जांबाज सैनिकों ने बताई देशभक्ति की असल परिभाषा, पढ़ें वीरता की कहानी
आज जब 23 वर्ष की उम्र में देश के ज्यादातर युवा पार्टी करने के बारे में सोच रहे होते हैं. सोशल मीडिया पर Reels बना कर Like और Comments की दुनिया में खोए होते हैं, तब शहीद बिलाल अहमद माग्रे ने देश की रक्षा के लिए सर्वोच्चन बलिदान देकर ये बताया कि असली राष्ट्रभक्ति क्या होती है.
नई दिल्ली: हम आपको देश के जांबाज सैनिकों की वीरता की कुछ कहानियां बताएंगे. ये आज की सबसे शक्तिशाली तस्वीरें हैं. शहीद बिलाल अहमद माग्रे की मां सारा बेगम आज जब शौर्य चक्र लेने के लिए राष्ट्रपति भवन पहुंची तो उनकी आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे. पूरा राष्ट्रपति भवन उनकी शौर्य गाथा से गूंज रहा था और उनकी मां सारा बेगम के लिए ये क्षण भावुक कर देने वाला था. सोचिए, एक मां के लिए कितना मुश्किल होगा कि जब उसके बेटे की वीरता पूरे देश को बताई जा रही थी, उस समय वो उनके साथ नहीं था.
देश के लिए दिया सर्वोच्च बलिदान
बिलाल अहमद माग्रे जम्मू कश्मीर पुलिस में स्पेशल पुलिस ऑफिसर के पद पर नियुक्त थे और सिर्फ 23 साल के थे. आज जब 23 वर्ष की उम्र में देश के ज्यादातर युवा पार्टी करने के बारे में सोच रहे होते हैं. सोशल मीडिया पर Reels बना कर Like और Comments की दुनिया में खोए होते हैं, तब शहीद बिलाल अहमद माग्रे ने देश की रक्षा के लिए सर्वोच्चन बलिदान देकर ये बताया कि असली राष्ट्रभक्ति क्या होती है. आज जब उनकी वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया तो उनकी मां सारा बेगम भी उन्हें सैल्यूट कर रही थीं.
हमारे देश के लोगों की याद्दाश्त बहुत कमजोर है. उन्हें शहीदों पर बनी फिल्मों की कहानियां तो याद रहती हैं और इन फिल्मों में शहीदों का किरदार निभाने वाले एक्टर भी याद रहते हैं. लेकिन वो उन असली नायकों को भूल जाते हैं, जिन्होंने इस देश को बचाने के लिए अपने प्राणों की कुर्बानी दी. जैसे शहीद मेजर अनुज सूद को आप नहीं जानते होंगे. आज उनकी पत्नी को उनके मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया.
पत्नी से किया था घर आने का वादा
एक मई 2020 को जब आतंकवादियों से मुठभेड़ में मेजर अनुज सूद शहीद हुए थे, तब उनकी पत्नी काफी देर तक उनके ताबूत के पास बैठी रही थीं. उनके लिए ये विश्वास करना मुश्किल था कि शहीद मेजर अनुज सूद अब इस दुनिया में नहीं हैं. एनकाउंटर से कुछ दिन पहले जब मेजर अनुज सूद से उनकी बात हुई थी, तब उन्होंने कहा था कि वो जल्द ही छुट्टियों पर घर आएंगे. वो घर तो आए लेकिन तिरंगे में लिपट कर. आज जब उनकी पत्नी को उनके मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया तो वो काफी भावुक हो गई थीं.
कोई भी जवान अकेला देश के लिए कुर्बानी नहीं देता. उसके साथ उसका पूरा परिवार भी कुर्बानियां देता है और इसे आप तस्वीरों से समझ समझ सकते हैं. आज जब जम्मू कश्मीर के शहीद पुलिस इंस्पेक्टर अरशद खान की पत्नी और उनकी माता को उनके मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया तो उनकी मां की आंखों में आंसू थे.
15 जून 2020 को लद्दाख की गलवान घाटी में शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू की मां और पत्नी को उनके मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया. उन्होंने ही गलवान में हुई हिंसक झड़प के दौरान भारतीय सैनिकों के दल का नेतृत्व किया था.