आचार्य चाणक्य के अनुसार, शेर अपने शिकार को पाने का पूरा प्रयास करता है.
शिकार को जब तक पा नहीं लेता पूरी कोशिश औऱ पूरा ध्यान लगाकर बैठता है और आखिरी तक मेहनत करता है.
ऐसे ही व्यक्ति को भी मेहनत से घबराना नहीं चाहिए जब तक उन्हें उनका लक्ष्य नहीं मिल जाता है
आचार्य चाणक्य के अनुसार, शेर जब शिकार करने की सोचता है तो एकाग्र होकर बैठ जाता है लेकिन जब उसे लगता है कि अब शिकार पास है तब वार करता है. अब इसमें को कामियाब हो या नहीं ये मायने नहीं रखता है.
शेर शिकार शोर मचाकर नहीं करता है. बिल्कुल उसी तरह व्यक्ति को भी एकाग्रता के साथ किसी काम को करना चाहिए
क्योकिं आपकी सफलता ही आपकी मेहनत की गवाही है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार, शेर अपने लक्ष्य को पाने के लिए सुस्ती नहीं दिखाता है. उसे जो करना होता है वो तुरंत करता है और उसे पा लेता है.
व्यक्ति को भी ऐसा ही करना चाहिए. अपने किसी काम को कल पर कभी नहीं छोड़ना चाहिए. समय ही पैसा है