RSS ban controversy: क्या कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने RSS की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए 2013 का पुराना सर्कुलर दोबारा लागू कर दिया है. अब यह बड़ा सवाल सभी के मन में है. क्योंकि यह सर्कुलर सरकारी स्कूलों में प्राइवेट और गैर-शैक्षणिक गतिविधियों पर पाबंदी लगाता है. यह सब प्रियांक खरगे की मांग के बाद हुआ है. जानें पूरा मामला.
Trending Photos
)
Karnataka government bans private use of school premises: कर्नाटक में सिद्धारमैया की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों पर रोक लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. गुरुवार को सरकार ने 11 साल पुराने सर्कुलर को फिर से लागू कर दिया, जो सरकारी स्कूलों के मैदानों और परिसरों में प्राइवेट या गैर-शैक्षणिक गतिविधियों पर रोक लगाता है. इस कदम को RSS की शाखाओं और कार्यक्रमों पर नकेल कसने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.ये सर्कुलर, जो 7 फरवरी 2013 को कर्नाटक पब्लिक इंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट के कमिश्नर कार्यालय से जारी हुआ था, इस सर्कुलर में साफ लिखा है कि सरकारी स्कूलों का इस्तेमाल सिर्फ पढ़ाई, खेलकूद और शारीरिक शिक्षा जैसी गतिविधियों के लिए हो सकता है.
प्रियांक खरगे की चिट्ठी ने बदली हवा
इस सर्कुलर को दोबारा लागू करने की वजह RDPR, IT और BT मंत्री प्रियांक खरगे की चिट्ठी बताई जा रही है. खड़गे ने सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और पब्लिक जगहों पर RSS की गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की थी. CMO के सूत्रों ने पुष्टि की कि खड़गे की चिट्ठी के जवाब में ही ये पुराना सर्कुलर फिर से सामने लाया गया. 2013 में तत्कालीन कमिश्नर एस.आर. उमाशंकर ने सर्कुलर में लिखा था कि बेंगलुरु के चामराजपेट में सरकारी स्कूल के मैदान के इस्तेमाल की मांग आई थी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया. सर्कुलर कहता है कि स्कूल की जगह सिर्फ बच्चों की पढ़ाई और डेली एक्टिविटी के लिए है.
कैबिनेट में होगी गर्मागर्म बहस
सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस सर्कुलर के जरिए स्कूलों में RSS की सभी गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगाने की योजना बना रही है. इस मुद्दे पर 16 अक्टूबर की कैबिनेट मीटिंग में चर्चा होगी. गृह मंत्री जी. परमेश्वरा ने कहा, "अभी RSS बैन का मुद्दा एजेंडे में नहीं है. अगर अतिरिक्त एजेंडा के तौर पर आया, तो चर्चा करेंगे." उन्होंने आगे बताया, "सरकारी जगहों पर प्राइवेट या धार्मिक गतिविधियां पहले से प्रतिबंधित हैं, लेकिन इसे सख्ती से लागू नहीं किया गया. अब कैबिनेट में इस पर फैसला होगा."
तमिलनाडु से लिया सबक
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने चीफ सेक्रेटरी शालिनी राजनिश को RSS की गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की जांच करने को कहा था. साथ ही तमिलनाडु में इस तरह के कदमों का अध्ययन करने का निर्देश दिया. तमिलनाडु में पहले से ही RSS की गतिविधियों पर सख्ती बरती जाती है और कर्नाटक सरकार उसी तर्ज पर कदम उठाने की सोच रही है.
सियासी घमासान का इंतजार
ये कदम कर्नाटक की सियासत में नया तूफान ला सकता है. कांग्रेस इसे सरकारी जगहों के दुरुपयोग को रोकने का कदम बता रही है, वहीं BJP इसे RSS और हिंदू संगठनों पर हमला करार दे सकती है. स्कूलों में RSS की शाखाएं बच्चों को अनुशासन और संस्कृति सिखाने का दावा करती हैं, लेकिन सरकार इसे प्राइवेट गतिविधि मान रही है. अब सवाल ये है कि क्या ये सर्कुलर RSS को पूरी तरह रोक पाएगा? या फिर ये सिर्फ सियासी शोर बनकर रह जाएगा? पेरेंट्स और टीचर्स भी इस फैसले का इंतजार कर रहे हैं.