प्रदूषण से बढ़ा अस्थमा और कैंसर का खतरा, जानिए जहरीली हवा से कैसे बचें
Advertisement

प्रदूषण से बढ़ा अस्थमा और कैंसर का खतरा, जानिए जहरीली हवा से कैसे बचें

स्मॉग की वजह से जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए यह समय अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्कता बरतने का है. यदि इस समय हम इस जहरीली हवा से बचें तो अस्थमा और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों को अपने शरीर में प्रवेश करने से रोक सकते है. 

FILE PIC

नई दिल्लीः स्मॉग की वजह से जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए यह समय अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्कता बरतने का है. यदि इस समय हम इस जहरीली हवा से बचें तो अस्थमा और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों को अपने शरीर में प्रवेश करने से रोक सकते है. जी हां दिल्ली-एनसीआर की हवा में मौजूद नाइट्रोजन ऑक्साइड से केवल अस्थमा और चेस्ट इंफेक्शन के मरीजों को ही अपनी चपेट में नहीं ले रहा है. यह स्वस्थ लोगों को भी अपना शिकार बना रहा है. अस्पतालों में ऐसे लोगों की संख्या बढ रही है जिन्हें प्रदूषण के इस आपातकाल से पहले कोई शिकायत नहीं थी. लेकिन पिछले कई दिनों से इन्हें बलगम की शिकायत के बाद बुखार अपनी चपेट में ले रहा है.

  1. प्रदूषण के चलते मरीजों की संख्या में हो रहा है इजाफा
  2. जहरीली हवा से खांसी-बगलम के बाद बुखार की शिकायत
  3. नाक-गला और फेंफडो़ं के बाद लीवर-किडनी पर होता है असर

यह भी पढ़ेंः दिल्ली में प्रदूषण आपात स्थिति के करीब, हवा जहरीली हुई

डॉक्टरों की मानें तो हवा में मौजूद एनओ-टू पार्लिटकल्स खाने की नली के रास्ते हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं. जिसके बाद हमें गले में खराश और बलगम की शिकायत होती है. मीडिया में चल रही खबरों की मानें तो दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के ईएनटी (कान-नाक-गला) विभाग की ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. यहां ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है जिन्हें पहले केवल खांसी और बलगम की शिकायत थी लेकिन अचानक ही उन्हें बुखार ने अपनी चपेट में ले लिया.

 

fallback

 

साइलेंट किलर बना पॉल्यूशन
दिल्ली-एनसीआर की हवा में घुल रहे इस जहर में बाहर निकलना हमारे स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता है. पॉल्यूशन का यह साइलेंट किलर हमारी आंख, नाक, गले से होता हुआ हमारे फेंफडों, दिल और लीवर तक पहुंचता हुआ हमारी किडनी को इफैक्ट करता है. लेकिन इसका पता हमें लंबे समय बाद लगता है. इसलिए शुरुआत में ही हमेंं इस मामले में डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. दरअसल हवा में मौजूद पीएम कण हमें सांसों और हृदय से संबंधित बीमारियों के साथ-साथ कैंसर जैसी बीमारी की चपेट में ला सकता है. 

fallback

प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर असर
अपने आस-पास आज की स्थिति में जिस हवा में हम सांस ले रहे हैं उसमें मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड के चलते हमें जल्दी सुस्ती आने लगती है हमारे स्टैमिना में कमी आती है. इसके अलावा हवा में घुल रहे इस जहर में मौजूद कार्बनडाइ ऑक्साइड और नाइट्रोजनडाइ ऑक्साइड से भूलने की बीमारी व गले-फेंफडें के इंफेक्शन व अस्थमा जैसी बीमारियां हो सकती है.

कैसे करें बचाव
दिल्‍ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्‍यक्ष और सीनियर डॉक्‍टर अजय लेखी बता रहे हैं कि हमें क्या करना चाहिए.

  • सुबह हल्दी, अदरक और तुलसी के रस लेना चाहिए, क्‍योंकि इनमें भरपूर एंटीऑक्सीडेंट्स हैं. एंटीऑक्सीडेंट न केवल हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करते हैं, बल्कि सेहत से जुड़ी दूसरी परेशानियों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फायदा पहुंचाते हैं. डॉ. लेखी ने बताया कि एंटीऑक्सीडेंट प्रदूषण की वजह से हमारे शरीर में पहुंचे हानिकारक तत्‍वों को बाहर निकालते हैं और हमारी सेहत को ठीक रखते हैं. डॉ. लेखी कहते हैं कि तुलसी के अपना औषधीय महत्‍व है, लिहाजा़ इस मौसम में तुलसी का सेवन बेहद फायदेमंद है. 
  • शहद और गुड़ का सेवन भी हमारे इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत करता है. हवा में फैल रहे प्रदूषण से बचाने के साथ ही हमारे शरीर को बीमारियों के प्रभाव से बचाता है. लहसुन भी इम्‍यूटी बढ़ाने में काफी ज्‍यादा असरदार होता. यह कफ से निजात दिलाने में मददगार होता है. 
  • विटामिन सी की अधिक से अधिक खुराक लेनी चाहिए. इसके लिए हमें संतरा, आंवला, नींबू और अमरूद जैसी विटामिन सी से भरपूर चीजों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए. आंवला और एलोवेरा जूस भी प्रदूषण के मौसम में हमारी त्‍वचा को बचाने में काफी फायदेमंद है.
  • सब्जियों और फलों को अच्छी तरह से धोकर भी इस्‍तेमाल करें, क्योंकि वे खुले में प्रदूषित होते हैं. इसके अलावा हमें अपने आसपास पौधे लगाने चाहिए, क्‍योंकि इससे हमें ताजा ऑक्सीजन मिलती है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अध्‍यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने बातचीत में बताया कि 'फिलहाल लोग सुबह और शाम लंबी वॉक न करें. आउटडोर पार्टियां करने से बचना चाहिए. इंडोर एक्‍सरसाइज में खासतौर पर ट्रेडमिल पर व्‍यायाम न करें'.  डॉ. अग्रवाल ने सलाह देते हुए बताया कि 'फि‍लहाल घर के बाहर जहां पर भी धूल है, वहां पानी का छिड़काव करें. कार को पूल करें. बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें. दोपहिया चालक और सवार मुंह पर मास्‍क लगाकर घर से बाहर निकलें. खास तौर पर हृदय और अस्थमा के मरीजों के अलावा बुजुर्ग और बच्चों को कम से कम घर से बाहर निकलना चाहिए'. उन्‍होंने कहा कि इस समय हृदय और फेफड़े के मरीजों को खास तौर पर डॉक्‍टर से सलाह लेनी चाहिए. उन्‍होंने बताया कि प्रदूषण का यह बढ़ा हुआ स्‍तर अस्‍थमा को बढ़ा रहा है और ऐसे वातावरण में हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

Trending news