आरएसएस ने मूर्ति तोड़ने की घटनाओं पर जताई चिंता
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आरएसएस ने मूर्ति तोड़ने की घटनाओं पर जताई चिंता

संघ ने स्वयंसेवकों को संदेश दिया है कि इस तरह की घटनाओं से समाज आहत होता है और सामूहिक रूप से आक्रोश प्रकट होता है.

आरएसएस ने कहा-हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को होने वाला नुकसान पूर्णतः निंदनीय (फाइल फोटो)

अदिति नागर, नई दिल्‍ली : आरएसएस की प्रतिनिधि सभा की शुक्रवार को हुई बैठक में पिछले साल के कामों और देश में घटित घटनाओं पर रिपोर्ट जारी की गई है. इसमें देश के अलग-अलग हिस्‍सों में हुईं मूर्ति तोड़ने की घटनाओं पर चिंता जताई गई है. रिपोर्ट में विशेष रूप से त्रिपुरा का जिक्र करके कहा गया है कि पूर्वोत्तर के राज्यों में आयोजित हिन्दू सम्मेलन विशेषतः त्रिपुरा राज्य का सम्मेलन कई बातों में प्रेरक अनुभव देने वाला रहा है। सामाजिक, धार्मिक, औद्योगिक क्षेत्रों के महानुभावों का प्रकट होने वाला प्रतिभाव अपने कार्य की स्वीकार्यता प्रदर्शित करता है।

  1. आरएसएस की प्रतिनिधि सभा की शुक्रवार को हुई बैठक में रिपोर्ट जारी की गई
  2. समाज में आपसी संघर्ष की घटनाएं सबके लिए चिंता का विषय
  3. ऐसे अवसरों पर विभाजनकारी तत्वों से सावधान रहने की आवश्यकता

स्‍वस्‍थ वातावरण बनाना प्राथमिकता
त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति, कोलकाता में श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति और चेन्नई में पेरियार की मूर्तियों को तोड़ा जाना चिंताजनक है. समाज में आपसी संघर्ष की घटनाएं सबके लिए चिंता का विषय हैं. ऐसी घटनाओं में घटित हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को होने वाला नुकसान पूर्णतः निंदनीय है। पूर्व की घटनाओं से सबक लेकर वर्तमान की समस्याएं सुलझाकर सौहार्दपूर्ण एवं स्वस्थ वातावरण बनाना सबकी प्राथमिकता बननी चाहिए। ऐसे अवसरों पर विभाजनकारी तत्वों से सावधान रहने की आवश्यकता रहती है।

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स्‍वयंसेवकों को दिया संदेश
संघ ने स्वयंसेवकों को संदेश दिया है कि इस तरह की घटनाओं से समाज आहत होता है और सामूहिक रूप से आक्रोश प्रकट होता है. संबंधित सभी पक्षों को यह ध्यान में रखने की आवश्यकता रहती है कि किसी भी कारण से, व्यवहार से, जनभावनाओं और समाज के सम्मान को ठेस न पहुंचे. हम सब मिलकर एक बड़ा परिवार हैं, अतः परस्पर संबंध और विश्वास सशक्त रूप से बना रहना चाहिए. ऐसे अवसरों पर धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक नेतृत्व की सकारात्मक पहल महत्वपूर्ण बन जाती है.

मर्यादाओं का पालन जरूरी
संघ का मानना है कि सबको न्याय व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था आदि के प्रति सम्मान एवं विश्वास को धक्का न लगे, इसकी चिंता करनी चाहिए. संविधान और कानून व्यवस्था में अपनी बात रखने का अधिकार हमें प्राप्त है लेकिन हम सबको अपनी मर्यादाओं का पालन भी आवश्यक है. इन सभी परिस्थितियों में अत्यंत संयम और कुशलता के साथ कार्य करते हुए अपने कार्य की सफलता में ही कई प्रश्नों का समाधान है, यह विश्वास रखते हुए हमें परिश्रमपूर्वक आगे बढ़ना है. संघकार्य ही हम सबका जीवन ध्येय बने. मतलब साफ है कि त्रिपुरा में 25 साल बाद जिस तरह बीजेपी ने लेफ्ट के किले को ध्वस्त कर जीत दर्ज की है, ऐसे में उसके जश्न को फीका नहीं करना चाहते.

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