17 सालों बाद बन रहा है यह संयोग, जानिए क्यों खास है इस साल सोमवती अमावस्या
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17 सालों बाद बन रहा है यह संयोग, जानिए क्यों खास है इस साल सोमवती अमावस्या

हिंदू धर्म में सोमवती समस्या का खास महत्व है. इस दिन खासकर गंगा स्नान और दान करने का विधान है.

सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव, पार्वती और तुलसी की पूजा होती है  (फाइल फोटो)

हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का खास महत्व है. इस दिन खासकर गंगा स्नान और दान करने का विधान है. आज सोमवती अमावस्या  है और इस साल लगभग 17 सालों बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि सोमवती अमावस्या असल में सोमवार के दिन है जिसे भगवान शिव का दिन माना जाता है. 

  1. 17 सालों बाद सोमवती अमावस्या पर बन रहा ऐसा शुभ संयोग
  2. विवाहित महिलाएं अखण्ड सौभाग्य के लिए रखती हैं व्रत
  3. सोमवती अमावस्या के दिन पितरों की होती है पूजा 

सोमवती अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है. इस साल 15 अप्रैल को सुबह 8:37 बजे से लेकर 16 अप्रैल को 7: 27 बजे तक सोमवती अमावस्या का मुहूर्त है. इस दिन पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. 

ऐसी है मान्यता  
ऐसा माना जाता है कि सोमवती अमावस्या के दिन मौन व्रत रहने से गोदान का फल मिलता है. विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत भी रखती हैं. इस दिन पीपल के वृक्ष को शिवजी का वास मानकर फूल, जल, दूध, अक्षत आदि से पूजा की जाती है और पीपल के पेड़ के चारों ओर 108 बार धागा लपेटा जाता है.

भगवान सूर्य को अर्घ्य 
शास्त्रों में कहा गया है कि माघ और पौष के महीने में नदी या तालाब में भगवान को सूर्य को अर्घ्य देने से मनचाहा फल प्राप्त होता है. खासकर सोमवती अमावस्या के दिन ऐसा करने से ये पुण्य कई गुणा बढ़ जाता है. 

पितरों को सर्मपित 
ऐसा माना जाता है कि आज का दिन पितरों को सर्मपित है और आज के दिन विशेष पूजा की जाती है, भगवान का ध्यान किया जाता है.खासकर नदी के किनारे पितरों की पूजा की जाती है और पंडितों और गरीबों को दान किया जाता है. इसके बाद भगवान शिव, पार्वती और तुलसी की पूजा की जाती है.  

अखण्ड सौभाग्य 
ऐसा माना जाता है कि इस दिन विवाहित महिलाएं अगर तुलसी व सिंदूर चढ़ाकर अपनी मांग में लगा लें तो अखण्ड सौभाग्यवती बनती हैं. विवाहित महिलाओं को आज कपड़े, जेवर, बरतन, अनाज या खाने की वस्तुएं भी दान करनी चाहिए. 

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