ऋषि की घोर उपासना

शिलाद ऋषि ने भगवान शिव की घोर तपस्या एक पुत्र की कामना की थी

Pragati Awasthi
Jul 05, 2023

ऋषि ने भोलेनाथ से अयोनिज और मृत्युहीन पुत्र मांगा

शिव आशीर्वाद से नंदी जन्म

एक दिन भूमि को जोतने के समय उन्हे पुत्र की प्राप्ति हो गयी, जिसका नाम नंदी रखा गया

शिलाद ऋषि के आश्रम में एक दिन वरुण और मित्रा नाम के मुनि आए और बताया कि नंदी की आयु कम है.

नंदी बने गणाधीश

शिलाद ऋषि बहुत दुखी हुए और नदीं से शिव आराधना को कहा

नंदी की आराधना से प्रसन्न होकर शिवजी उन्हे गणाधीश बनाया

नंदी संदेश वाहक

मान्यता है नंदी भगवान भोलेनाथ के सबसे करीबी है और हमेशा उनके साथ रहते हैं.

नंदी जी के कान में बोली गयी कामना शिव शंकर जल्दी सुनते हैं.

नियम

नंदी के कान में बोलते समय किसी और को आपकी कामना सुनने में नहीं आई चाहिए.

नंदी के कान में किसी की बुराई ना करें. वरना शिव शंकर के क्रोध का आप भागी बन सकते हैं.

नंदी के दोनों कानों में ना कहें

पहले नंदी का पूजन करें अपने मन और विचारों को भी स्वच्छ रखें.

अब नंदी के बाएं कान में अपनी बात कहें और कुछ भेंट दें.

मन और विचार स्वच्छ

हालांकि कुछ लोगों को मानना है कि नंदी में स्वंय प्रभु शिव विराजमान हैं, ऐसे में नंदी को छूना नहीं चाहिए

हमेशा नंदी के पास जाने से पहले स्नान करें, आचमन करें और मन और विचारों को स्वच्छ रखकर ही उसे छुएं.

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