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नई दिल्ली: आप हर साल सुबह-सुबह उठकर गणतंत्र दिवस की परेड देखते हैं. उस परेड में विभिन्न राज्यों की झांकियां भी देखने को मिलती हैं. इस परेड (Republic Day Parade 2022) में राज्यों की झांकियों को शामिल करने के पीछे मूल विचार ये था कि, भारत की अनेकता में एकता की तस्वीर दुनिया के सामने पेश की जाए. अब राज्यों की इन झांकियों पर भी राजनीति होने लगी है.
अब इन झांकियों में एकता नहीं दिखती बल्कि अनेकता दिखती है. इस बार ममता बनर्जी और M.K. Stalin ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिख कर इस बात पर नाराज़गी जताई है कि उनके राज्यों की झांकियों को इस बार की परेड (Republic Day Parade 2022) में शामिल नहीं करने दिया जा रहा है. उनका आरोप है कि विपक्षी दलों के नेता होने की वजह से मोदी सरकार उनके साथ भेदभाव कर रही है.
राज्य सरकारों का इस तरह का रवैया, भारत के संघीय ढांचे के लिए ख़तरनाक हो सकता है. विपक्षी दलों की राज्य सरकारें, मोदी को नीचा दिखाने के लिए अब लगभग हर महत्वपूर्ण मुद्दे पर केन्द्र सरकार का विरोध करने लगी हैं. पंजाब में प्रधानमंत्री को सुरक्षा नहीं दी जाती. बहुत सी राज्य सरकारें कोविड पर केन्द्र सरकार के नियमों को खुली चुनौती देती हैं. यहां तक कि चीन और पाकिस्तान के मुद्दे पर भी विपक्ष की राज्य सरकारें, अब भारत सरकार के ख़िलाफ़ रुख़ अपनाने लगी हैं. इसीलिए अब भारत को बाहरी ताक़तों के साथ-साथ अंदरुनी ताकतों से भी लड़ना पड़ रहा है.
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— Zee News (@ZeeNews) January 18, 2022
गणतंत्र दिवस परेड (Republic Day Parade 2022) में अपने राज्यों की झांकियां शामिल नहीं करने पर पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु (Tamil Nadu) के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर आपत्ति जताई है. ममता बनर्जी ने कहा है कि इस तरह के कदम से उनके राज्य के लोग दुखी होंगे.
जबकि M.K Stalin ने कहा है कि उनके राज्य की झांकी को हटाने से तमिलनाडु के लोगों की देशभक्ति की भावना को गहरी ठेस पहुंचेगी. इसके अलावा इस बार केरल और महाराष्ट्र की झांकियां भी गणतंत्र दिवस समारोह (Republic Day Parade 2022) में शामिल नहीं होंगी. इसलिए इन राज्यों का कहना है कि मोदी सरकार उनके साथ भेदभाव कर रही है.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब किसी राज्य की झांकी को गणतंत्र दिवस समारोह (Republic Day Parade 2022) में शामिल नहीं किया गया हो. लेकिन जिन राज्यों में विपक्षी पार्टियों की सरकारें हैं, वहां अब मोदी विरोध के नाम पर इस प्रक्रिया पर ही सवाल उठाए जा रहे हैं. देश के गणतंत्र दिवस समारोह पर भी राजनीति शुरू हो गई है.
हर साल 26 जनवरी को इसलिए गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ था. लेकिन इस गणतंत्र दिवस पर संघीय ढांचे को कमज़ोर करने वाली राजनीति हो रही है. हमारे देश की विपक्षी पार्टियां मोदी विरोध के नाम पर देश को कमज़ोर करने में जुट गई हैं. ये एक ख़तरनाक ट्रेंड की शुरुआत है.
पहले आप ये समझिए कि गणतंत्र दिवस की परेड में झांकियों के चयन की पूरी प्रक्रिया क्या होती है?
