Rajiv Gandhi Last Day: उस रात महिला SI को न रोकते राजीव गांधी तो... धमाके से एक मिनट पहले क्या हुआ था?
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Rajiv Gandhi Last Day: उस रात महिला SI को न रोकते राजीव गांधी तो... धमाके से एक मिनट पहले क्या हुआ था?

Rajiv Gandhi Death Anniversary: लिट्टे की एक महिला आत्मघाती हमलावर ने राजीव गांधी को चंदन की माला पहनाते हुए धमाका कर दिया था. वह हल्का सा झुकी थी और... इससे कुछ सेकेंड पहले एक महिला एसआई ने इस हमलावर और उसके साथियों को रोका था फिर आगे जो हुआ, उसका महिला अफसर को आज भी मलाल है.

Rajiv Gandhi Last Day: उस रात महिला SI को न रोकते राजीव गांधी तो... धमाके से एक मिनट पहले क्या हुआ था?

How Rajiv Gandhi Killed: आज की तारीख राहुल-प्रियंका और सोनिया गांधी के लिए भारी है. पूरा देश अपने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को याद कर रहा है. 21 मई 1991 को उत्तर भारत में सूरज तप रहा था. उधर, दक्षिण में तमिलनाडु के चुनावी दौरे पर गए राजीव गांधी को श्रीपेरंबदूर पहुंचते रात के 10 बज चुके थे. उस समय वहां सुरक्षा के नाम पर हल्का-फुल्का इंतजाम था. राजीव की लोकप्रियता इतनी थी कि हर कोई उन्हें करीब से देखना और माला पहनाना चाहता था. वह भी किसी को निराश नहीं कर रहे थे. सबसे मिल रहे थे. एक महिला एसआई की नजर कुछ लोगों के एक समूह पर थी. एसआई ने उन लोगों को राजीव के करीब जाने से रोका भी लेकिन पूर्व पीएम से उन्हें ऐसा करने से रोक दिया. धमाके से ठीक पहले आखिरी 1 मिनट में क्या हुआ था?

उस महिला पुलिसकर्मी का नाम है अनुसूया डेजी अर्नेस्ट. अब वह रिटायर हो गई हैं. वह उन पुलिस अधिकारियों में से एक हैं जो उस रात राजीव गांधी के करीब तैनात थे और विस्फोट में जीवित बच गए. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उस समय वह एक थाने में सब-इंस्पेक्टर थीं. उस दिन उन्हें श्रीपेरंबदूर में रैली की सिक्योरिटी में जाने के लिए वायरलेस पर सूचना मिली. वह कुछ महिला गार्ड्स के साथ शाम 6 बजे पहुंच गईं. (नीचे कपड़े का हिस्सा देखिए जो उस दिन राजीव गांधी ने पहना हुआ था)

अनुसूया बताती हैं, 'नलिनी और सूबा (नाम बाद में पता चले) पहले दिखे थे. मैंने उन्हें स्टेज के सामने जाकर बैठने को कहा लेकिन वे नहीं गए और पीछे बैठ गए. हालांकि वे लगातार स्टेज की तरफ देख रहे थे और आपस में कुछ बातें कर रहे थे. मुझे अंदाजा नहीं था कि उनके मन में कुछ बड़ा चल रहा है. मैं रैली में आने वाले लोगों के लिए बैठने का इंतजाम करने में बिजी थी.'

उन्होंने आगे कहा, 'फिर हमारे एसपी ने हमें मंच के पास खड़ी महिलाओं के एक समूह के बारे में बोला, जो उस जगह से दूर नहीं जा रही थीं... उस समय तीन लोग धनु (आत्मघाती महिला), फोटोग्राफर हरिबाबू और शिवरासन (जो मंच के पीछे थे) आगे आ गए.' धनु अपने हाथ में चंदन की माला ली हुई थी. शिवरासन देखने से पत्रकार लग रहा था. वह कुछ बोलता नहीं था. वे झट से कांग्रेस वॉलंटियर्स के साथ हो लिए. इनमें से केवल फोटोग्राफर हरिबाबू दूसरे जगह पर चला गया. बाद में जांच में पता चला था कि लिट्टे के आतंकी अपनी हर वारदात की तस्वीर, वीडियो आदि रिकॉर्ड किया करते थे जिससे प्रभाकरण को दिखा सकें. 

महिलाएं मंच के आगे खड़ी थीं

अनुसूया कहती हैं कि कुछ देर बाद हमारे DSP ने मुझे और महिला गार्ड चंद्रा को आदेश दिया कि महिलाओं के समूह को नियंत्रण में रखें. महिलाओं के उस समूह में मैं आगे खड़ी थी और चंद्रा पीछे. इसी दौरान राजीव गांधी वहां पहुंचे. पुरुषों के समूह ने शॉल ओढ़ाकर उनका स्वागत किया. बाद में जब वह महिलाओं के एरिया में पहुंचे तो भीड़ ने उन्हें घेर लिया. अनुसूया ने कहा कि मैं तेजी से भीड़ को पीछे पुश कर रही थी.

एक पल में सब लाश बन चुके थे

राजीव गांधी ने अनुसूया की तरफ देखते हुए उन्हें महिलाओं को रोकने से मना किया. राजीव ने कहा कि लोगों को पीछे मत धकेलिए. अगले ही पल राजीव गांधी ने कदम बढ़ाया ही था कि जोरदार धमाका हो गया. अनुसूया उस पल को याद करती हुई कहती हैं कि मुझे होश ही नहीं रहा. मुझे लगा कि मैं मर चुकी हूं. हालांकि कुछ सेकंड बाद जब मैंने अपनी आंखें खोली तो हर जगह लाशें बिखरी हुई थीं. मेरी वर्दी जल गई थी. कुछ सेकेंड पहले अनुसूया ने जिसको भी जीवित देखा था वह अब लाश बन चुका था. अनुसूया अपना सिर भी नहीं उठा पाई.

अनुसूया तीन महीने तक अस्पताल में रहीं. उनके शरीर में कई जगह छर्रे के निशान आज भी हैं. रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर अनुसूया ने उस आत्मघाती हमले में अपनी तीन अंगुलियां गंवा दी थीं. उन्हें हमेशा इस बात का मलाल रहता है कि काश, राजीव गांधी उस रात उन महिलाओं को पीछे करने से उन्हें न रोकते तो शायद जीवित होते.

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