विष्णुपुराण में बताया गया गया है की विष्णु का निवास स्थान क्षीर सागर है और देवी लक्ष्मी उनकी पत्नी है.
Pragati Awasthi
Aug 24, 2023
शय्या
श्रीविष्णु शेषनाग की शय्या पर विश्राम करते हैं और उनके नाभि से कमल उत्पन्न होता है.
चार भुजाधारी
श्री विष्णु के नीचे वाले बाएं हाथ में पद्य यानि कमल, नीचे वाले दाहिने हाथ में कौमोदिकी यानि गदा है
हर भुजा का अर्थ
श्री विष्णु के ऊपर वाले बाएं हाथ में पाञ्चजन्य यानि शंख और ऊपर वाले दाहिने हाथ में सुदर्शन चक्र विराजमान रहता है.
विष्णु पुराण में वर्णन
विष्णु पुराण के अनुसार जब शिव जी के मन में सृष्टि की रचना का विचार आया तो उन्होंने अपनी शक्ति से विष्णु जी को चतुर्भुज रूप में उत्पन्न किया था.
इन सभी भुजाओं में अलग अलग शक्तियां भगवान शिव ने दी. जिनमें भगवान विष्णु के दो हाथ मनुष्य के लिए भौतिक फल देने वाले हैं.
श्रीविष्णु के पीछे की तरफ बने हुए दो हाथ मनुष्य के लिए आध्यात्मिक दुनिया का मार्ग दिखाने वाले हैं.
मान्यता है कि भगवान विष्णु के चार हाथ चारों दिशाओं की भांति अंतरिक्ष की चारों दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते दिखते हैं.
श्रीहरि के ये चारों हाथ मानव जीवन के लिए चार चरणों और चार आश्रमों के प्रतीक हैं.
जिसमें पहला ज्ञान के लिए खोज यानि ब्रह्मचर्य है तो दूसरा पारिवारिक जीवन के लिये हैं. तीसरा वन में वापसी और चौथा संन्यासी जीवन के लिए बताया गया है.
पुराणों में बताया गया है कि अगर जो कोई भी इंसान विष्णु के इन चारों हाथों के महत्त्व को अपने जीवन में समाहित कर लें तो वो प्रभु के सबसे निकट हो जाता है और मोक्ष का अधिकारी बनता है.
विष्णुपुराण में भगवान विष्णु की पूरी छवि और अवतारों के बारे में बताया गया है.
वामन अवतार
त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने वामन रूप में देवी अदिति के गर्भ जन्म लेकर,ब्राह्मण अवतार लिया था
नरसिंहा अवतार
सिंह के अवतार को लेकर श्रीविष्णु ने राक्षस हिरण्यकश्यप का वध किया था.
वराह अवतार
श्रीविष्णु ने वराह अवतार लेकर हिरण्याक्ष नामक दैत्य से पृथ्वी को बचाया था.