- सबसे पहले तो आपको ये समझना होगा कि गणतंत्र दिवस समारोह (Republic Day Parade 2022) का आयोजक रक्षा मंत्रालय होता है. यानी समारोह में परेड की रूपरेखा से लेकर, बाकी दूसरे सभी बड़े फैसले रक्षा मंत्रालय को लेने होते है. इसके अलावा झांकियों के चयन की ज़िम्मेदारी भी रक्षा मंत्रालय की होती है.
- इस प्रक्रिया की शुरुआत रक्षा मंत्रालय के एक पत्र से होती है, जो केन्द्र सरकार के अलग अलग मंत्रालयों, विभागों, चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं और देश के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को भेजा जाता है. गणतंत्र दिवस की परेड में केवल राज्यों की झांकियां नहीं होतीं. इसमें अलग अलग मंत्रालय, अर्द्धसैनिक बल और चुनाव आयोग जैसी स्वतंत्र एजेंसियों की झांकियों का भी चयन होता है.
- इस पत्र में बताया जाता है कि इस साल के गणतंत्र दिवस समारोह (Republic Day Parade 2022) में झांकियों का मुख्य विषय क्या होगा और किन शर्तों पर झांकियों का चयन किया जाएगा. यानी जो राज्य और मंत्रालय इन शर्तों पर खरे उतरेंगे, योग्य होंगे, उनकी झांकियों को समारोह में शामिल किया जाएगा.
- ये काम एक दो हफ्ते पहले शुरू नहीं होता. चार पांच महीने पहले से ही ये प्रक्रिया शुरू हो जाती है. इस बार की झांकियों के चयन के लिए भी रक्षा मंत्रालय ने 16 सितम्बर 2021 को ही चिट्ठी लिख दी थी.
- इसलिए ये राज्य ऐसा नहीं कह सकते कि उन्हें तैयारी का पूरा समय नहीं मिला.
- दूसरी बात, किस राज्य की झांकी का प्रस्ताव स्वीकार होगा, ये फैसला रक्षा मंत्रालय नहीं लेता. ये फैसला रक्षा मंत्रालय द्वारा बनाई गई एक कमेटी लेती है, जिसमें कला, संस्कृति, चित्रकारी, मूर्ति कला, संगीत, नृत्य और वास्तुकला क्षेत्र के Experts शामिल होते हैं.
- यानी ये बात तो स्पष्ट है कि रक्षा मंत्रालय किसी राज्य की झांकी के प्रस्ताव को खारिज नहीं करता. ये काम, मंत्रालय द्वारा बनाई गई स्वतंत्र कमेटी करती है और ये परम्परा कई दशकों से चली आ रही है.
- झांकियों का चयन दो चरणों में होता है. पहले चरण में झांकी के Sketch और डिज़ाइन को परखा जाता है. अगर डिज़ाइन मंज़ूर हो जाता है तो उसमें कुछ सुधार बताए जाते हैं और उसका 3D Model पेश करने के लिए कहा जाता है. फिर दूसरे चरण में इन Models को परखा जाता है. जिन राज्यों की झांकियों के Models निर्धारित शर्तों पर खरा उतरते हैं, उन्हें मंज़ूरी मिल जाती है और बाकी प्रस्ताव Reject हो जाते हैं. इस बार भी ऐसा ही हुआ.
- केरल, पश्चिम बंगाल, तमिल नाडु और महाराष्ट्र की सरकार ने झांकी के लिए जो प्रस्ताव भेजा था, वो इस कमेटी ने स्वीकार नहीं किया और खारिज कर दिया.
- हालांकि ये राज्य अकेले नहीं हैं, जिनके प्रस्ताव खारिज हुए हैं. इस बार इस Expert कमेटी को अलग अलग राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से 56 प्रस्ताव आए थे, जिनमें से केवल 21 का ही चयन किया गया. यानी, इस बार कुल 35 झांकियों के प्रस्ताव Reject हुए हैं.
- एक और बड़ा Point ये है कि, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब पश्चिम बंगाल ने गणतंत्र दिवस (Republic Day Parade 2022) की झांकी के लिए कोई प्रस्ताव भेजा और वो खारिज हो गया. 2018 और 2020 में भी पश्चिम बंगाल का प्रस्ताव इसी प्रक्रिया के तहत खारिज हो गया था.
