DNA with Sudhir Chaudhary: Gandhi Family और Rana Kapoor के बीच हुई पेंटिंग की डील का सच, पहले बिकते थे पद्म पुरस्कार?
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DNA with Sudhir Chaudhary: Gandhi Family और Rana Kapoor के बीच हुई पेंटिंग की डील का सच, पहले बिकते थे पद्म पुरस्कार?

DNA with Sudhir Chaudhary: प्रियंका गांधी वाड्रा को अपने पिता स्वर्गीय राजीव गांधी की पेंटिंग बेचनी पड़ी ताकि वो अपनी मां सोनिया गांधी का अमेरिका में इलाज करवा सकें. इस संबंध में अब कांग्रेस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

DNA with Sudhir Chaudhary: Gandhi Family और Rana Kapoor के बीच हुई पेंटिंग की डील का सच, पहले बिकते थे पद्म पुरस्कार?

DNA with Sudhir Chaudhary: कांग्रेस की कमान संभालने वाले गांधी परिवार को पैसों की इतनी जरूरत पड़ी कि प्रियंका गांधी वाड्रा को अपने पिता स्वर्गीय राजीव गांधी की पेंटिंग बेचनी पड़ी ताकि वो अपनी मां सोनिया गांधी का अमेरिका में इलाज करवा सकें. प्रियंका गांधी वाड्रा ने ये पेटिंग 2 करोड़ रुपये में Yes Bank के तत्कालीन CEO राणा कपूर को बेची थी. ये डील 2010 में हुई थी. राणा कपूर फिलहाल मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जेल में बंद हैं. ये पेंटिंग मशहूर चित्रकार एम एफ हुसैन ने बनाई थी.

मजबूरन खरीदनी पड़ी पेंटिंग

लेकिन खबर सिर्फ ये नहीं है कि प्रियंका गांधी वाड्रा ने राणा कपूर को अपने पिता की पेंटिंग बेची. बल्कि उससे बड़ी और चौंकाने वाली खबर ये है कि राणा कपूर ने दावा किया है कि उन्हें इस पेंटिंग को खरीदने के लिए मजबूर किया गया. राणा कपूर ने ED को दिए गए बयान में इस पेंटिंग की डील की पूरी कहानी बताई है. उन्होंने दावा किया है कि UPA 2 सरकार के बड़े केंद्रीय मंत्री मुरली देवरा (Murli Deora) ने उन पर इस पेंटिंग को खरीदने के लिए दबाव डाला था. इसके अलावा राणा कपूर को पद्म भूषण पुरस्कार का लालच भी दिया गया. यानी डर और लालच दोनों दांव आजमा कर राणा कपूर को राजीव गांधी की पेंटिंग 2 करोड़ में खरीदने के लिए मजबूर किया गया.

सामने आया प्रियंका का लिखा हुआ लेटर

आपको ये भी जानना चाहिए कि ED की चार्जशीट में राणा कपूर ने क्या खुलासे किए हैं. लेकिन उससे पहले आपको प्रियंका गांधी वाड्रा की चिट्ठी के बारे में भी जानना चाहिए. ये पत्र ED के सूत्रों से जरिए सामने आया है. ये लेटर 2010 में प्रियंका गांधी वाड्रा ने राणा कपूर को लिखा था और उन्हें पेंटिंग खरीदने के लिए धन्यवाद दिया था. इसमें प्रियंका गांधी वाड्रा ने पेटिंग की कीमत भी बताई है. 4 जून 2010 के इस पत्र में प्रियंका गांधी वाड्रा, राणा कपूर को अपने पिता की पेंटिंग खरीदने के लिए धन्यवाद देती हैं. प्रियंका लिखती हैं कि ये पेंटिंग राजीव गांधी को 1985 में कांग्रेस के शताब्दी समारोह में भेंट की गई थी.

