मज़ा चखा के ही माना हूं मैं भी दुनिया को... पढ़ें राहत इंदौरी के शेर

Ansh Raj
Nov 18, 2024

आंख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो

दिल भी किसी फ़क़ीर के हुजरे से कम नहीं दुनिया यहीं पे ला के छुपा देनी चाहिए

मज़ा चखा के ही माना हूं मैं भी दुनिया को समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे

सिर्फ़ ख़ंजर ही नहीं आंखों में पानी चाहिए ऐ ख़ुदा दुश्मन भी मुझ को ख़ानदानी चाहिए

मौत लम्हे की सदा ज़िंदगी उम्रों की पुकार मैं यही सोच के ज़िंदा हूं कि मर जाना है

लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यूं हैं इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूं हैं

वही दुनिया वही सांसें वही हम वही सब कुछ पुराना चल रहा है

दोस्ती जब किसी से की जाए दुश्मनों की भी राय ली जाए

ज़िंदगी भी काश मेरे साथ रहती उम्र-भर ख़ैर अब जैसे भी होनी है बसर हो जाएगी

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