नोटबंदी पर रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल ने तोड़ी चुप्पी कहा,'नोटों की पूरी है उपलब्धता'
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नोटबंदी पर रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल ने तोड़ी चुप्पी कहा,'नोटों की पूरी है उपलब्धता'

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने नोटबंदी के मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए आज कहा कि केंद्रीय बैंक पुराने बड़े मूल्य के नोटों पर पाबंदी से उत्पन्न स्थिति की दैनिक आधार पर समीक्षा कर रहा और ‘नागरिकों की वास्तविक तकलीफ’ को दूर करने के लिये हर जरूरी कदम उठा रहा है। आरबीआई प्रमुख ने कहा कि उनकी स्पष्ट मंशा है कि परिस्थितियां शीघ्राति-शीघ्र सामान्य हों।

फाइल फोटो

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने नोटबंदी के मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए आज कहा कि केंद्रीय बैंक पुराने बड़े मूल्य के नोटों पर पाबंदी से उत्पन्न स्थिति की दैनिक आधार पर समीक्षा कर रहा और ‘नागरिकों की वास्तविक तकलीफ’ को दूर करने के लिये हर जरूरी कदम उठा रहा है। आरबीआई प्रमुख ने कहा कि उनकी स्पष्ट मंशा है कि परिस्थितियां शीघ्राति-शीघ्र सामान्य हों।

रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि 5,00 और 1,000 रुपये के नोट पर पाबंदी के बाद स्थिति की दैनिक आधार पर समीक्षा की जा रही है और नोट मुद्रण कारखानों ने 100 और 500 रुपये के नोट की छपाई पर जोर देना शुरू किया है। रिजर्व बैंक का गवर्नर बनने के बाद पटेल का किसी मीडिया के साथ पहला साक्षात्कार है। पटेल अपने को प्रचार से दूर रख कर काम करने वाले हैं।

पटेल ने नागरिकों से से भुगतान के लिए डेबिट कार्ड और डिजिटल वालेट जैसे नकद विकल्पों का उपयोग शुरू करने का अनुरोध किया और कहा कि इससे लेन-देन सस्ता तथा आसान होगा तथा इससे आगे चल कर भारत को विकसित देशों की तरह नकदी के कम उपयोग वाली अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी। 

उन्होंने कहा, ‘हम बैंकों से व्यपारियों के बीच पीओएस (प्वाइंट आफ सेल) मशीनों को बढ़ावा देने का अनुरोध कर रहे हैं ताकि डेबिट कार्ड का उपयोग ज्यादा प्रचलित हो।’

पटेल ने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक ने 1,000 और 500 रपये के नोट जमा करने से बैंकों की जमा में उल्लेखनी वृद्धि के कारण बढ़ी हुई नकदी पर 100 प्रतिशत सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) की भी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि एक बार सरकार अपने वादे के अनुरूप पर्याप्त मात्रा में एमएसएस (बाजार स्थिरीकरण योजना) बांड जारी कर देती है तो उसके बाद सीआरआर बढाने संबंधी इस निर्णय की समीक्षा की जाएगी।

रिजर्व बैंक द्वारा उठाये गये कदमों के बारे में विस्तार से बताते हुए उर्जित पटेल ने कहा, ‘..आरबीआई और सरकार दोनों ही मुद्रण कारखानों को पूरी क्षमता से चलवा रहे हैं ताकि मांग को पूरा करने के लिये नये नोट उपलब्ध हों।’

उन्होंने कहा, ‘रिजर्व बैंक हर दिन बैंकों से बातचीत कर रहा है। वे हमें बता रहे हैं स्थिति धीरे-धीरे सहज हो रही है। शाखाओं और एटीएम पर कतारें छोटी हो रही हैं और बाजार चालू हो रहे हैं। दैनिक उपभोग की वस्तुओं की किसी कमी की रिपोर्ट नहीं है।’

पटेल ने कहा, ‘साथ ही करीब 40,000 से 50,000 लोगों को एटीएम में जरूरी सुधार के लिये लगाया गया है। मुद्रा उपलब्ध है और बैंक रुपये को उठाने तथा उसे अपनी शाखाओं एवं एटीएम में पहुंचाने के लिये मिशन के रूप में काम कर रहे हैं। सभी बैंकों के कर्मचारियों ने बड़ी मेहनत की है और हम सभी उनके अभारी हैं।’

उन्होंने कहा, ‘इतना कुछ कहने के बाद, स्थिति की नियमित आधार पर समीक्षा करना और तथा उन नागरिकों की वास्तविक तकलीफ को कम करने के निर्णय लेना महत्वपूर्ण है जो ईमानदार है तथा जिन्हें तकलीफ हुई है।’

