सोमसूत्र

शिवलिंग का वो हिस्सा जहां पर जल को अर्पित किया जाता है. जहां से जल निकलता है. उसे सोमसूत्र कहते हैं.

Pragati Awasthi
Aug 28, 2023

शिवलिंग के पूजा नियम

शास्त्रों में सोमसूत्र को लांघने की मनाही है. इसकी हमेशा आधी ही परिक्रमा लेनी चाहिए.

शास्त्रों में लिखा

लेकिन अगर सोमसूत्र पर तृण,काष्ठ, पत्ता या पत्थर से ढका हो तो इसे लांघा जा सकता है, लेकिन कोशिश करें कि ऐसा ना ही करें.

शिवलिंग ज्योति स्वरूप

शिवलिंग को ज्योति स्वरूप माना जाता है और उसके आसपास के क्षेत्र को चंद्र कहा जाता है.

संपूर्ण ब्रह्मांण इसमें समाहित

आसमान में अर्ध चंद्र के ऊपर एक शुक्र तारा देखा होगा. यह शिवलिंग उसका ही प्रतीक नहीं है, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड ज्योतिर्लिंग के ही समान है.

सिर्फ आधी परिक्रमा

धर्म शास्त्रों में भगवान शिव की आधी परिक्रमा करने का ही विधान है. जब जातक आधी परिक्रमा करता है तो उसे चंद्राकार परिक्रमा कहते हैं.

बीमारी

सोमसूत्र में शक्ति-स्रोत होता है अत: उसे लांघते समय पैर फैलाते हैं और वीर्य निर्मित और 5 अन्तस्थ वायु के प्रवाह पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.

ये है सही तरीका

भगवान शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बाईं ओर से शुरू कर जलाधारी के आगे निकले हुए, भाग यानी जलस्रोत तक जाकर फिर विपरीत दिशा में लौटकर दूसरे सिरे तक आकर परिक्रमा पूरी करें.

परिक्रमा की संख्या

सभी देवताओं की परिक्रमा के नियम है, जिसके अनुसार परिक्रमा की संख्या भी बतायी गयी है.

नारद पुराण

नारद पुराण में हर देवता की परिक्रमा की संख्या का नियम बताया गया है. जैसे दुर्गाजी की एक परिक्रमा करने का नियम है.

कितनी करें परिक्रमा

सूर्य की सात, गणेश जी की तीन और विष्णु जी की चार परिक्रमा करने का नियम है.

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