धर्मांतरण मुद्दा: प्रधानमंत्री के जवाब को लेकर राज्यसभा में अड़ा विपक्ष
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धर्मांतरण मुद्दा: प्रधानमंत्री के जवाब को लेकर राज्यसभा में अड़ा विपक्ष

जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के जवाब की मांग को लेकर अड़े विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा में आज लगातार पांचवे दिन भी गतिरोध बरकरार है तथा इस मुद्दे पर हंगामे के कारण बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। विपक्ष पीएम के बयान की मांग पर अड़ा रहा और राज्‍यसभा में 'प्रधानमंत्री होश में आओ' के नारे भी लगे।

धर्मांतरण मुद्दा: प्रधानमंत्री के जवाब को लेकर राज्यसभा में अड़ा विपक्ष

नई दिल्ली : जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के जवाब की मांग को लेकर अड़े विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा में आज लगातार पांचवे दिन भी गतिरोध बरकरार है तथा इस मुद्दे पर हंगामे के कारण बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। विपक्ष पीएम के बयान की मांग पर अड़ा रहा और राज्‍यसभा में 'प्रधानमंत्री होश में आओ' के नारे भी लगे।

सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर जवाब दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि वह इस सदन के माध्यम से देश के 125 करोड़ लोगों के प्रति जवाबदेह हैं। उन्होंने कहा कि मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान जनता से वादा किया था कि वह उनके हर मुद्दे के प्रति जवाबदेह होंगे। कांग्रेस ने कहा कि जबरन धर्मांतरण अपराध है। पीएम जब तक चुप्‍पी साधेंगे, उतना बीजेपी को नुकसान होगा।

उन्होंने मोदी को पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू तथा अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा राज्यसभा सहित संसद के दोनों सदनों का बेहद सम्मान किए जाने की बात को याद दिलाते हुए कहा कि धर्मांतरण के मुद्दे पर जवाब देने के लिए यह सदन एकदम उपयुक्त जगह है। इस मुद्दे पर सरकार का पक्ष रखते हुए संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि वह विपक्ष के नेता की बातों से सहमत हैं। उन्होंने कहा कि धर्मान्तरण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और विपक्ष को इस मुद्दे पर चर्चा शुरू करनी चाहिए और उसे बताना चाहिए कि धर्मांतरण पर कानून बनाने के बारे में उसकी क्या राय है।

पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने विपक्ष के नेता को सुझाव दिया कि उन्होंने आज सदन में जो कहा उसे ही धर्मान्तरण मुद्दे पर चर्चा की शुरुआत मानते हुए चर्चा को आगे बढ़ाना चाहिए। इसी बीच, कांग्रेस, जदयू, सपा एवं तृणमूल कांग्रेस के कई सदस्य प्रधानमंत्री को सदन में बुलाने की मांग पर आसन के समक्ष आ कर नारेबाजी करने लगे। नारेबाजी के दौरान उप सभापति पी जे कुरियन ने अन्नाद्रमुक के एके सेल्वाराज से शून्यकाल के दौरान उनका मुद्दा उठाने को कहा। अन्नाद्रमुक सदस्य ने अपनी बात भी रखी लेकिन हंगामे के बीच उनकी बात सुनी नहीं जा सकी। इसके बाद उपसभापति ने जदयू के केसी त्यागी को शून्यकाल में उनका मुद्दा उठाने को कहा। लेकिन त्यागी ने सदन के व्यवस्थित नहीं होने की ओर ध्यान दिलाते हुए अपनी बात शुरू करने से मना कर दिया। हंगामे के चलते कुरियन ने बैठक को दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

इससे पूर्व शून्यकाल में सपा के नरेश अग्रवाल ने व्यवस्था के प्रश्न के नाम पर यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि सदन के संचालन की नियमावली के नियम 259 के तहत सभापति को अधिकार है कि वह सरकार को निर्देश दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि कल जब नियम 267 के तहत चर्चा को स्वीकार किया गया था तो सभापति चर्चा का जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री को निर्देश दे सकते थे। इस पर कुरियन ने व्यवस्था देते हुए कहा कि नियम 267 के तहत कल आसन की ओर से चर्चा के लिए दो बार अनुमति दी गयी। इस नियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि आसन मंत्री या विशिष्ट मंत्री को चर्चा का जवाब देने के लिए निर्देश दे सके। उन्होंने कहा कि इस मामले में नियम 259 को लागू नहीं किया जा सकता।

