Ram Mandir News: उनका नाम देवरहा बाबा था. वह लकड़ी के मचान पर रहा करते थे. कहते थे कि वह सैकड़ों साल तक जिए. लाखों-करोड़ों की संख्या में उनके अनुयायी थे. दिल्ली के नेता उनसे आशीर्वाद लेने जाते थे. अब अयोध्या मंदिर के लिए जो न्योता भेजा जा रहा है उसमें भी उनका नाम है. इसके पीछे दिलचस्प कहानी है.
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Devraha Baba Ram Mandir: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में होने वाले भव्य समारोह के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से जो निमंत्रण पत्र भेजा जा रहा है, वह बेहद खास है. इसे सिर्फ न्योता नहीं, आमंत्रण का गुलदस्ता समझिए. एक पुस्तिका श्रीरामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए 500 साल के संघर्ष में अहम भूमिका निभाने वाले लोगों को समर्पित है. रामलला की तस्वीर के बाद अगले ही पन्ने में जिस महान विभूति की तस्वीर सबसे पहले दिखाई देती है, उसे आज की पीढ़ी भले ही न पहचाने पर वह यूपी समेत देशभर में आज भी पूजनीय हैं. उनके बारे में कहा जाता था कि लकड़ी के मचान पर बैठकर वह देश चलाने की ताकत रखते हैं. लंबे बाल, सफेद दाढ़ी, चमकता ललाट... वह पूज्य देवरहा बाबा जी महाराज थे. 1992 की घटना से काफी पहले उन्होंने कहा था कि मंदिर कायदे से बन जाएगा. पहले, वीडियो में आमंत्रण पत्र देखिए.
ऐसा शुभ अवसर शतशतकोंमें एक बार ही आता है
अयोध्या में बन रहे भव्य राममंदिर में रामलल्ला की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा का साक्षी बनने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हो रहा है अवश्य ही कुछ अच्छा कर्मफल होगा तभी ये निमंत्रण मेरे भाग्य में लिखा था
मैं अत्यंत विनम्रतापूर्वक और… pic.twitter.com/KbkthJXPT4— Shefali Vaidya (@ShefVaidya) January 2, 2024
'विश्व हिंदू परिषद मेरी आत्मा'
विशिष्ट जनों को समर्पित बुकलेट में सबसे पहले देवरहा बाबा के बारे में लिखा गया है, 'रामानुज परंपरा के वाहक, दिव्य एवं उच्च आध्यात्मिक शक्तियों से ओतप्रोत पूज्य देवरहा बाबा 1989 के प्रयाग महाकुंभ के अवसर पर विश्व हिंदू परिषद की ओर से आयोजित संत सम्मेलन और धर्म संसद में पधारे थे. उन्होंने घोषणा की थी कि विश्व हिंदू परिषद मेरी आत्मा है, मेरी सहमति से श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन चल रहा है.'
इस दुर्लभ वीडियो में स्वर्गीय अशोक सिंघल जी और पूर्व डीजीपी श्रीशचंद्र दीक्षित जी पूज्य देवराह बाबा को साष्टांग प्रणाम कर रहें हैं और नवंबर 1989 में शिलान्यास के बाद श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में आगे के लिए मार्गदर्शन माँग रहे हैं। pic.twitter.com/Nd7VpPxvCp
— Friends of RSS (@friendsofrss) August 6, 2020
आखिर, कौन थे देवरहा बाबा
उनकी उम्र के बारे में काफी बातें कही जाती थीं. उनके समर्थक मानते थे कि देवरहा बाबा 250 साल से ज्यादा जिए. कुछ लोग उन्हें सिद्ध संत और जन्म का साल 1477 बताते हैं. जून 1990 में उन्होंने शरीर त्याग दिया था. उनके पास दिग्गज नेताओं का तांता लगा रहता था. वह मथुरा में यमुना नदी के किनारे रहते. 12 फीट ऊंचे लकड़ी के प्लेटफॉर्म पर उनका ठिकाना था. वह कपड़े नहीं पहनते थे. उनके चारों तरफ लकड़ी का घेरा बना दिया गया था. ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि राम मंदिर आंदोलन में देवरहा बाबा की क्या भूमिका रही? एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया था कि राम मंदिर बनाने के लिए कुछ लोगों ने प्रयास किए तो कुछ ने रोका. राजीव गांधी भी आपके पास आए थे. विश्व हिंदू परिषद के लोग भी आपके पास आते हैं. क्या राजीव गांधी ने मंदिर बनने से रोका? इस पर देवरहा बाबा ने कहा था, 'रामजन्मभूमि के संबंध में राजीव गांधी का सिद्धांत भी अच्छा है, सबका सिद्धांत अच्छा है.' पत्रकार ने बार-बार सवाल करना शुरू किया तो उन्होंने कहा था कि सुनो, मंदिर कायदे से बन जाएगा. इसमें कोई संदेह नहीं है.
