन है. कुछ महीने पहले भू- माफिाओं से साठ-गांठ रखने वाले लोगर मीणा और कैलाश मीणा अपने दो अन्य सहयोगियों के साथ उसके घर आए. उसे सरकारी योजना के तहत मिलने वाले लाभ और लोन के बारे में जानकारी दी. उन्होंने उसे योजना के लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया और अपने जाल में फंसा दिया.

कालू ने बताया कि उन्होंने उसका एक बैंक में खाता खुलवाया. लोन की कार्रवाई करने के लिए जरूरी बताते हुए उसे रजिस्ट्री कार्यालय लेकर पहुंच और कुछ दस्तावेजों पर उसके हस्ताक्षर करवा लिए. इसके बाद उन्होने टूकडों टूकडों में उसे करीब 70 हजार रूपए दिए. कालू को अपने साथ हुए इस षडियंत्र का पता उस समय चला जब वह खेत पर काम कर रहा था तो उस समय कुछ लोग उसकी जमीन खरीदने के लिए वहां पहुंचे. कालू ने अपने साथी को हुए इस धोखे की रिपोर्ट अम्बामाता थाने में दर्ज करवाई. लेकिन काई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में अब वह न्याय के लिए दर दर भटक रहा है.

इसकी जानकारी जब क्षेत्र के सरपंच और अन्य जन प्रतिनिधियों को चली तो उन्होने कालू को न्याय दिलवाने के लिए आईजी के समक्ष गुहार लगाई. कालू के साथ आए जन प्रतिनिधियों का कहना है कि ऐसे कई मामले है. जिसमें भू माफियाओं ने अलग अलग ढंग से गुमराह कर उनकी जमीन हडप ली. इस मामले को उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा ने देश की संसद में भी उठाया और पुरे मामलों की निष्पक्ष जांच करा उन्हे न्याय दिलाने की आवज उठाई है. अब देखना होगा कि आखिर सरकारी योजना का लाभ लेने की चाह भी ठगी का शिकार हो रहे आदिवासी परिवार के इन लोगों को कब तक न्याय मिल पाता है.

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