नागपुर: दशहरे के मौके पर हर साल की तरह इस बार भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के हेडक्वॉर्टर नागपुर (Nagpur) में शस्त्र पूजा की गई. संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में कोरोना (Coronavirus) से नुकसान कम है. उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते कई विषयों पर चर्चा नहीं हो सकी. 


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संघ प्रमुख ने कहा, 'विश्व के अन्य देशों की तुलना में हमारा भारत संकट की इस परिस्थिति में अधिक अच्छे प्रकार से खड़ा हुआ दिखाई देता है.  भारत में इस महामारी की विनाशकता का प्रभाव बाकी देशों से कम दिखाई दे रहा है, इसके कुछ कारण हैं.' 


उन्होंने आगे कहा, 'अपने समाज की एकरसता का, सहज करुणा व शील प्रवृत्ति का, संकट में परस्पर सहयोग के संस्कार का, जिन सब बातों को सोशल कैपिटल ऐसा अंग्रेजी में कहा जाता है, उस अपने सांस्कृतिक संचित सत्त्व का सुखद परिचय इस संकट में हम सभी को मिला.'


संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 'कोरोना के काल में सबने सक्रिय होकर काम किया, गड़बड़ियां करने वाले लोग नहीं थे, ऐसा नहीं है लेकिन लोगों ने आगे आकर बहुत सेवा की. '


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कामगारों के पलायन पर संघ प्रमुख ने कहा कि कोरोना से वापस गए, अब वापस आ रहे हैं. जो लोग रोजगार छोड़कर गए वो अब लौट रहे हैं  कोरोना से समाज को बचाने के लिए समाज की सेवा करनी होगी. हम कोरोना को पराजित करेंगे.


अपने संबोधन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर को लेकर कहा, '9 नवंबर को श्रीरामजन्मभूमि के मामले में अपना असंदिग्ध निर्णय देकर सर्वोच्च न्यायालय ने इतिहास बनाया. भारतीय जनता ने इस निर्णय को संयम और समझदारी का परिचय देते हुए स्वीकार किया.'


इसके साथ ही उन्होंने नागरिकता कानून पर भी बात की और कहा कि सीएए के खिलाफ गलत प्रचार किया गया, नागरिकता कानून से किसी को कोई खतरा नहीं है.


अपने संबोधन में संघ प्रमुख ने भारत-चीन ​सीमा विवाद पर भी बात की. संघ प्रमुख ने कहा,  'कोरोना महामारी के संदर्भ में चीन की भूमिका संदिग्ध रही यह तो कहा ही जा सकता है, परंतु भारत की सीमाओं पर जिस प्रकार से अतिक्रमण का प्रयास अपने आर्थिक सामरिक बल के कारण मदांध होकर उसने किया वह तो सम्पूर्ण विश्व के सामने स्पष्ट है.'


मोहन भागवत ने कहा, 'हमारी सेना की अटूट देशभक्ति व अदम्य वीरता, हमारे शासनकर्ताओं का स्वाभिमानी रवैया तथा हम सब भारत के लोगों के दुर्दम्य नीति-धैर्य का परिचय चीन को पहली बार मिला है.


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उन्होंने कहा, 'भारत का शासन, प्रशासन, सेना तथा जनता सभी ने इस आक्रमण के सामने अड़ कर खड़े होकर अपने स्वाभिमान, दृढ़ निश्चय व वीरता का उज्ज्वल परिचय दिया, इससे चीन को अनपेक्षित धक्का मिला लगता है. इस परिस्थिति में हमें सजग होकर दृढ़ रहना पड़ेगा.'


इसके साथ ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि श्रीलंका, बांग्लादेश, ब्रह्मदेश, नेपाल ऐसे हमारे पड़ोसी देश, जो हमारे मित्र भी हैं और बहुत मात्रा में समान प्रकृति के देश हैं, उनके साथ हमें अपने संबंधों को अधिक मित्रतापूर्ण बनाने में अपनी गति तीव्र करनी चाहिए.


मोहन भागवत ने कहा, 'अपने देश में ऐसे लोग हैं जो स्वांग रचते हैं. भारत तेरे टुकड़े होंगे ऐसे नजर आते हैं. अपने को बड़ा संविधान भक्त बताते हैं, बाबा ने संविधान में ऐसे लोगों को ग्रामर ऑफ़ अनार्की कहा है, ये समाज में भ्रम फैलाते हैं. ये लोग हिन्दू राष्ट्र को लेकर भ्रम पैदा करते हैं.  हिन्दू अभिव्यक्ति देना वाला एकमात्र शब्द है. डायवर्सिटी को वो सेपरेटिस्ट बताते हैं, समाज में झगड़ा करवाते हैं. हिन्दू शब्द सबको बसाने वाला, सबको जोड़ने वाला शब्द है. ये विश्व मानवता का अंतर्भाव रखता है, इसलिए जब हम कहते हैं कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है इसमें हमारा कोई राजनीतिक लालच नहीं है. इसका मतलब ये नहीं है कि बाकी लोग बाहर चले जाएं. भारत के सभी जाति वर्ग, भाषा के लोग हैं. हमें अलगाववाद छोड़ना पड़ता है. ऐसे लोगों से हमको बचना है, बच के रहना है.


उन्होंने कहा, 'भारत को तोड़ने वाले ऐसे लोग हैं, जो लीडरशिप करने लगते हैं. भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे लोगों के बहकावे में आने का नहीं है. भारत को ऐसे लोगों को पहचानना होगा और सद्भावना पूर्ण रहना होगा.'


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