गाय-भैंस ऐसे जानवर होते हैं, जो कि ज्यादातर पशुपालक अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए पालते हैं. इनसे कई लोगों का रोजगार जुड़ा होता है.
लेकिन कई बार इन पशुओं को ऐसी बीमारियां हो जाती हैं, जिन पर समय रहते अगर ध्यान नहीं दिया जाता है तो बेचारे पशुपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
एक ऐसी बीमारी कही जाती है ब्रूसेलोसिस. इस बीमारी को भी पशुओं में टीका लगाकर ही ठीक किया जा सकता है.
यह ऐसी बीमारी होती है, जिससे संक्रमित पशु, चाहे गाय हो या फिर भैंस हो, उनमें गर्भपात हो जाता है. इसके साथ ही दूध के उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ता है.
अगर कोई ब्रूसेलोसिस बीमारी से पीड़ित जानवर का कच्चा दूध पी ले तो यह इंसानों में भी हो जाती है. इस बीमारी का असर पशु में कम उम्र में पड़ता है इसके कारण में बांझपन और लंगड़ा पैन हो जाता है.
कई बार तो इन संक्रमित जानवरों को संभालते-संभालते पशुपालक और पशु चिकित्सक भी इसके संक्रमण में आ जाते हैं. यह बीमारी संक्रमित जानवर से सीधे दूसरे जानवरों में फैल जाती है.
संक्रमित जानवर के गर्भपात या फिर बछड़े के आने के बाद इसके संक्रमण आस-पास फैल जाते हैं और संक्रमण बढ़ता जाता है. माना जाता है कि यह बीमारी जानवरों से एक झुंड से दूसरे झुंड में फैल जाती है.
इस बीमारी से अगर आप बचाव करना चाहते हैं तो आपको साफ सफाई का खास ध्यान रखना पड़ेगा और बीमारी से बचने में उचित झुंड प्रबंधन का प्लान भी करना पड़ेगा.
इसके लिए आपको अपने संक्रमित पशुओं को बाकी अन्य पशुओं से ज्यादा मिलने-जुलने नहीं देना है और उन्हें झुंड से अलग रखना है.
इस बीमारी से ग्रसित पशुओं को सरकारी मुफ्त टीकाकरण करवाइए. यह टीका 4 से 8 महीने की मादा पड़ियों और बछियों को एक बार लगाया जाता है.