जेठमलानी ने अलगाववादियों पर कार्रवाई के लिए सरकार की आलोचना की
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जेठमलानी ने अलगाववादियों पर कार्रवाई के लिए सरकार की आलोचना की

भाजपा के पूर्व नेता और प्रतिष्ठित वकील राम जेठमलानी ने पाकिस्तान उच्चायोग के प्रस्तावित स्वागत समारोह में हिस्सा लेने से हुर्रियत नेताओं को रोकने के लिए रविवार को सरकार की आलोचना की। इसकी वजह से दोनों देशों के बीच एनएसए स्तर की वार्ता को आखिरकार रद्द करना पड़ा।

जेठमलानी ने अलगाववादियों पर कार्रवाई के लिए सरकार की आलोचना की

नई दिल्ली : भाजपा के पूर्व नेता और प्रतिष्ठित वकील राम जेठमलानी ने पाकिस्तान उच्चायोग के प्रस्तावित स्वागत समारोह में हिस्सा लेने से हुर्रियत नेताओं को रोकने के लिए रविवार को सरकार की आलोचना की। इसकी वजह से दोनों देशों के बीच एनएसए स्तर की वार्ता को आखिरकार रद्द करना पड़ा।

जेठमलानी ने हुर्रियत नेताओं को अलगाववादी बताए जाने पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह ‘मंत्रिमंडल, सरकार, पार्टियों के निरक्षर लोगों’ की ‘गंभीर नासमझी’ और ‘अनभिज्ञता’ को दर्शाता है। जेठमलानी ने 2002 में कश्मीर पर वार्ताकार की भूमिका निभाने के लिए एक समिति का गठन किया था।

जेठमलानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने जीवन की ‘सबसे बड़ी निराशाओं में से एक’ बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को बोलना चाहिए।

उन्होंने पाकिस्तान के उच्चायुक्त द्वारा दिए गए प्रस्तावित स्वागत समारोह में पाकिस्तान के एनएसए सरताज अजीज से हुर्रियत नेताओं को मिलने से रोकने की सरकार की उत्सुकता की आलोचना की।

संवाददाताओं से यहां बातचीत में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के उच्चायुक्त यहां ‘एक संप्रभु सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं और कैसे आप उन्हें लोगों से मिलने से रोक सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई देश को काफी बदनाम करती है।

उन्होंने कहा, ‘वे न तो अंतरराष्ट्रीय कानून को जानते हैं--- हमारे नेता ---मैं सभी नेताओं के बारे में बोल रहा हूं, कांग्रेस में ज्यादा हैं। मोदी साहब इन दिनों नहीं बोलते हैं। वह मेरे जीवन की सबसे बड़ी निराशाओं में से एक हैं। उन्हें बोलना चाहिए।’

जेठमलानी ने कहा, ‘अगर आप नहीं जानते हैं कि कैसे बोलना चाहिए तो कम से कम किसी से सलाह ले लें। निश्चित तौर पर बेहतर लोग हैं और सिर्फ इसलिए कि आप प्रधानमंत्री हैं, आप सबसे बुद्धिमान व्यक्ति नहीं हो जाते। लेकिन वह सीखना नहीं चाहते।’

उन्होंने सवाल किया कि किस कानून के तहत हुर्रियत नेताओं को पाकिस्तान उच्चायोग के प्रस्तावित स्वागत समारोह में हिस्सा लेने से रोका गया। उन्होंने कहा, ‘यह हास्यास्पद है। हम गलत आचरण का अनावश्यक उदाहरण दे रहे हैं। कूटनीतिक व्यवहार की हम गलत मिसाल पेश कर रहे हैं।’ कश्मीर मुद्दे पर बात करते हुए जेठमलानी ने कहा, ‘एक टिकाऊ और सम्मानजनक शांतिपूर्ण समाधान अवश्य पाया जा सकता है। समाधान राजनैतिक तत्वों और राज्य के क्षेत्रों को अवश्य स्वीकार्य होना चाहिए।’

उन्होंने कहा कि कश्मीर कमेटी ने इस बात को सुनिश्चित किया था कि दोनों पक्ष-अलगाववादी और सरकार अपने चरम रख को बदलें। उन्होंने कहा, ‘‘उनकी तरफ से चरम रख अलगाव है। इस तरफ से चरम रख अनुच्छेद 370 को समाप्त करना है।’

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