ऐसे बनती है भरतपुर की कुटेमा गजक, बिना दांत वाले भी ले सकते हैं भरपूर स्वाद

Aman Singh
Oct 07, 2024

देश में कई जगह गजक बनती है. सभी जगह गजक बनाने का तरीका और स्वाद अलग-अलग होता है.

लेकिन भरतपुर की कुटेमा गजक का स्वाद देश में ही नहीं विदेशों में भी अपनी अलग पहचान रखता है.

कुटेमा गजक ऐसी गजक है, जो मुंह में रखते ही घुल जाती है. बिना दांत वाले भी गजक का भरपूर स्वाद ले सकते हैं.

सर्दी का मौसम शुरू होते ही उत्तर भारत में गजक का कारोबार शुरू हो जाता है.

उत्तर भारत में गजक का करोड़ों रुपये का कारोबार होता है. गजक के कारोबार से लाखों लोगों को रोजगार भी मिलता है.

गजक को बनाने के लिए सबसे पहले गुड़ की चासनी तैयार की जाती है. उसके बाद गरम-गरम चाशनी को एक खूंटी पर लटका कर खींचा जाता है.

उसके बाद इसमें तिल मिलकर जमकर इसकी कुटाई की जाती है और गोल-गोल टिक्की तैयार की जाती है.

भरतपुर में तैयार की गई गजक बहुत ही सॉफ्ट होती है. गजक की टिक्की उठाने से ही टूट जाती है. साथ ही गजक का टुकड़ा मुंह में डालते ही घुल जाता है.

बाजार में लगभग 14 तरह की गजक उपलब्ध है. गजक बनाने वाले कारीगर नए - नए प्रयोग कर नई तरह की गजक बना रहे है.

भरतपुर में सुपर शाही गजक जिसमें तिल की मात्रा से अधिक बादाम, केसर, पिस्ता को मिलाकर कूटा जाता है.

इसके अलावा अलसी की गजक, शुगर फ्री गजक, मूंगफली की गजक, ड्राईफ्रूट की गजक, केसरबाटी, पट्टी की गजक तैयार की जाती है.

सर्दी शुरू होते ही गजक का हो जाता है कारोबार शुरू नवंबर माह में सुबह शाम को हलकी सर्दी शुरू हो जाती है.

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