2 करोड़ के भुगतान का जिक्र आया सामने

प्रियंका ने आगे लिखा है कि राणा कपूर ने उन्हें 3 जून 2010 को एक पत्र लिखा था और उसी दिन राणा कपूर ने चेक के जरिए प्रियंका गांधी वाड्रा को 2 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया था. प्रियंका ने साफ कहा है कि ये इस पेंटिंग के लिए फुल एंड फाइनल भुगतान है. इसके बाद प्रियंका ने उम्मीद जताई है कि राणा कपूर इस पेंटिंग को संभाल कर रखेंगे. राणा कपूर ने जिस चेक के जरिए प्रियंका गांधी वाड्रा को 2 करोड़ रुपये का भुगतान किया था उसकी कॉपी भी सामने आ चुकी है. इस पर प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम और रकम साफ लिखी है.

आपने प्रियंका गांधी वाड्रा की चिट्ठी के बारे में तो जान लिया. लेकिन इसके बाद कोई शक नहीं रह जाता है कि Yes बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर ने 2 करोड़ रुपये में राजीव गांधी की पेंटिंग खरीदी थी. प्रियंका गांधी वाड्रा ने खुद माना कि राणा कपूर ने उन्हें 2 करोड़ रुपये का भुगतान किया. लेकिन राणा कपूर का इस मामले में क्या कहना है वो भी जानना दिलचस्प है.

पहले की सरकारों में जबरन होते थे सौदे?

राणा कपूर ने प्रवर्तन निदेशालय यानी ED को दिए गए बयान में कहा है कि उन्होंने ये पेंटिंग अपनी खुशी से नहीं खरीदी बल्कि उन्हें इसके लिए मजबूर किया गया. राणा कपूर ने ED की चार्जशीट में कहा है, ये जबरन किया गया सौदा यानी Forced Sale है. जिसके लिए वो कभी तैयार नहीं थे. ऐसे में सवाल है कि देश के एक बड़े प्राइवेट बैंक के पूर्व सीईओ को एक पेंटिंग खरीदने के लिए किसने मजबूर किया. इसका जवाब भी राणा कपूर ने दिया है. उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय मुरली देवरा और उनके बेटे मिलिंद देवरा का नाम लिया है. राणा कपूर ने अपने बयान में कहा है कि 2010 के आस पास मिलिंद देवरा मुंबई में कई बार उनके घर और दफ्तर में आए थे. मिलिंद देवरा चाहते थे कि राणा कपूर प्रियंका गांधी वाड्रा से एक पेंटिंग खरीद लें.

ED की चार्जशीट के मुताबिक मिलिंद देवरा ने राणा कपूर को कई बार कॉल और मैसेज किए. लेकिन राणा कपूर पेंटिंग खरीदना नहीं चाहते थे. इसलिए राणा कपूर ने कई बार मिलिंद देवरा की कॉल और मैसेज को नजरअंदाज किया. इसके अलावा राणा कपूर ने उनके साथ मुलाकात को भी टालने की कोशिश की ताकि उन्हें ये पेंटिंग नहीं खरीदनी पड़े.

सौदा कैंसिल करना मतलब, कांग्रेस से संबंध बिगाड़ना

राणा कपूर के मुताबिक जब उन्होंने मिलिंद देवरा की बात नहीं मानी तो मिलिंद देवरा के पिता मुरली देवरा ने उन पर दबाव डाला. मुरली देवरा ने चेतावनी दी कि अगर राणा कपूर ने उनकी बात नहीं मानी तो उन्हें और Yes बैंक को इसका अंजाम भुगतना पड़ सकता है. मुरली देवरा ने ये भी कहा कि अगर राणा कपूर ने पेंटिंग नहीं खरीदी तो गांधी परिवार से उनके रिश्ते नहीं बन पाएंगे. एक केंद्रीय मंत्री की इस धमकी को अनदेखा करना राणा कपूर के लिए मुश्किल हो गया. 

डिनर टेबल पर हुई थी ये गंभीर बात

ईडी की चार्जशीट में राणा कपूर ने कहा है कि 2010 में मुरली देवरा ने उन्हें दिल्ली में लोधी एस्टेट के अपने बंगले में डिनर पर बुलाया. वो उन दिनों पेट्रोलियम मंत्री थे. राणा कपूर का दावा है कि मुरली देवरा ने उन्हें  साफ शब्दों में कहा कि इस पेंटिंग को खरीदने में देर करने का नतीजा अच्छा नहीं होगा. राणा कपूर और Yes बैंक को इसका नुकसान होगा. अगर राणा कपूर ने उनकी बात नहीं मानी तो देवरा परिवार से उनके रिश्ते बिगड़ जाएंगे. इसके अलावा राणा कपूर गांधी परिवार से अच्छे रिश्ते बनाने का मौका भी खो देंगे.

