Sambhal Masjid: राम सागर ताल, सुरंग और मूर्तियां...10 किमी दूर मिल गए संभल मस्जिद के मंदिर होने के सबूत
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Sambhal Masjid: राम सागर ताल, सुरंग और मूर्तियां...10 किमी दूर मिल गए संभल मस्जिद के मंदिर होने के सबूत

Shri Hari Temple Sambhal: जामा मस्जिद के भगवान विष्णु का श्री हरि मंदिर होने का हैरान करने वाला यह सबूत संभल से 10 किमी की दूरी पर स्थित द्वापर युग के पौराणिक गांव सरथल का राम सागर ताल है. पुरातत्वविद अतुल मिश्र और सरथल गांव के ग्रामीणों का दावा है कि संभल के श्री हरि मंदिर, 68 तीर्थ और 19 कूप सहित संभल के सभी पौराणिक मंदिरों का निर्माण सरथल के रामसागर ताल की मिट्टी से किया गया था .

Sambhal Masjid: राम सागर ताल, सुरंग और मूर्तियां...10 किमी दूर मिल गए संभल मस्जिद के मंदिर होने के सबूत

Sambhal Jama Masjid: यूपी के संभल में जामा मस्जिद के भगवान विष्णु का श्री हरि मंदिर होने के तमाम साक्ष्य सामने आ रहे हैं. अब जी मीडिया ने जामा मस्जिद के पूर्व में भगवान विष्णु का श्री हरि मंदिर होने का ऐसा सबूत ढूंढ निकाला है, जिसे देखकर आप सभी हैरान हो जाएंगे.

जामा मस्जिद के भगवान विष्णु का श्री हरि मंदिर होने का हैरान करने वाला यह सबूत संभल से 10 किमी की दूरी पर स्थित द्वापर युग के पौराणिक गांव सरथल का राम सागर ताल है. पुरातत्वविद अतुल मिश्र और सरथल गांव के ग्रामीणों का दावा है कि संभल के श्री हरि मंदिर, 68 तीर्थ और 19 कूप सहित संभल के सभी पौराणिक मंदिरों का निर्माण सरथल के रामसागर ताल की मिट्टी से किया गया था .

आज भी मौजूद है राम सागर ताल

द्वापर युग से भी ज्यादा प्राचीन सरथल गांव में राम सागर ताल आज भी मौजूद है. विशाल राम सागर ताल के पास ही साढ़े 5 हजार वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन मंदिर भी हैं. इस मंदिर के स्थान पर एक सुरंग के अवशेष भी हैं. ग्रामीण बताते हैं कि इस सुरंग के जरिए राजपूत राजा पृथ्वी राज चौहान की बहन मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आती थीं. इसके अलावा सुरंग का इस्तेमाल संभल के श्री हरिमंदिर तक पहुंचने के लिए भी किया जाता था.

सरथल के द्वापर युग से भी ज्यादा प्राचीन होने के तमाम सबूत भगवान विष्णु की मूर्ति, दिव्य शंख, प्राचीन सिक्के पुरातत्वविद अतुल मिश्र के संग्रहालय में मौजूद हैं. डेढ़ हजार साल से भी ज्यादा पुराने यह सभी सबूत सरथल की धरती से खुदाई के दौरान मिले हैं.

बुजुर्ग बताते हैं कहानी

गांव के बुजुर्ग ग्रामीण पूर्वजों की बताई किवदंती के हवाले से कहते हैं कि देवताओं ने सरथल गांव में एक ही रात में सभी तीर्थ के निर्माण का काम शुरू किया था. इसके लिए रात्रि को काफी लंबा कर दिया गया था. देवताओं की इजाजत पर सरथल में तीर्थ स्थलों के निर्माण के लिए रामसागर ताल से मिट्टी निकाली जा रही थी. 

लेकिन इसी दौरान गांव की किसी बुजुर्ग महिला ने चक्की चला दी. इसके बाद ग्रामीणों के जागने की आहट पर देवताओं के निर्देश पर रामसागर ताल की मिट्टी को संभल ले जाकर भगवान विष्णु के श्री हरि मंदिर, 68 तीर्थ और19 कूप सहित अन्य पौराणिक मंदिरों का निर्माण किया गया. गांव के बुजुर्ग जामा मस्जिद को आज भी भगवान विष्णु का श्री हरि मंदिर मानते हैं.

संभल का 9वीं सदी से पहले नहीं था कोई अस्तित्व

पुरातत्वविद अतुल मिश्र के पिता प्रख्यात पुरातत्वविद और इतिहासकार सुरेन्द्र मोहन मिश्र के शोध के अनुसार सरथल गांव 9वीं सदी से पहले का है जबकि संभल का 9वीं सदी से पूर्व का कोई इतिहास नहीं मिलता. अतुल मिश्र ने बताया कि इस बात के तमाम साक्ष्य भगवान विष्णु की मूर्ति, दिव्य शंख, प्राचीन मुद्राओं के तौर पर उनके म्यूजियम में मौजूद है. यह सभी सबूत डेढ़ हजार साल से ज्यादा पुराने हैं और यह सरथल गांव की खुदाई के दौरान मिले हैं. यह इस दावे के पुख्ता सबूत हैं कि जामा मस्जिद पूर्व में भगवान विष्णु का श्री हरि मंदिर था.

सरथल आए थे भगवान कृष्ण

सरथल गांव के बुजुर्ग ग्रामीणों में मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण सरथल की भूमि पर आए थे. ग्रामीणों के अनुसार, सरथल को राजा मोरध्वज के पुत्र सुरथ और सुधनवा ने बसाया था. दोनों भाई भगवान कृष्ण के भक्त थे. मान्यता है कि पांडवों ने अज्ञातवास पूरा करने के बाद राज्य हासिल होने पर अश्वमेघ यज्ञ कराया था. इस अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को सूरथ और सुधनवा ने पकड़ लिया था. इसकी जानकारी होने पर पांडव सेना अश्व को छुड़ाने के लिए सरथल पहुंची तो दोनों भाइयों ने पांडव सेना को हरा दिया था. पांडव सेना के हारने पर भगवान श्री कृष्ण खुद अश्वमेघ यज्ञ के अश्व को छुड़ाने के लिए सरथल गांव आए थे.

(सुनील सिंह की रिपोर्ट)

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