हंस के फ़रमाते हैं वो देख के हालत मेरी, पढ़ें अमीर मीनाई के शानदार शेर

Ansh Raj
Oct 04, 2024

हंस के फ़रमाते हैं वो देख के हालत मेरी क्यों तुम आसान समझते थे मोहब्बत मेरी

पहलू में मेरे दिल को न ऐ दर्द कर तलाश मुद्दत हुई ग़रीब वतन से निकल गया

पहलू में मेरे दिल को न ऐ दर्द कर तलाश मुद्दत हुई ग़रीब वतन से निकल गया

सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता निकलता आ रहा है आफ़्ताब आहिस्ता आहिस्ता

सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता निकलता आ रहा है आफ़्ताब आहिस्ता आहिस्ता

तीर पर तीर लगाओ तुम्हें डर किसका है सीना किसका है मेरी जान जिगर किसका है

ख़ंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम 'अमीर' सारे जहां का दर्द हमारे जिगर में है

किस ढिठाई से वो दिल छीन के कहते हैं 'अमीर' वो मेरा घर है रहे जिसमें मोहब्बत मेरी

अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो न छोड़ूंगा मैं जैसी चाहे तुम मुझ से क़सम ले लो

आहों से सोज़-ए-इश्क़ मिटाया न जाएगा फूंकों से ये चराग़ बुझाया न जाएगा

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