Republic Day 2020: गुजरात का वह मुस्लिम परिवार जो तिरंगा बनाकर दे रहा एकता का संदेश
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Republic Day 2020: गुजरात का वह मुस्लिम परिवार जो तिरंगा बनाकर दे रहा एकता का संदेश

अहमदाबाद में ऐसे बहुत से मुस्लिम परिवार हैं जहां महिलाएं मिलजुल कर तिरंगे का काम करती हैं. पिछले 22 वर्षों से ये परिवार राष्ट्रीय ध्वज बनाने का काम कर रहे हैं.  

Republic Day 2020: गुजरात का वह मुस्लिम परिवार जो तिरंगा बनाकर दे रहा एकता का संदेश

अहमदाबाद: देश में गणतंत्र दिवस की तैयारियां चल रही हैं. गणतंत्र दिवस पर पूरे देश में जगह-जगह राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाएगा. क्या आपको पता है कि हर भारतीय की आन-बान और शान के प्रतीक तिरंगे को कहां बनाया जाता है. अहमदाबाद के कुछ मुस्लिम परिवारों के घर में तिरंगा बनता है. ये लोग गर्व के साथ ये काम करते हैं और कहते हैं कि हम अपने हिन्दुस्तान का तिरंगा बनाते हैं. देश मे एकता और शांति का संदेश देते हैं.  

सभी मुस्लिम परिवार इस नेक काम में गर्व के साथ जुड़े हैं. तिरंगे को सिलाई लगाने के बाद पैकिंग का काम मुस्लिम परिवारों की महिलाएं करती हैं. ये महिलाएं दिन में 1000 से 1500 तिरंगे को सिलाई लगाती हैं और पैकिंग करती हैं. अहमदाबाद में ऐसे बहुत से मुस्लिम परिवार हैं जहां महिलाएं मिलजुल कर तिरंगे का काम करती हैं. पिछले 22 वर्षों से ये परिवार राष्ट्रीय ध्वज बनाने का काम कर रहे हैं.  

 
ग्वालियर में भी बनता है हमारा राष्ट्रीय ध्वज
तिरंगों को ग्वालियर में स्थित देश का तीसरा और प्रदेश का इकलौता मध्य भारत खादी संघ भी बना रहा है. खादी केंद्र में जमीनी प्रक्रिया से लेकर तिरंगे में डोरी लगाने तक का काम किया जाता है. तिरंगे देश में हुगली, मुंबई और ग्वालियर के केंद्र में ही बनाए जाते हैं. खादी केंद्र की मैनेजर का कहना है कि किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को 5 से 6 दिन का समय लगता है. यहां बनने वाले तिरंगे मध्य प्रदेश के अलावा बिहार, राजस्थान उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात सहित एक दर्जन से अधिक राज्यों में पहुंचाए जाते हैं. हमारे लिए गौरव की बात तो यह है कि देश के अलग-अलग शहरों में स्थित आर्मी की सभी इमारतों पर ग्वालियर में बने तिरंगे की शान बढ़ाते हैं.

साथ ही उनका कहना है कि यहां जो तिरंगे तैयार किए जाते हैं, उसका धागा भी हाथों से इसी केंद्र में तैयार किया जाता है. वर्तमान में यहां तीन कैटेगरी में तिरंगे तैयार किए जा रहे हैं. मैनेजर के अनुसार अभी 2 बाय 3 से 6 बाई 4 तक के झंडे बनाए जा रहे हैं. इस केंद्र में एक साल में लगभग 10 से 12 हजार खादी के झंडे तैयार किए जाते हैं. खादी केंद्र के पदाधिकारी बताते हैं कि इस केंद्र की स्थापना साल 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी. साल 1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला.  

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