परम पूज्य देवरहा बाबा ने जनवरी 1990 में ही राम मंदिर के निर्माण की भविष्यवाणी की थी जो आज चरितार्थ हो रहा है।
जब एक सिद्ध संत अपने वचन बोलते हैं तो प्रकृति और ब्रह्मांड की शक्तियां उसे स्वीकार करती है क्योंकि वह योगी परमात्मा का प्रिय होता है। pic.twitter.com/DFjph6dG74
— Anurag (@anuragjikashi) September 13, 2022
जब इंदिरा आईं दर्शन को...
हिंदू राष्ट्र की बात पर देवरहा बाबा कहते थे कि यह देश हिंदू राष्ट्र पहले से है. इसमें राम-कृष्ण अवतार हुए... यह देश ही हिंदू का है. बाकी जातियों से प्रेम करना चाहिए. वह भारत की गरीबी दूर करने और समृद्धशाली बनाने के लिए गोरक्षा को बेहद जरूरी बताते थे. बताते हैं कि एक बार इंदिरा गांधी उनसे आशीर्वाद लेने आई थीं और उन्होंने हाथ उठाकर पंजे से आशीर्वाद दिया. यह देख इंदिरा ने लौटकर कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ का निशान तय कर दिया.
बताते हैं कि हिमालय में वर्षों की साधना के बाद वह यूपी के देवरिया में काफी समय तक रहे, बाद में उन्हें 'देवरहा बाबा' कहा जाने लगा.
बुकलेट में 500 साल के संघर्ष की दास्तां
'संकल्प' शीर्षक से ट्रस्ट की ओर से न्योते के साथ भेजे जा रहे इस बुकलेट में लिखा गया है कि इस पुस्तिका का यह पुष्प उन सभी को समर्पित है जिन्होंने सन् 1528 से लेकर 1984 तक श्रीराम जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 76 संघर्षों में भाग लिया. आगे लिखा गया, '7 अक्टूबर 1984 को सरयू तट पर श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति का संकल्प लेकर प्रारंभ हुआ 77वां संघर्ष और उसका मार्गदर्शन करने वाले, इस संघर्ष को गांव-गांव पहुंचाने में जिन पूज्य संतों-महात्माओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद और अन्य समितियों, न्यास, धार्मिक-सामाजिक संगठन के कार्यकर्ताओं ने इस आंदोलन को देश के लाखों लोगों तक पहुंचाकर सफलता के शिखर को प्राप्त किया. उन सभी को तथा इस समग्र आंदोलन के सेनापति मान्यवर अशोक सिंघल जी के श्रीचरणों में सभक्ति यह पुष्प समर्पित है.'
इसके अलावा, मुख्य कार्ड के ऊपर राम मंदिर की तस्वीर दिखाई देती है. अंग्रेजी वाले कार्ड में 'Ceremony Special' का टाइम दोपहर में 12.20 बजे का दिया गया है. अगले पन्ने में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, यूपी की गवर्नर आनंदी बेन पटेल और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास जी का नाम सबसे ऊपर अंकित है. बीच में कार्यक्रम के बारे में जानकारी और नीचे निवेदक में ट्रस्टी के नाम लिखे हैं. इस कार्ड के साथ एक और कार्ड भेजा जा रहा है. हिंदी में सबसे ऊपर लिखा है 'अपूर्व अनादिक निमंत्रण, श्री राम धाम अयोध्या.' आगे बढ़ते ही इस कार्ड में राम मंदिर के बाद भगवान राम के बाल रूप के दर्शन होते हैं. वह हाथ में धनुष लिए हुए हैं. आगे कुछ और जानकारियां दी गई हैं.