अश्वत्थामा ने पांडवों के शिविर में आग लगा दी जिसमें द्रौपदी के पांचों पुत्रों की सोते हुई ही मौत हो गयी थी
द्रौपदी ने ऐसे वर की इच्छा की थी जो 14 गुणों से परिपूर्ण हो.
जब भगवान शिव ने उन्हे वरदान दिया, तभी द्रौपदी का भाग्य तय हो गया था.
द्रौपदी ने एक-एक वर्ष के अंतराल से पांचों पांडव के एक-एक पुत्र को जन्म दिया.
द्रौपदी को अर्जुन ने स्वयंवर में जीता और कुंती के कहने पर पांचों पांडवों में बांट दिया गया.
द्रौपदी का युधिष्ठिर से विवाह हुआ जो धर्म का प्रतीक था. दोनों का पुत्र प्रतिविन्ध्य था.
द्रौपदी का भीम से विवाह हुआ जो विश्व का सर्वश्रेष्ठ गदाधारी था. दोनों का पुत्र सुतसोम था.
द्रौपदी का अर्जुन से विवाह हुआ जो विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर था, दोनों का पुत्र श्रुतकर्मा था.
द्रौपदी का नकुल से विवाह हुआ था जो विश्व का सबसे सुंदर पुरुष था. दोनों का पुत्र शतानीक था.
द्रौपदी का सहदेव से विवाह हुआ था जो सहनशील था. दोनों का पुत्र श्रुतसेन था.