पैर छूना

हिंदू धर्म में जब कोई खुद से आयु में बड़े के पैर छूता है तो उसके अंदर का अंहकार का भाव यानि कि ईगो समाप्त होता है.

ईगो खत्म

जब किसी के सामने झुककर पैर छुए जाते हैं तो अहम का भाव कम होता है, ये ईगो ही है जो जिदंगी में परेशानी का कारण बनता है.

उत्तम छवि

जब आप किसी के पैर छूते हैं, तो उसके मन में आपकी उत्तम छवि बनती है और आपके मन में उस बड़े के प्रति सम्मान की भावना आती है.

पति क्यों नहीं छूता पैर

कुछ एक अपवाद को छोड़ दिया जाए तो अब सवाल ये कि पत्नी ही पति के पैर क्यों छूती है, पति पत्नी के पैर क्यों नहीं छूता है.

महिला ज्यादा शक्तिशाली

एक पुरुष और एक महिला में एक मात्र अंतर शारीरिक क्षमता का है, बाकि आंतरिक शक्ति की बात की जाए तो एक महिला ज्यादा शक्तिशाली है.

रिश्ते खराब करता है ईगो

पति पत्नी के रिश्तें को बांधे रखने में पत्नि की ये आंतरिक शक्ति ही कारगर होती है, लेकिन अगर पत्नी अपना आपा खो दे तो पति के लिए नियंत्रित कर पाना मुश्किल होता है.

सम्मान दिखाने का तरीका

एक पत्नी अपने जीवनसाथी पति के प्रति सम्मान भाव दिखाने के लिए उसके पैर छूती है, जिससे पत्नी के प्रति सम्मान का भाव पति के मन में रहता है और ईगो खत्म होता है.

इस वजह से किया जाता है मना

लेकिन एक पुरुष का स्वभाव कठोर होता है, कोई भी झुका हुआ पेड़ कमजोर कहलाता है और इसके प्रति सम्मान की भावना में भी कमी आती है, इसलिए पति को पत्नी के पैर छूने से मना किया जाता है.

पैर छूने से छोटे नहीं होते

पैर छूना किसी और को बड़ा बताने या फिर खुद को छोटा बताने का प्रतीक नहीं है, बल्कि ये मन की बुराइयों जिसमें सबसे बड़ी बुराई है ईगो, को काबू में रखने का सरल तरीका है.

ये है सबसे जरूरी

पति-पत्नि अगर दोनों ही ईगो को रिश्ते से बाहर रखना चाहते हैं तो पैर छूने के भी ज्यादा कारगर ये होगा कि आप एक दूसरे को इज्जत दें (डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी है, जिसकी ज़ी मीडिया पुष्टि नहीं करता है)

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