पौराणिक शास्त्रों में हर एक युग का अपना अलग-अलग महत्व बताया गया है.
ऐसा कहा जाता है कि जितना पाप कलयुग में है, उतना किसी भी युग में नहीं रहा.
कलयुग में सबसे ज्यादा भयंकर पापी लोग हैं.
अभी तक जितने युग हुए हैं, उनमें स्वयं भगवान ने अवतार लेकर के पापियों का उद्धार किया है.
बीते युगों में अगर किसी से कोई अपराध हो जाता था तो ऋषि मुनि अपने अपमान में भी सामने वाले को श्राप दे दिया करते थे.
अगर किसी ने किसी के साथ गलत किया तो भी वह श्राप दे देता था, जिसका परिणाम उसे आजीवन भुगतना पड़ता था.
जब तक स्वयं भगवान नहीं चाहते थे तब तक उसे श्रापित व्यक्ति का उद्धार नहीं होता था.
लेकिन आज कलयुग का समय है, ऐसे में ना तो श्राप का महत्व रह गया है और ना ही श्राप में विश्वास.
विष्णु पुराण के अनुसार, कलयुग में किसी को भी श्राप देना उचित नहीं है.
विष्णु पुराण के मुताबिक, कलयुग में कोई भी इंसान उत्तम नहीं है यानी कि हर कोई कहीं ना कहीं पर गलत है.
विष्णु पुराण के मुताबिक हर मनुष्य ने कभी ना कभी मन, वचन, कर्म से किसी न किसी को किसी तरह से चोट तो अवश्य पहुंचाई है.
इसके कारण कलयुग में किसी के ऊपर श्राप का असर जरा सा भी नहीं होता है.