- इसी तरह 2018 के गणतंत्र दिवस समारोह में तमिल नाडु की झांकी शामिल नहीं हुई थी क्योंकि उसका प्रस्ताव पास नहीं हुआ था. बड़ी बात ये है कि, 2021 में जब इन दोनों राज्यों की झांकियां गणतंत्र दिवस में शामिल हुईं थी और इसी प्रक्रिया के तहत बीजेपी शासित राज्य, हिमाचल की झांकी का प्रस्ताव खारिज हो गया था. तब इन राज्यों ने ये नहीं कहा कि हिमाचल के साथ भेदभाव हुआ है?
वो भी तब जब हिमाचल सरकार अपनी झांकी में मनाली की अटल टनल का प्रदर्शन करना चाहती थी, जो केन्द्र सरकार के सहयोग से ही बनी है. लेकिन इसके बावजूद उस समय हिमाचल सरकार का प्रस्ताव खारिज हो गया था. इससे पता चलता है कि यहां मुद्दा इस प्रक्रिया का है ही नहीं.
- पश्चिम बंगाल ने ये सवाल उस समय नहीं उठाया, जब 2016, 2017, 2019 और 2021 की गणतंत्र दिवस की परेड में उसकी झांकी को शामिल किया गया था. इसी तरह तमिल नाडु की झांकी भी 2016, 2017, 2019, 2020 और 2021 की परेड में शामिल हुई थी.
- पिछले 20 वर्षों में जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, असम और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की झांकियों को सबसे ज्यादा गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का मौका मिला है. इसका एकमात्र कारण यही है कि उनकी झांकियां निर्धारित मानकों पर खरी उतरती रही हैं. इस बार जिन राज्यों में विपक्षी पार्टियों की सरकारें हैं, वो इसे भेदभाव से जोड़ कर बता रही हैं. जिसका जवाब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी चिट्ठी में दिया है
इनमें से एक चिट्ठी उन्होंने पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखी है, जबकि दूसरी चिट्ठी तमिल नाडु के मुख्यमंत्री M.K. Stalin को लिखी है.
ममता बनर्जी का आरोप है कि उन्होंने इस बार पश्चिम बंगाल की झांकी के लिए जो प्रस्ताव भेजा था, उसमें स्वतंत्रता आन्दोलन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान को दर्शाने की बात थी. लेकिन उनका प्रस्ताव इसलिए खारिज हो गया, क्योंकि केन्द्र सरकार उनसे दुश्मनी निकाल रही है. लेकिन राजनाथ सिंह ने अपनी चिट्ठी में इसका जवाब दिया है.
- वो लिखते हैं कि मोदी सरकार देश की पहली सरकार है, जिसने ये फैसला किया है कि अब से गणतंत्र दिवस (Republic Day Parade 2022) की शुरुआत 24 जनवरी से नहीं बल्कि 23 जनवरी से मानी जाएगी क्योंकि इस दिन सुभाष चंद्र बोस की जयंती होती है.
असल में ये मुद्दा गणतंत्र दिवस में इन राज्यों की झांकियों के शामिल होने का है ही नहीं. ये मुद्दा मोदी विरोध का है. जिन राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें हैं, वो हर चीज़ में मोदी विरोध का तरीक़ा ढूंढती हैं और मोदी विरोध के नाम पर देश के संघीय ढांचे को कमज़ोर करने का काम करती हैं.
- उदाहरण के लिए, भारत सरकार अगर Tesla कम्पनी के मालिक और दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपतियों में से एक Elon Musk के लिए Import Duty पर रियायत नहीं देती तो ये विपक्षी पार्टियां, केवल मोदी विरोध के चक्कर में Tesla को अपने राज्य में Manufacturing Plant लगाने के लिए आमंत्रित करती हैं.