राणा कपूर के बयान में बड़े खुलासे

सोचिए एक केंद्रीय मंत्री देश के एक बड़े प्राइवेट बैंक के सीईओ को धमकी दे रहे थे कि वो गांधी परिवार से एक पेंटिंग मुंहमांगे दाम में खरीद लें और अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. लेकिन मुरली देवरा ने राणा कपूर को सिर्फ धमकी नहीं दी. इसके साथ लालच भी दिया और लालच भी छोटा मोटा नहीं बल्कि पद्मभूषण पुरस्कार का. जिसे देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार माना जाता है. इसका खुलासा भी राणा कपूर ने ईडी को दिए बयान में किया है.

दुश्मनी के डर से किया सौदा

मुरली देवरा ने राणा कपूर से कहा कि वो पद्मभूषण पुरस्कार के हकदार हैं लेकिन अगर राणा कपूर ने जल्दी पेंटिंग का सौदा फाइनल नहीं किया तो उन्हें ये पुरस्कार नहीं मिल सकेगा. राणा कपूर ने चार्जशीट में कहा है कि मुरली देवरा की धमकी के बाद उन्होंने मजबूरी में प्रियंका गांधी से 2 करोड़ में पेंटिंग खरीदने का फैसला किया. क्योंकि वो दो बड़े राजनीतिक परिवारों यानी गांधी परिवार और देवरा परिवार से दुश्मनी मोल लेना नहीं चाहते थे.

चेक के जरिए हुआ 2 करोड़ का भुगतान

ईडी की चार्जशीट के मुताबिक धमकी मिलने के बाद राणा कपूर ने हिचकिचाते हुए पेंटिंग खरीदने की प्रक्रिया शुरू की. राणा कपूर ने अपने बैंक खाते से चेक के जरिए 2 करोड़ का भुगतान किया. पेपर वर्क और पेंटिंग का हैंडओवर नई दिल्ली में प्रियंका गांधी वाड्रा के ऑफिस में हुआ. हालांकि राणा कपूर ने ये भी स्पष्ट किया है गांधी परिवार के किसी भी सदस्य से उनकी मुलाकात नहीं हुई. यानी वो प्रियंका, राहुल या सोनिया गांधी से कभी नहीं मिले. राणा कपूर ने दावा किया कि मिलिंद देवरा उन पर ढाई करोड़ में ये पेंटिंग खरीदने के लिए दबाव डाल रहे थे लेकिन उन्होंने मोलभाव कर देवरा को दो करोड़ में राजी कर लिया.

पेंटिंग की बिक्री के पैसों से हुआ सोनिया गांधी का इलाज

राणा कपूर ने ईडी को दिए बयान में कहा कि कांग्रेस के बड़े नेता और गांधी परिवार के करीबी स्वर्गीय अहमद पटेल को भी इस डील की जानकारी थी. अहमद पटेल और मिलिंद देवरा ने उन्हें बताया था कि पेंटिंग की बिक्री से मिले पैसों से विदेश में सोनिया गांधी का इलाज करवाया गया. राणा कपूर ने आरोप लगाया है कि मिलिंद देवरा और उनके पिता मुरली देवरा ने उन पर पेंटिंग खरीदने का दबाव बनाया. मिलिंद देवरा का एक पत्र के मुताबिक. ये पेंटिंग की डील जून 2010 में हुई. यह चिट्ठी मई 2010 की है. यानी ये पत्र सौदा होने से एक महीना पहले का है. इसमें मिलिंद देवरा ने राणा कपूर से कहा है कि वो प्रियंका गांधी वाड्रा से बात कर पेटिंग के सौदे को फाइनल कर लें. 

