मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि भारत एक विविधता वाला देश है और एकरूपता लाने के लिए सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना जरूरी है.
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि देश भर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय ध्वज संहिता में संशोधन करने पर विचार करे. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार को सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने के बारे में उसके पहले के आदेश से प्रभावित हुए बगैर ही इस पर विचार करना होगा.
इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि भारत एक विविधता वाला देश है और एकरूपता लाने के लिए सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना जरूरी है. पीठ ने संकेत दिया कि वह 1 दिसंबर, 2016 के अपने आदेश में सुधार कर सकती है. इसी आदेश के तहत ‘‘देशभक्ति और राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने’’के मकसद से सिनेमाघरों में फिल्म के प्रदर्शन से पहले राष्ट्रगान बजाना और दर्शकों के लिये इसके सम्मान में खडा होना अनिवार्य किया गया था.
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न्यायालय ने कहा था कि जब राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान दर्शाया जाता है तो यह मातृभूमि के प्रति प्रेम और सम्मान को दर्शाता है. न्यायालय ने सभी सिनेमाघरों में फिल्म का प्रदर्शन शुरू होने से पहले अनिवार्य रूप से राष्ट्रगान बजाने के निर्देश के लिये श्याम नारायण चोकसी की जनहित याचिका पर यह निर्देश दिए थे.