RSS Chief Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर आरएसएस के दुनियाभर में कई कार्यक्रम चल रहे हैं. ऐसे ही एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर अखंड भारत की बात कही है.
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Mohan Bhagwat on Akhand Bharat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने अखंड भारत की अपनी परिकल्पना को एक बार फिर दोहराया है. आरएसएस के सरसंघचालक भागवत ने कहा, पाकिस्तान अविभाजित भारत का हिस्सा है. वह घर और यह घर अलग नहीं हैं. बल्कि पूरा भारत एक घर है. बंटवारा ऐसा हुआ, जैसे किसी ने हमारे घर के एक कमरे को हटा दिया हो. हमे वहां डेरा डालना है. इस बार उनके वक्तव्य की बात करें तो उन्होंने नया उदाहरण देते हुए आरएसएस के अखंड भारत की बात की है. अपने बयान में भागवत ने अखंड भारत का संकल्प दोहराते हुए कहा, एक कमरा छोड़कर आए हैं एक बार फिर से वहां डेरा डालना है.
फिर वहां डेरा डालना है: भागवत
भागवत ने अपने संबोधन में कहा, 'हमारा एक कमरा किसी ने हथिया लिया. वो हमारे घर का एक कमरा , जिसने मेरा टेबल, कुर्सी और कपड़ा वगैरह रहता था. वो किसी ने हथिया लिया. कल मुझे उसे वा पस लेकर वहां फिर से अपना डेरा डालना है. वो पाकिस्तान नही अविभाजित भारत है. हमारा एक घर है परिस्थिति ने भेजा ये घर वो घर अलग नही है. आपको स्मरण रखना है अविभाजित भारत, हमारे बहुत सारे सिंधी भाई यहां हैं. वो पाकिस्तान नहीं गए थे. वो अविभाजित भारत आए. ये आदत नई पीढ़ी तक जानी चाहिए क्योंकि हमारा एक घर है, परिस्थिति ने हमें उस घर से यहां भेजा है क्यों कि वो घर और ये घर अलग नहीं है. पूरा भारतवर्ष एक घर है.
एक दिन हम अपना हक वापस लेंगे- भागवत
पाकिस्तान के सिंध प्रदेश में रहने वाले सिंधियों को जिक्र करते हुए भागवत ने कहा, 'बंटवारे के बाद सिंधी भाई पाकिस्तान नहीं गए वे अविभाजित भारत आए. मुझे बड़ा आनंद है कि वो पाकिस्तान नहीं गए थे. वह अविभाजित भारत गए थे. यह आदत नई पीढ़ी तक जानी चाहिए. क्योंकि हमारा एक घर है. परिस्थिति ने हमको उस घर से यहां भेजा है. क्योंकि वो घर और ये घर अलग नहीं है. पूरा भारतवर्ष एक घर है. परन्तु हमारे घर का एक कमरा जिसमे हमारा टेबल कुर्सी कपड़ा रहता था. वो किसी ने हथिया लिया है. कल मुझे उसको वापस लेकर फिर वहां अपना डेरा डालना है.'
भागवत ने सामाजिक एकता पर जोर देते हुए कहा, 'हम सब एक हैं, सभी सनातनी और हिंदू हैं, लेकिन एक अंग्रेज आया और हमें टूटा हुआ दर्पण दिखाकर अलग-अलग कर गया. आज जरूरत है कि हम अच्छा दर्पण देखकर फिर एक हों. यह अच्छा दर्पण हमारी आध्यात्मिक परंपरा है, जिसे दिखाने वाले हमारे गुरु हैं.