राणा कपूर के साथ हुआ बड़ा धोखा

इसमें मिलिंद देवरा ने राणा कपूर को लिखा है कि उन्हें सीधे प्रियंका गांधी वाड्रा से पर बात कर लेनी चाहिए. मिलिंद देवरा आगे लिखते हैं कि प्रियंका या उनका परिवार ऐसे व्यक्ति को ही पेंटिंग बेचेगा, जिसके बारे में विश्वास हो कि वो इसे सुरक्षित रखेगा. इसलिए बेहतर होगा कि राणा कपूर प्रियंका गांधी को पत्र लिखकर इस ऐतिहासिक पेंटिंग को खरीदने के बारे में अपनी दिलचस्पी जाहिर करें. यानी ये इस बात का एक और सबूत है कि देवरा परिवार लगातार कोशिश कर रहा था कि राणा कपूर राजीव गांधी की पेंटिंग खरीद लें. राणा कपूर का दावा कितना सही है, ये तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन ये सच है कि उन्हें पेंटिंग खरीदने के बाद भी पद्म भूषण पुरस्कार नहीं मिला.

पुरस्कारों की प्रतिष्ठा पर उठ रहे सवाल

लेकिन इससे ये सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस की सरकार के दौरान पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे पुरस्कार बिकते थे? क्या पद्मभूषण पुरस्कार की कीमत 2 करोड़ रुपये थी? इस खबर से ये भी पता चलता है कि पहले देश में जो सरकारें थीं, वो किस तरह पद्म पुरस्कार बांटती थीं. अगर किसी बैंक का सीईओ या कोई उद्योगपति या किसी बड़े राजनेता की पेंटिंग खरीद ले तो उसे पद्मभूषण का खिताब मिल सकता था. अगर कोई कारोबारी या सेलिब्रिटी सत्तारूढ़ पार्टी का करीबी होता था तो उसे पद्मश्री या पद्मभूषण मिल जाता था. लेकिन अब ये परंपरा बदल चुकी है.

अब हकदारों को मिलता है सम्मान

आपने देखा होगा कि अब पद्म पुरस्कार समाज में अंतिम कतार में खड़े ऐसे लोगों को भी दिए जाते हैं, जो निस्वार्थ भाव से देश की सेवा करते हैं, लेकिन दौलत और शोहरत की चकाचौंध से दूर रहते हैं. ऐसे दलित, आदिवासी और गरीब लोग भी अब देश के प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों से नवाजे जाते हैं, जिनका नाम तक कोई नहीं जानता. जो अपना जीवन समाज की भलाई और तरक्की के लिए लगा देते हैं, लेकिन कभी उसका प्रचार नहीं करते और न ही उसका राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश करते हैं. जिनके पैरों में चप्पल तक नहीं होती, उन्हें भी राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है. क्योंकि वो इसके सच्चे हकदार होते हैं.

कांग्रेस ने आरोपों का किया खंडन

अब 2 करोड़ देने वाले नहीं, 130 करोड़ लोगों की सेवा करने वालों को पद्म पुरस्कार मिलते हैं. पेंटिंग राजीव गांधी की थी. भुगतान प्रियंका गांधी वाड्रा को हुआ. इलाज सोनिया गांधी का हुआ और पेटिंग खरीदने का दबाव कांग्रेस के नेताओं ने डाला. ये पूरी कहानी सामने आने के बाद बीजेपी को कांग्रेस पर हमला करने का एक और मौका मिल गया. बीजेपी ने आरोप लगाया कि जब कांग्रेस सत्ता में थी तब राणा कपूर को डरा कर और लालच देकर पेंटिंग खरीदने के लिए विवश किया गया. मामला गांधी परिवार का है, इसलिए कांग्रेस ने भी जवाब देने में देर नहीं की. कांग्रेस ने कहा कि राणा कपूर को पेंटिंग खरीदने के लिए मजबूर करने के आरोप में कोई दम नहीं है. बीजेपी एक आरोपी के बयान को आधार बनाकर कांग्रेस को बदनाम करने की कोशिश कर रही है. इस खबर को लेकर Zee News ने कांग्रेस नेता मिलिंद देवरा का पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया.

 

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