इसके बाद विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने इसी मुद्दे को उठाते हुए कहा कि जबरन धर्मांतरण का मुद्दा केवल सदन तक ही सीमित नहीं बल्कि गांव.गावं तक फैल गया है। उन्होंने एक अखबार की खबर का हवाला देते कहा कि अमेरिका ने भी कहा है कि वह इस घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है। उन्होंने कहा कि संविधान के तहत धर्मान्तरण उचित है। लेकिन प्रलोभन देकर, राशन कार्ड या अन्य सुविधाएं बनवाने का प्रलोभन देकर धर्मान्तरण करवाना असंवैधानिक, अनैतिक और आपराधिक कृत्य है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जब विदेश जाते हैं तो उनका इसलिए स्वागत होता है कि वह 125 करोड़ की बहु धार्मिक आबादी वाले देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। आजाद ने कहा कि मोदी को 10.12 साल तक कई देशों में जाने की अनुमति नहीं मिली।

उन्होंने कहा कि धर्मान्तरण के मुद्दे पर जवाब उन्हीं को देना चाहिए क्योंकि ‘उन्हीं ने दर्द दिया है, वही दवा देंगे।’ आजाद ने कहा कि मोदी ने चुनाव के दौरान देश की जनता को आश्वासन दिया था कि वह उनके मुद्दों के प्रति जवाबदेह होंगे। विपक्ष के नेता ने साथ ही यह भी कटाक्ष किया कि मोदी ने पार्टी के लिए नहीं अपने लिए वोट मांगे थे। आजाद ने कहा कि यह सदन इस मुद्दे का जवाब देने के लिए बिल्कुल उपयुक्त जगह है। यह सदन प्रधानमंत्री का घर है। उन्हें इस सदन और संसद के दूसरे सदन का पूरा सम्मान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में आकर आश्वासन देना चाहिए। वहीं, मायावती ने कहा कि पीएम को धर्मांतरण के मुद्दे पर जवाब देना होगा।

एक बार के स्थगन के बाद सदन की बैठक जब बारह बजे शुरू हुई तो विपक्षी सदस्यों ने धर्मान्तरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के जवाब की मांग फिर दोहराई। माकपा के पी राजीव और तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिए हैं लिहाजा प्रश्नकाल स्थगित कर चर्चा शुरू की जानी चाहिए। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि इसी सदन में कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया था जिसे तोड़ा गया है और इस बारे में प्रधानमंत्री को सदन में आ कर जवाब देना चाहिए। वह सदन में क्यों नहीं आते। वह बाहर बोलते हैं, सदन में आ कर क्यों नहीं बोलते। डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि पूरा विपक्ष चर्चा चाहता है तो फिर प्रधानमंत्री इससे क्यों बचना चाह रहे हैं।

भाकपा के डी राजा ने कहा कि इस मुद्दे की गंभीरता को, संसद और बाहर बने माहौल को देखते हुए सदन को इस पर चर्चा करनी चाहिए और फिर प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए। सभापति ने कहा कि चर्चा शुरू की जा सकती है लेकिन सदस्य इसके लिए कोई शर्त नहीं रख सकते। उन्होंने कहा कि सदन की परंपरा है कि चर्चा का जवाब संबद्ध मंत्री देता है और अगर सदस्य जवाब से असंतुष्ट हैं तो इसे जाहिर करने के लिए एक प्रक्रिया है। इसका पालन किया जाना चाहिए। शर्मा ने कहा कि सरकार और प्रधानमंत्री ने विपक्ष का आग्रह खारिज कर दिया है। इस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि विपक्ष यह तय नहीं करेगा कि चर्चा का जवाब कौन देगा। यह सरकार तय करेगी। इसी बीच, कांग्रेस, सपा, जदयू और तृणमूल सदस्य प्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे।

सभापति ने सदस्यों से शांत रहने और प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह किया लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने 12 बज कर करीब 10 मिनट पर बैठक को दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। (एजेंसी इनपुट के साथ)

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