नए व्यक्ति को किन्नर समाज में शामिल करने से पहले नाच-गाना और सामूहिक भोज होता है।
किसी नए व्यक्ति को किन्नर समाज में शामिल करने से पहले बहुत से रीती-रिवाज़ का पालन किया जाता है।
किन्नर अपने आराध्य देव अरावन से साल में एक बार विवाह करते हैं. हालांकि यह विवाह मात्र एक दिन के लिए होता है।
पुरानी मान्यताओं के अनुसार शिखंडी को किन्नर माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि शिखंडी की वजह से ही अर्जुन ने भीष्म को युद्ध में हरा दिया था।
महाभारत में जब पांडव एक वर्ष का अज्ञात वास जंगल में काट रहे थे, तब अर्जुन एक वर्ष तक किन्नर वृहन्नला बनकर रहे थे.
एक मान्यता के अनुसार किन्नरों की उत्पत्ति ब्रह्माजी की छाया से हुई है.
समाज को किसी किन्नर की मौत की खबर तक नहीं होती
किसी किन्नर की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार बहुत ही गुप्त तरीके से किया जाता है.
दूसरी ओर कई लोग यह भी मानते है कि अरिष्टा और कश्यप ऋषि से किन्नरों की उतपत्ति हुई है।
कुंडली में बुध, शनि, शुक्र और केतु के अशुभ योगों के कारण व्यक्ति किन्नर या नपुंसक पैदा हो सकता है.