Udaipur : राजस्थान के उदयपुर (Udaipur News) का विश्व प्रसिद्ध जगदीश मंदिर इन दिनों खुद भगवान की आस देख रहा है. आखिर कब भगवान जगदीश आए और इस ऐतिहासिक धरोहर का पुर्नउद्धार करें.  इन दिनों लेकसिटी का ऐतिहासिक जगदीश मंदिर (Jagdish temple Udaipur) बदहाली की कगार पर है. इसका जिम्मेवार और कोई नहीं, खुद इनके ही रखवाले हैं. 


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देवस्थान विभाग (Devasthan Department) के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते ये प्रसिद्ध मंदिर जर्जर हालत में तब्दील होता जा रहा है. समय रहते इस मंदिर पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये ऐतिहासिक मंदिर इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा. इस मंदिर के विशाल शिखर पर जहां लोगों की नजरें नहीं हटती थी. आजकल इस शिखर पर बड़ी संख्या में पीपल और व्रटवृक्ष के पेड़ उग गए हैं, जो मंदिर के शिखर को कमजोर कर रहे हैं. यही नहीं उनकी जड़े शिखर को चीरती हुई गर्भ गृह के स्थानों पर पहुंचने लगी है, जो आने वाले समय में मंदिर के लिए खतरा है. 


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उदयपुर शहर आने वाले पर्यटकों को यहां की नील पानी की झील और भगवान जगदीश का विशाल मंदिर (Udaipur Jagdish temple) मन को मोह लेती है. यहां आने वाले हर पर्यटक को भगवान जगदीश का विशाल मंदिर अपनी ओर जरूर आकर्षित करता है. करीब 400 साल पहले मेवाड़ के महाराणा जगत सिंह ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर की विशालता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके निर्माण में करीब 25 वर्ष का समय लगा था. तब से लेकर अब तक यह मंदिर मेवाड़ के साथ देश और दुनिया से आने वाले लोगों के लिए आस्था का एक बड़ा केंद्र बना हुआ है. 


इतिहास काल में मंदिर की देख रेख का जिम्मा राजपरिवार की ओर से किया जाता था, लेकिन आजादी के बाद अन्य मंदिरों की तरह जगदीश मंदिर (World Famous Jagdish temple of Udaipur) में देवस्थान विभाग के अधीन हो गया. वर्तमान समय में उचित रख रखाव के अभाव में भगवान जगदीश का यह ऐतिहासिक मंदिर बदहाल स्थिति में पहुंच रहा है. जिससे मंदिर शिखर लगे पत्थरो के बीच में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं और पत्थरों को कमजोर कर रही हैं. इन दरारों से बारिश के मौसम में पानी का रिसाव होता है, जिससे यहां आने वाले भक्तों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.


मंदिर में भगवान की सेवा पूजा करने वाले पुजारी परिवार के सदस्यों की माने तो मंदिर के शिखर से अब तक दो बार बड़े-बड़े पत्थर मंदिर परिक्रमा में गिर चुके हैं. हलांकि गनीमत रही कि उस समय कोई भक्त परिक्रमा नहीं कर रहा था वरना बड़ा हादसा हो सकता था. पुजारी परिवार के सदस्यों का कहना है कि मंदिर के रखरखाव को लेकर विभाग पूरी तरह से लापरवाही बरते हुए हैं. ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. 


ऐसा नहीं है कि शहर की ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विख्यात जगदीश मंदिर की हो रही इस दुर्दशा से देवस्थान विभाग अनजान है. विभाग के अधिकारियों की अनदेखी से बदहाल स्थित पर पहुंच चुके जगदीश मंदिर के के इस हाल पर अधिकारी अपने आप का बचाव करते नजर आते हैं. उनका साफ कहना है कि ऐतिहासिक धरोहर होने के कारण मंदिर से शिखर से पेड़ हटाने का काम आम ठेकेदार को नहीं सौपा जा सकता है. ऐसे में अब इसके लिए जल्द ही पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क किया जाएगा. जिससे मंदिर की सुरक्षा के साथ पेड़ को हटाने का काम किया जा सके. बहरहाल अनदेखी से बदहाली का शिकार हो रहे जगदीश मंदिर की सुध लेने के लिए अब तक तो अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी नहीं दिखाई. अब तो यही कहा जा सकता है कि आओ जगदीश्वर और खुद इस मंदिर का उद्धार करो.    


रिपोर्ट : अविनाश जगनावत


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