राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सुप्रीमो मोहन भागवत ने राम मंदिर निर्माण पर बड़ा बयान दिया है. सरसंघचालक ने कहा कि देश के लोग राम जन्मभूमि के स्थान पर ही राम मंदिर का निर्माण चाहते हैं. कोई मत, पंथ इसके विरोध में नहीं है और अदालत में इसका कोई इलाज नहीं है. तो फिर इसके लिए लड़ाई क्यों?
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देवघर (झारखंड) : राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सुप्रीमो मोहन भागवत ने राम मंदिर निर्माण पर बड़ा बयान दिया है. सरसंघचालक ने कहा कि देश के लोग राम जन्मभूमि के स्थान पर ही राम मंदिर का निर्माण चाहते हैं. कोई मत, पंथ इसके विरोध में नहीं है और अदालत में इसका कोई इलाज नहीं है. तो फिर इसके लिए लड़ाई क्यों?
राजनीतिक करने वाले कट्टरपंथी मंदिर के खिलाफ
झारखंड के देवघर स्थित कुम्हराबांधी मैदान में धर्म, संस्कृति रक्षा समिति की ओर से आयोजित हिन्दू समागम में बतौर मुख्य वक्ता संघ प्रमुख भागवत ने दावा किया कि मुस्लिम और ईसाई राम मंदिर के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि इनके नाम पर राजनीति करने वाले कट्टरपंथी और गुंडागर्दी करने वाले राम मंदिर नहीं बनने देना चाहते हैं. भागवत का बयान ऐसे समय में आया है जब सुप्रीम कोर्ट अयोध्या के राम मंदिर विवाद पर आम सहमति बनाने की पैरवी कर रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जे.एस. खेहर ने पिछले महीने कहा था, ‘इस तरह के संवेदनशील मसलों का हल आपसी सहमति से निकाला जाना बेहतर है. दोनों पक्षों को आपस में हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए. अगर ऐसा हो सके तो कोर्ट मध्यस्थता कर सकता है. मैं खुद भी इस काम के लिए तैयार हूं.’
'देश में हो गए हैं चार प्रकार के हिन्दू'
संघ प्रमुख ने कहा कि देशभर में हिन्दू जन-जागरण अभियान चल रहा है. महज 1000-1200 वर्षों में हम खुद को भूल गए हैं. बाहर वालों ने भुलाने की चेष्टा की. उन्होंने कहा कि आज उसी का परिणाम है कि देश में चार प्रकार के हिन्दू हो गए हैं. सिंधु नदी के कारण हिन्दुस्तान का नाम पड़ा लेकिन बाद में दुनिया ने अपनी जरूरत के अनुसार देश को नाम दे दिया. पूरी दुनिया ने इस बात को स्वीकार किया कि हम सही हैं. रास्ते अलग हैं लेकिन लक्ष्य एक है. मिलकर चलने की सीख हिन्दू ही देते हैं, हिन्दू दुनिया की जरूरत हैं. हिन्दुस्तान देश में रहने वाले सभी लोग हिन्दू हैं.
'किसी धर्म की तौहीन नहीं करते हैं हिन्दू'
भागवत ने कहा कि हिन्दुओं में मतांतरण नहीं है. बाहरी लोगों ने राजनीतिक स्वार्थ में उपासना पद्धति बदली. हिन्दू सभी धर्म स्थलों में मत्था टेकते हैं. किसी भी धर्म की तौहिन हिन्दू नहीं करते. संघ प्रमुख ने कहा कि हिन्दुओं की उदारता को दुर्बलता समझकर यहां ईसा मसीह के नाम पर मिशनरियां आती हैं. वह भी पूजा का अपना तरीका नहीं बदलते हैं.