नई दिल्ली: कर्ज में फंसी अनिल अंबानी (Anil Ambani) की कंपनी रिलायंस कैपिटल लि. (Reliance Capital Limited) को खरीदने के लिए अमेरिका की ओकट्री और जेसी फ्लावर समेत 8 कंपनियां प्रतिस्पर्धा की दौड़ में शामिल हैं. 


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रिलायंस की सहायक इकाइयों, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस, रिलायंस निप्पन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी, रिलायंस सिक्योरिटीज, रिलायंस फाइनेंशियल लि. और रिलायंस ऐसेट रिकंस्ट्रक्शन लि. में पूरी या कुछ हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी रखने वाली 8 कंपनियों ने बोली लगाई है. सूत्रों के अनुसार, हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया कमेटी ऑफ डिबेंचर्स होल्डर्स और डिबेंचर ट्रस्टी विस्तरा आईटीसीएल इंडिया लि. के तत्वाधान में चल रही है. ये आरसीएल के ऊपर 20,000 करोड़ रुपये के बकाया कर्ज का 93% का प्रतिनिधित्व करते हैं.


पूरी हिस्सेदारी खरीदने के जिए मिलीं 18 बोलियां
हिस्सेदारी बिक्री को लेकर रूचि पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 1 दिसंबर थी. कर्जदाताओं के सलाहकार SBI कैपिटल मार्केट्स और JM फाइनेंशियल सर्विसेज को अंतिम तिथि तक कुल 60 अलग-अलग बोलियां प्राप्त हुई हैं. सूत्रों के अनुसार रिलायंस जनरल इंश्योरेंस में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए 18 बोलियां मिली हैं. जिन प्रमुख निवेशकों ने इसमें रूचि दिखायी है, उनमें क्राइस्पैक, जेसी फ्लावर, ब्लैकस्टोन, सीवीसी कैपिटल पार्टनर्स, केकेआर और बेन कैपिटल शामिल हैं.


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इन सहायक कंपनियों के बेचे जाएंगे इतने शेयर
कंपनी ने पूर्ण अनुषंगी रिलायंस जनरल इंश्यारेंस से पूरी तरह से बाहर होने का प्रस्ताव किया है. इसकी चुकता शेयर पूंजी 30 सितंबर, 2020 की स्थिति के अनुसार 252 करोड़ थी. इसके अलावा रिलायंस निप्पन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में 51 प्रतिशत हिस्सेदरी बेचने का प्रस्ताव किया गया है. रिलायंस निप्पन लाइफ इंश्योरेंस संयुक्त उद्यम कंपनी है जिसमें जापान की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी निप्पन लाइफ की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है. 30 सितंबर, 2020 की स्थिति के अनुसार इसकी चुकता शेयर पूंजी 1,196 करोड़ रुपये थी.


सूत्रों के अनुसार डाबर इनवेस्टमेंट्स, बंधन बैंक, बेन कैपिटल, एनआईआईएफ, एर्पवूड पार्टनर्स और कुछ घरेलू म्यूचुअल फंड कंपनियों ने रिलायंस निप्पन में आरसीएल की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने में रूचि दिखायी है. इसके अलावा कंपनी की ब्रोकिंग इकाई रिलायंस सिक्योरिटीज और आरबीआई पंजीकृत एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) रिलायंस फाइनेंशियल में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना है.


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