इस बार हम आपको चैत्र नवरात्रि पर राजस्थान के प्रसिद्ध माता के मंदिर के दर्शन करवा रहे है.इन मंदिरों की कई खूबियां हैं. कही माता खुश होकर अग्नि में स्नान करती है.

करणी माता मंदिर, बीकानेर

इस मंदिर में बीस हजार से ज्यादा काले चूहे दिन रात रहते है, इसी कारण इसे चूहों का काबा कहते है.

शाकम्भरी माता मंदिर, जयपुर

जयपुर से करीब 100 किमी दूर सांभर कस्बे में करीब 2500 साल पुराना है यह मंदिर .इन्हें चौहान वंश की कुलदेवी माना जाता है.

कैला माता मंदिर, करौली

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह श्री कृष्ण की बहन मानी जाती हैं, इसलिए इन्हें यदूवंशी कहते है.

जीण माता का मंदिर, सीकर

इस मंदिर के बारे में कहते है कि औरंगजेब ने इसे तोड़ने की कोशिश की थी तो उसकी सेना पर भंवरों ने हमला किया. जिससे सेना को उलटे पांव भागना पड़ा.

तनोट माता मन्दिर,जैसलमेर

युद्ध की देवी के नाम से थार रेगिस्तान में है तनोट माता का मंदिर.1971 के युद्ध में पाक फौज ने करीब 3000 बम बरसाए थे. पर मंदिर का बाल भी बांका नहीं हुआ.

भुवाल काली माता मंदिर, नागौर

मां भुवाल काली का निर्माण डाकूओं ने करवाया था. यहां माता ढाई प्याला शराब ग्रहण करती हैं. और बची शराब भौरों को चढाई जाती हैं

शिला माता मंदिर, जयपुर

आमेर की संरक्षक मानी जाने वाली देवी शिला माता हिंदू देवी काली को समर्पित है. यह आमेर किले के परिसर में ही निवास करती है.

चामुंडा माता मंदिर, जोधपुर

मेहरानगढ़ किले के अंत में स्थित, चामुंडा माता मंदिर जोधपुर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है.इन्हें जोधपुर के राजपरिवार की मुख्य देवी माना जाता है.

त्रिपुर सुंदरी मंदिर, बांसवाड़ा

इस मंदिर में माता की अट्ठारह भुजाओं वाली मूर्ति काले पत्थर से बनी है. मुख्य प्रतिमा के साथ नवदुर्गा और चौसठ योगिनियों की प्रतिमाएं भी हैं.

ईडाणा माता मंदिर, उदयपुर

शक्ति पीठों में से एक ईडाणा माता मंदिर में माता खुश होने पर स्वयं ही अग्नि स्नान करती हैं.

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