पांच राज्यों के Results : तय करेंगे BJP की दिशा दशा!
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पांच राज्यों के Results : तय करेंगे BJP की दिशा दशा!

पांच राज्यों के चुनावी नतीजों पर देश के साथ ही बीजेपी की गहरी निगाहें लगी हैं, बीजेपी इन राज्य़ों में चुनाव जीतती है तो और हारती है तो क्या होंगे इसके मायने ये जानने की कोशिश करते हैं.आज आने वाले चुनावी नतीजे न सिर्फ पांच राज्यों में भविष्य की राह तय करेंगे, बल्कि इसका असर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों पर भी नजर आएगा. पार्टी के लिए इस साल दो और चुनावी राज्यों के लिए भी राह आसान हो जाएगी.

पांच राज्यों के Results : तय करेंगे BJP की दिशा दशा

नई दिल्ली: पांच राज्यों के चुनावी नतीजों पर देश के साथ ही बीजेपी की गहरी निगाहें लगी हैं, बीजेपी इन राज्य़ों में चुनाव जीतती है तो और हारती है तो क्या होंगे इसके मायने ये जानने की कोशिश करते हैं.आज आने वाले चुनावी नतीजे न सिर्फ पांच राज्यों में भविष्य की राह तय करेंगे, बल्कि इसका असर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों पर भी नजर आएगा.

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पार्टी के लिए इस साल दो और चुनावी राज्यों के लिए भी राह आसान हो जाएगी.यही नहीं, उसकी अपने सहयोगी दलों पर निर्भरता और कम हो जाएगी और कभी उत्तर भारत की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी का असर देश के लगभग सभी कोनों में नजर आ सकता है.

अगर बीजेपी जीतती है तो

केंद्र में मोदी सरकार के तीन साल हो गए हैं और नोटबंदी के बाद यूपी का यह चुनाव बेहम अहम माना जा रहा है. यूपी में भाजपा यदि अपने दम पर 202 सीटों के जादुई आंकड़े को छू लेती है तो यह भगवा पार्टी और अधिक ताकत और आक्रामकता के साथ आगामी विस. चुनावों में उतरेगी.

यूपी सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए लिटमस टेस्ट मानकर चला जा रहा है. चार राज्यों में भाजपा की जीत होती है तो यह माना जाएगा कि नोटबंदी जैसे अहम मुद्दे को लोगों ने नजरंदाज किया और भाजपा के लिए वोट किया. हालांकि, विपक्षी पार्टियों ने इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की है.

आगे की राह भी होगी आसान

ये चुनावी नतीजे अभी से गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव की तस्वीर भी कुछ-कुछ साफ कर देंगे। दरअसल, इस साल के अंत में ही इन दोनों राज्यों में चुनाव होने हैं। गुजरात चुनाव खुद मोदी और शाह के लिए निजी परीक्षा से कम नहीं है.यही वजह है कि अगर इन राज्यों में पार्टी जीतती है तो उसका उत्साह इस कदर बढ़ जाएगा कि उसके लिए गुजरात और हिमाचल प्रदेश बड़ी चुनौती साबित नहीं होगा. 

मोदी की लोकप्रियता पर मुहर

चार राज्यों में भाजपा यदि जीत जाती है तो यह साफ हो जाएगा कि पीएम मोदी की लोकप्रियता पहले की तरह आज भी कायम है. विपक्षी पार्टियों का दावा है कि नोटबंदी के बाद लोगों में पीएम मोदी और भाजपा के खिलाफ गुस्सा है और लोग इस गुस्से का इजहार चुनावों के दौरान किया है. भाजपा की जीत से विपक्षियों के दावे की हवा निकल जाएगी. पीएम मोदी ने विधानसभा चुनावों में जमकर प्रचार किया है. खासकर सांतवें और अंतिम चरण में अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पीएम लगातार तीन दिन जमे रहे. पीएम ने दो बार रोड शो किया और ताबड़तोड़ रैलियां कीं. चार राज्यों में भाजपा की जीत यह बताएगी की लोगों में पीएम मोदी की लोकप्रियता आज भी कायम है.

और ताकत के साथ बढ़ेगी भाजपा

वैसे तो सभी राज्यों में जीत के अपने महत्व है लेकिन भाजपा यदि यूपी चुनाव में अपना परचम लहरा देती है तो उसका मनोबल काफी ऊंचा हो जाएगा. लोकसभा चुनावों में करीब अब दो साल बचे हैं. यह जीत आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एक आधार बनाएगी जिस पर सवार होकर भाजपा नई राजनीतिक ऊंचाइयां छूने की कोशिश करेगी. भाजपा जहां नए जोश, उत्साह और उमंग के साथ आगामी चुनावों में जाएगी तो दूसरी ओर विपक्षी दलों को भगवा पार्टी को घेरने और नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए नई रणनीति और समीकरण बनाने और बिठाने पड़ेंगे. राज्यों में हार से विपक्षी दलों का उत्साह कुछ समय के लिए ठंडा पड़ सकता है.  

पीएम मोदी की नीतियों पर मुहर

विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत पीएम मोदी की नीतियों पर भी मुहर लगाएगी. राज्यों में जीत पीएम मोदी को अपने आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने और कड़े फैसले लेने में मदद करेगी. इस जीत से पीएम मोदी के उन आलोचकों को भी करारा जवाब मिलेगा जो 2014 लोकसभा चुनाव के बाद मोदी लहर को नकारते रहे हैं.   

पंजाब में भाजपा, शिरोमणि अकाली दल की सहयोगी पार्टी है. पार्टी ने पंजाब में अपनी जीत को लेकर कोई बड़ा दावा नहीं किया था. उसने पहले ही संकेत दे दिया था कि उसे वहां एंटी इन्कम्बैंसी का सामना करना पड़ सकता है और लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है. भाजपा वहां पिछले 10 साल से गठबंधन सरकार का हिस्सा है.

लेकिन अगर हारे तो...

अगर चुनाव के नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं हुए तो इसका उल्टा असर भी हो सकता है. जाहिर है कि इसकी शुरुआत पार्टी के भीतर उसी तरह हो सकती है, जैसे बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त हुई थी. हालांकि, उस वक्त मामले को संभाल लिया गया था, लेकिन इस बार शायद वैसा न हो सके। ऐसी स्थिति में न सिर्फ शाह, बल्कि मोदी भी अपेक्षाकृत कमजोर नजर आ सकते हैं, जिसका असर गुजरात पर सबसे पहले पड़ेगा. 

आम आदमी पार्टी और आक्रामक होगी और गुजरात में ही मोदी-शाह को घेरने के लिए वह जोर लगाएगी। यही नहीं, पार्टी के मनोबल पर भी इसका असर होगा. ऐसे में गुजरात में भी बीजेपी को जीत हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकनी पड़ सकती है.

 

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