अगर भारत सरकार का स्टैंड, चीन की किसी नीति के ख़िलाफ़ होता है. तो ये विपक्षी पार्टियां मोदी विरोध के नाम पर चीन का समर्थन करने लगती हैं
अगर मोदी सरकार, जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान को कोई कड़ा संदेश देती है तो यही विपक्षी पार्टियां पाकिस्तान के साथ जाकर खड़ी हो जाती हैं और उसकी भाषा बोलने लगती हैं. यानी मोदी विरोध के चक्कर में इन विपक्षी पार्टियों ने देश के संघीय ढांचे को एक बड़े ख़तरे की तरफ़ धकेल दिया है. हमें लगता है कि ये एक ख़तरनाक ट्रेंड की शुरुआत है और इसकी पूरी झांकी आपको भविष्य में देखने को मिल सकती है.
एक और बात, ये सारे वो राज्य हैं, जहां विपक्षी पार्टियों की सरकारें हैं. जहां केन्द्रीय जांच एजेंसियों के लिए अलग अलग नियम बना दिए गए हैं. आज इस देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी, CBI, अपने ही देश के आठ राज्यों में वहां की सरकारों की अनुमति के बिना जांच तक नहीं कर सकती. ये राज्य हैं, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, पंजाब, राजस्थान, केरल और पश्चिम बंगाल . इन सभी राज्यों में विपक्षी पार्टियों की सरकारें हैं.
यानी ये केन्द्रीय जांच एजेंसियों को तो अपने यहां नहीं आने देंगी, लेकिन इन्हें देश के गणतंत्र दिवस समारोह की परेड (Republic Day Parade 2022) में हिस्सा लेना है और अगर इनकी झांकी नियमों के आधार पर खारिज होगी तो ये भेदभाव का आरोप लगाएंगे. इसी तरह पंजाब में देश के प्रधानमंत्री को सुरक्षा नहीं दी जाएगी. लेकिन झांकी मे ये विपक्षी पार्टियां अपने अधिकार की बात करेंगी.
भारत के संघीय ढांचे के ख़िलाफ़ इन विपक्षी दलों की राज्य सरकारों ने जिस ख़तरनाक ट्रेंड की शुरुआत की है, उसे देख कर ऐसा लगता है कि भविष्य में इन राज्यों में कुछ भी हो सकता है. संभावना है कि भविष्य में कोई विपक्षी राज्य गणतंत्र दिवस समारोह का ही बहिष्कार कर दे और ये ऐलान कर दे कि वो परेड में अपने राज्य की झांकी के लिए प्रस्ताव ही नहीं भेजेगा. ये भी हो सकता है कि इन राज्यों में जाने के लिए दूसरे राज्यों के लोगों को वीज़ा लेना पड़े. आज आपको ये बातें कोरी कल्पना लग सकती हैं. लेकिन जो मौजूदा स्थिति है, उससे ऐसा ही लगता है.
आज कई मुद्दों पर राज्य सरकारें, केन्द्र सरकार और खासतौर पर प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करती हैं. कोविड पर क्या नीति होगी, इस पर केन्द्र सरकार का विरोध होता है. लॉकडाउन और वैक्सीन पर भारत सरकार के दिशा निर्देशों का ये राज्य पालन नहीं करते. वैक्सीन पर सवाल उठाते हैं.
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चीन के मुद्दे पर ये विपक्षी दल, केन्द्र सरकार के ख़िलाफ़ खड़े हो जाते हैं. पाकिस्तान के मुद्दे पर भी केन्द्र सरकार का विरोध करते हैं. मोदी विरोध के चक्कर में ये दल आतंकवाद पर भी केन्द्र सरकार का विरोध करते हैं. केन्द्रीय एजेंसियों के अधिकारों पर सवाल उठाते हैं
BSF के अधिकार क्षेत्र पर भी इन्हें आपत्ति है. यानी ये विपक्षी दलों की सरकारें भारत सरकार के किसी आदेश को तो नहीं मानेंगी, लेकिन उन्हें गणतंत्र दिवस की परेड (Republic Day Parade 2022) में पूरी हिस्सेदारी चाहिए. अगर ऐसा नहीं होगा तो वो इसे राजनीतिक रूप देने का काम करेंगी.