उन्होंने कहा कि ‘इस विषय में इस पैमाने का कोई उदाहरण हमारे सामने नहीं है, इस मामले हमें स्थिति के हिसाब से चलना पड़ेगा।’ पटेल ने कहा, ‘लोग यह पूछ रहे हैं कि आखिर नई मुद्रा का आकार और कागज की मोटाई में पुराने से अलग क्यों है। इसका कारण यह है कि नई मुद्रा का डिजाइन इस रूप से बनाया गया है कि इसकी नकल मुश्किल हो। जब आप इस पैमाने पर बदलाव के लिये कदम उठा रहे हैं, आपको अच्छे से अच्छे मानदंड अपनाने की जरूरत होती है।’

यह पूछे जाने पर कि आखिर नोटबंदी क्यों जरूरी थी, आरबीआई गवर्नर पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में बताया है कि 1,000 और 500 रुपये के नोट को क्यों वापस लेने की आवश्यकता है।

पटेल ने कहा, ‘अपने संबोधन में उन्होंने उन कारणों के बारे में बताया कि आखिर यह क्यों महत्वूपर्ण है। उन्होंने भारत की जनता के समक्ष यह प्रतिबद्धता जतायी थी कि वह कालाधन पर अंकुश लगाएंगे और पारदर्शिता तथा जवाबदेही लाएंगे एवं नकली नोटों को समाप्त करेंगे।’

उन्होंने कहा, ‘इस दिशा में कई कदम उठाये गये। सबसे पहले, जनधन खाते खाले गये, आय खुलासा योजना चलायी गयी तथा जीएसटी पारित कराया गया। यह लोगों को कर के दायरे में लाने तथा कर दायरा बढ़ाने के प्रयासों का हिस्सा है।’

पटेल ने कहा, ‘लोग बिना कर चुकाये बड़ी राशि के नोट अपने पर रखे हुए थे। जमीन-जायदाद जैसे कुछ क्षेत्र कर से बचने के लिये नकद का उपयोग कर रहे थे। यह नकली मुद्रा पर भी चोट करता है। साथ ही कंपनियों तथा लोगों को नकदी रहित लेन-देन के लिये बढ़ावा देता है जो बहुत ही सुविधाजनक है। इस दिशा में बैंकों ने डेबिट कार्ड शुल्क वापस ले लिया है।’

यह पूछे जाने पर कि आखिर इतनी लंबी कतारें और व्यापार में कमी क्यों हैं, आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘ऐसा जीवन में एकाध बार ही होता है। प्रचलित 86 प्रतिशत मुद्रा को एक बार में हटाने का निर्णय एक बिरला घटनाक्रम है..।’

उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिये पूर्ण रूप से गोपनीयता की जरूरत थी। इसीलिए सभी बैंकों को इस प्रकार के बड़े कदम के लिये 24 घंटों में पूरी तरह तैयार करना मुश्किल था। निश्चित रूप से इससे कुछ समस्याएं हुई। यही कारण है कि हम सभी लोगों से कर चोरी तथा कालाधन के बड़े मुद्दे के लिये समर्थन का अनुरोध करते हैं।’

यह पूछे जाने पर कि उन्हें स्थिति कबतक सामान्य होने की उम्मीद है, अर्थशास्त्री से शीर्ष बैंक के प्रमुख बने उर्जित पटेल ने कहा, ‘बैंक अधिकारी कह रहे हैं कि स्थिति बेहतर हो रही है और महानगरों में स्थितियां सामान्य हो रही हैं लेकिन दूर-दराज के क्षेत्रों में समस्या बनी हुई है।’

उन्होंने कहा, ‘बैंकों में नकदी प्रवाह बढ़ा है और ऐसे में रिण आसानी से उपलब्ध होना चाहिए। हमारा इरादा है कि स्थिति जल्द-से-जल्द सामान्य हो।’ बढ़ी हुई नकदी पर सीआरआर की घोषणा के बारे में पटेल ने कहा, ‘यह 500 और 1,000 रुपये के नोट की वापसी से जमा में उल्लेखनीय मात्रा में वृद्धि के कारण किया गया।’

उन्होंने कहा, ‘इससे बैंकों में नकदी बढ़ी है। इस नकदी को खपाने के लिये अतिरिक्त सीआरआर का उपयोग विशुद्ध रूप से अस्थायी उपाय के रूप में किया गया है। रिजर्व बैंक के पास फिलहाल काफी मात्रा में सरकारी प्रतिभूतियां उपलब्ध है, पर हमारा मानना है कि बैंकों में जमा बढ़ती रही तो ये प्रतिभूतियां कम पड़ सकती हैं। इसी लिए सीआरआर बढाने का यह निर्णय करना पड़ा।’ उन्होंने कहा कि सरकार ने पर्याप्त मात्रा में एमएसएस बांड जारी करने का वायदा किया है और इसके अनुसार वह एक बार पर्याप्त बांड जारी कर देती है तो हम हम तत्काल सीआरआर की समीक्षा करेंगे।’

 

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