उत्तराखंड के गांवों में 'संस्कृत संवाद', देवभूमि में अब 'देवभाषा' में होगी बात
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उत्तराखंड के गांवों में 'संस्कृत संवाद', देवभूमि में अब 'देवभाषा' में होगी बात

DNA Analysis:  देश का एक वर्ग इस समय भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत के प्रचार प्रसार में जुटा है. ये है देवभूमि उत्तराखंड, जहां कुछ ऐसे गांव चिन्हित किए गए हैं, जिनमें सिर्फ और सिर्फ संस्कृत में ही संवाद होगा. देहरादून का भोगपुर उत्तराखंड के उन 13 गांव में से एक है, जिन्हें संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए चुना गया है.

उत्तराखंड के गांवों में 'संस्कृत संवाद', देवभूमि में अब 'देवभाषा' में होगी बात

DNA Analysis: बच्चों के माता पिता बड़े स्कूलों की मनमानी वाली फीस भरते हैं. ताकि उनके बच्चे अंग्रेजी पढ़ सकें.बोल सकें. लेकिन देश का एक वर्ग ऐसा भी है, जो भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत के प्रचार प्रसार में जुटा है. ये है देवभूमि उत्तराखंड, जहां कुछ ऐसे गांव चिन्हित किए गए हैं, जिनमें सिर्फ और सिर्फ संस्कृत में ही संवाद होगा. गांव गांव तक संस्कृत के प्रचार प्रसार की योजना क्यों तैयार की गई है? इसकी पूरी जानकारी हम आपको देंगे. लेकिन उससे पहले देहरादून के भोगपुर से इस मिशन संस्कृत पर हमारे संवाददाता रामानुज की ये ग्राउंड रिपोर्ट के बारे में जानें.

 देहरादून का भोगपुर उत्तराखंड के उन 13 गांव में से एक है, जिन्हें संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए चुना गया है. ग्रामीणों को संस्कृत में संवाद सिखाने के लिए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से ट्रेनर्स भेजे जा रहे हैं. आखिर संस्कृत को इतना महत्व क्यों दिया जा रहा है. क्या हैं संस्कृत भाषा की विशेषताएं. ये अब हम आपको बताएंगे.

क्या हैं संस्कृत भाषा की विशेषताएं?
संस्कृत को दुनिया की सबसे प्राचीन और समृद्ध भाषाओं में गिना जाता है. वैदिक संस्कृत का उल्लेख तो आज से साढ़े तीन हजार साल पहले से मिलता है. संस्कृत को देववाणी यानी देवताओं की भाषा भी कहा जाता है. भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में भी संस्कृत को स्थान दिया गया है. खास बात ये है कि संस्कृत के कुछ शब्द अंग्रेजी में भी शामिल किए गए हैं.मंत्र, अवतार, योग, कर्म, धर्म और चक्र जैसे संस्कृत शब्द अंग्रेजी में भी लिखे और बोले जाते हैं.

अंग्रेजी में संस्कृत के शब्दों को शामिल किया गया है. लेकिन अंग्रेजी भाषा के कुछ ऐसे शब्द हैं जिनके बोलने और लिखने के तरीके को लेकर बहस लगातार चल रही है. अंग्रेजी का एक ऐसा ही शब्द है कर्नल.जिसकी अंग्रेजी में स्पेलिंग COLONEL है. लेकिन जब इस शब्द को बोला जाता है. तो ये हो जाता है कर्नल. यानी अंग्रेजी की स्पेलिंग में कही भी र या यूं कहें कि R नहीं है. फिर भी इसे बोलते वक्त र यानी R शब्द का प्रयोग होता है.

'ENOUGH IS ENUF'
अंग्रेजी के ऐसे ही शब्दों को लेकर लेखक गैब हेनरी की एक किताब लॉन्च हुई है. जिसका नाम है ENOUGH IS ENUF. इस किताब में अंग्रेजी भाषा के ऐसे ही विरोधाभासों और उनसे जुड़े इतिहास का जिक्र है. किताब में बताया गया है. अमेरिका के संस्थापक बेंजामिन फ्रैंकलिन ने साल 1768 में अंग्रेजी की ऐसी कथित त्रुटियों को मिटाने की पहल की थी. 1906 में अमेरिका में एक SIMPLIFIED SPELLING BOARD भी बनाया गया था...अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने भी अमेरिका में अंग्रेजी की वर्तनी सुधारने की कोशिश की थी. इन सब कोशिशों के बावजूद. आज भी अंग्रेजी में ये फर्क मौजूद हैं. जैसे DAUGHTER को जब बोला जाता है. तो ये डॉटर हो जाता है. G और H गायब हो जाते हैं.

 

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